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Tuesday, September 3, 2024

✅महिलाओं पर अपराध के लिए सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी का एक और सबूत

 ✅महिलाओं पर अपराध के लिए 

सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी का 

एक और सबूत -

रेप करो, कोई भी अपराध करो,

फैसला सालों नहीं होगा और 

घर हम तोड़ने नहीं देंगे -


एक बार फिर साबित हुआ कि महिलाओं पर बढ़ते अपराध और अराजकता फैलाने के लिए कोर्ट खुद जिम्मेदार है - जमीयत उलमा - ए - हिंद की याचिका हो और उसे प्रस्तुत करने वाला “सेकुलर और मुस्लिम परस्त वकील”  दुष्यंत दवे हो, तब इन पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट एक दिन की भी देरी नहीं करता और उनके हक़ में खड़ा होने में कोई गुरेज़ भी नहीं करता -


मीलॉर्ड जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन ने अपराधियों को अपराध करने की खुली छूट दे दी - उन्होंने कहा बुलडोज़र से किसी का घर गिराना मौलिक रूप से गलत है, अपराध और गैरकानूनी घर बनाना दो अलग बातें हैं और दोनों को साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए - अगर किसी का अपराध सिद्ध भी हो जाता है तब भी घर नहीं तोड़ सकते -


एक बलात्कारी का गैरकानूनी घर गिराना लोगों के लिए एक Deterrent का काम करता है जिससे एक भय रहे कि अपराध की यह सजा भी हो सकती है क्योंकि बलात्कार के मुक़दमे का फैसला करने में कोर्ट 10 - 10 वर्ष लगा देते हैं और सुप्रीम कोर्ट किसी को फांसी भी नहीं देता -

जब Deterrent ही नहीं रहेगा तो अपराधी तो मौज में रहेंगे ही -


इसलिए मीलॉर्ड का नजरिया है, जी भर के बलात्कार करो, क्योंकि फैसला कई साल नहीं होगा और घर हम तोड़ने नहीं देंगे, अपराधी मौज करें - एक आदमी हजारों लोगो की भीड़ लेकर पुलिस पर हथियारों से हमला करे तो भी उसका घर मत तोड़ो, उसे फूलमाला पहना कर स्वागत किया जाना चाहिए, यही मतलब हो गया न  मीलॉर्ड का - उसके परिवार का रोना मत रोइए क्योंकि जब आदमी कुकर्म करता है तो उसके परिवार को भी भुगतना चाहिए क्योंकि कमाई पर भी तो परिवार मौज करता है -


जमीयत ने कहा कि “State governments are encouraging bulldozer to intimidate the Oppressed and marginalized communities particularly the minorities those who can not defend themselves in process of law”  

मतलब ये Minorities के लोग जिनमें संपन्न लोग भी शामिल हैं, किसी की भी बहन बेटियों को  उठा कर ले जाएंगे,  दुष्कर्म करेंगे और फिर भी कोर्ट में खुद victim (पीड़ित) बनकर खड़े हो जाएंगे -


राष्ट्रपति को यह समझ आ जाना चाहिए कि महिलाओं के बलात्कार के लिए न्यायपालिका भी काफी हद तक जिम्मेदार है और कल अदालत के प्रवचन इस बात का प्रमाण हैं - ऐसा मैं काफी समय से कहता आ रहा हूं कि अदालत में बैठे जज और उनके परिवार कभी अपराध का शिकार नहीं होते जिसकी वजह से ये लोग बलात्कार जैसे गंभीर अपराध को भी हल्के में लेते हैं और अपराधियों के प्रति नरमी बरतते हैं Sinner has a future कह कर -


सुप्रीम कोर्ट के आचरण से कुछ बातें साफ़ है कि 

- कोर्ट में एक टूल किट काम कर रहा है जो मोदी विरोध, हिंदू विरोध के साथ साथ देश में अराजकता फैला कर देश को तोड़ने में कांग्रेस का एजेंडा पूरा कर रहा है, जस्टिस गवई तो कह ही चुके हैं कि वो कांग्रेस परिवार से आते हैं;

-बुलडोज़र कार्रवाई रोक कर अपराधी के मन में भय ख़त्म कर दो और रेप एवं अन्य अपराध करने की छूट दे दो जिससे घर घर रेप हों और मीलॉर्ड देख देख कर मजा लेते रहें;

-मीलॉर्ड कह रहे हैं हम दिशा निर्देश तय करेंगे लेकिन कानून बनाने वाले आप कौन होते हैं, यह काम संसद का है जो वर्तमान कानूनों में बदलाव कर सकती है;

-एक तरफ कहते हो Encroachment गलत है लेकिन जब अधिकारी उसे तोड़ते हैं तो आप कहते हैं कि उजाड़ने से पहले लोगों का “पुनर्वास” करने के लिए घर दो जैसे हल्द्वानी और अन्य जगहों पर कहा है और लोगों को दंगे करने का मौका दिया;

-यानी देश में घुसपैठियों को खुली छूट दे रहे हैं कि जहां मर्जी जमीन हथिया लो, घुसपैठ करना मौलिक अधिकार बना दिया;

-खुद एक्शन लेने नहीं देते और फिर दोष देते हैं कि कानून व्यवस्था संभल नहीं रही -


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