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Wednesday, July 3, 2024

आतंक का कोई मज़हब नहीं* *जो रोज़ हमें समझाते हैं*

 *आतंक का कोई मज़हब नहीं*

*जो रोज़ हमें समझाते हैं*



`हिंदू हिंसक होते है`

`ये संसद में चिल्लाते हैं`


*कमर में बाँधके बम*

*फटने क्या हिंदू कोई जाता है*


`सर तन से जुदा के नारें`

`कोई हिंदू कहीं लगाता हैं ?`


*हिंदू हिंसक होता तो*

*पंडित बेघरबार नहीं होते*


`हिंदू हिंसक होता तो`

`अमरनाथ पे वार नहीं होते`


*हिंदू हिंसक होता तो*

*मोपला, गोधरा, बदायू का नरसंहार भी रुक जाता*


`हिंदू हिंसक होता तो`

`जिन्ना का सर भी झुक जाता`


*हिंदू हिंसक होता तो*

*भारत का बँटवारा क्यूँ होता*


`हिंदू हिंसक होता तो`

`वक़्फ़ बोर्ड, पर्सनल लॉ, गँवारा क्यूँ होता`


*हिंदू हिंसक होता तो*

*मंदिर के लिए कोर्ट तक क्यों जाते*


`हिंदू हिंसक होता तो`

`काशी मथुरा भी बन जाते`


*हिंदू हिंसक होता तो*

*बंगाल में मारा क्यों जाता*


`हिंदू हिंसक होता तो`

`सनातन को दुतकारा क्यों जाता`


*हिंदू हिंसक होता तो*

*बेटियाँ सूटकेस में क्यों आती*


`हिंदू हिंसक होता तो`

`कन्हैयालाल की जान भी क्यों जाती`


*हिंदू हिंसक होता तो*

*गौमाता पर चाक़ू ना चलते*


*हिंदू हिंसक होता तो*

*ग़ज़वा ए हिंद के ख़्वाब  ना पलते*

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