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Tuesday, September 3, 2024

*एक दुःखद सत्यकथा*

 *एक दुःखद सत्यकथा*

👉 *आज देश में दोनों तरफ से हिन्दू ही लड रहा है- एक ओर देशभक्त हिन्दू है तो दूसरी ओर गद्दार हिन्दू।*  

👉 सभी हिन्दू विचार करें।

अकबर के दरबार में एक कट्टर सुन्नी मुस्लिम *अब्द अल कादीर बदायूंनी* था। उसने हल्दीघाटी के युद्ध को देखा था, जिसमें वह स्वयं सम्मिलित था। इसका वर्णन उसने अपनी पुस्तक *मुंतखाब उल वारीख* में किया है। मूल पुस्तक अरबी में है, जिसका 18वीं सदी में अंग्रेजी में अनुवाद किया गया।

*दोनों तरफ की सेनाओं में  90% राजपूत लड़ रहे थे। अकबर की तरफ से सेनापति मानसिंह और राजा लूणकरण थे तो दूसरी तरफ स्वयं महाराणा प्रताप और अन्य राजपूत राजा थे। दोनों तरफ से राजपूतों ने केसरिया साफे पहन रखे थे।* 

इससे अकबर का एक सेनापति  'अबुल फजल इब्न मुबारक' असमंजस में पड़ गया कि कौन हमारी तरफ से लड़ रहा है और कौन शत्रु की तरफ से? फिर अबुल फजल इब्न मुबारक ने अब्द अल कादिर से पूछा दोनों तरफ से राजपूत केसरिया साफा पहनें हैं, मैं कैसे पहचान करूं कि कौन अपनी तरफ से लड़ रहा है और कौन शत्रु की तरफ से है?

तब अब्दअल कादिर ने कहा- *तुम बस तीर और फरसा चलाते रहो, भाला फेंकते रहो मरने वाले "काफिर" ही होंगे!*

चाहे हमारी तरफ के मरे या शत्रु की तरफ के मरे किधर भी तीर चलाओ किसी को भी मारो जीत "इस्लाम" की ही होगी। *अगर हम युद्ध में विजय हो सके तो ठीक, नहीं जीते तो कम से कम खुदा को यह तो कह देंगे कि हमने काफिरों को मारा!*

काश हिन्दू इस इतिहास को पढ़ते और सीख लेते! हिन्दुओं की स्थिति आज भी वैसी ही है, इसलिये *इस पर बस थोड़ा सा विचार जरूर कीजियेगा!*

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