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Sunday, September 15, 2024

आज की कहानी : #दो_कुत्ते...!?

 आज की कहानी : #दो_कुत्ते...!?


एक गांव में एक किसान रहता था।

उसके पास  "दो-बैल" और "दो-कुत्ते" थे।

एक बार उसे किसी बेहद जरूरी काम के लिए गांव से बाहर जाना था किंतु उसकी समस्या यह थी कि खेत जोतने का भी समय हो गया था...!


तब किसान ने उस समस्या का समाधान निकाला, उसने अपने बैलों और कुत्तों को बुलाकर कहा कि,

"मैं कुछ दिनों के लिए गांव से बाहर जा रहा हूं,

मेरे लौटने तक तुम लोग सारे खेत जोतकर रखना ताकि लौटने पर खेतों में बीज बो सकूं...!"


बैलों और कुत्तों ने स्वीकृति में सिर हिलाया।


किसान चला गया और बैलों ने किसान के कहे अनुसार खेत जोतना शुरू कर दिया, लेकिन कुत्ते आवारागर्दी करते हुए पूरे गाँव में घूम-घूम कर समय बिताते रहे।


बैलों ने किसान के लौटने से पहले पूरा खेत जोत दिया।


जब कुत्तों ने देखा कि खेतों की जुताई हो गई है और मालिक के लौटने का समय हो गया है

तब कुत्तों ने बैलों से कहा कि तुम दोनों इतने दिनों से खेत जोत रहे हो और काफी थक गए हो इसलिए घर जाकर आराम करो और हम लोग खेतों की रखवाली करेंगे।


कुत्तों की बात मानकर दोनों बैल घर चले गए और आराम करने लगे।

इधर कुत्तों ने सारे खेतों में दौड़-दौड़ करके अपने पैरों के निशान बना दिए, और खेत के किनारे बैठकर किसान का इंतजार करने लगे।

थोड़ी देर में किसान भी वापस गांव आ गया और सीधा खेतों पर पहुंचा तो देखा ...दोनों कुत्ते वहां पर बैठे हैं, खेतों की जुताई भी हो गई है, परंतु बैल कहीं नजर नहीं आ रहे हैं...!


किसान ने कुत्तों से पूछा कि, "बैल कहां हैं ?"


कुत्तों ने कहा, "मालिक! आप जबसे गए हैं, तभी से हम लोग खेत जोत रहे हैं और अभी काम पूरा करके आपका इंतजार कर रहे हैं। जबकि, बैल घर से बाहर निकलकर खेतों की ओर झांकने भी नहीं आए, वह घर पर ही आराम से सो रहे हैं।"


मालिक ने खेतों में जाकर देखा तो उसे हर तरफ कुत्तों के पैरों के निशान मिले, वह कुत्तों के उपर बहुत प्रसन्न हुआ और कुत्तों के साथ घर लौटा तो देखा कि बैल घर के बाहर बैठे हुए आराम कर रहे थे।


किसान बैलों के उपर बहुत क्रोधित हुआ और बैलों को रस्सी से बांध कर उनकी पिटाई कर दी। 

कुत्तों को खाने के लिए दूध रोटी और मांस के टुकड़े दिए और बैलों को खाने के लिए सुखा हुआ भूसा दिया।


इतिहास के जानकार बताते हैं कि,

यह जो

महात्मा गांधी रोड,

नेहरू युनिवर्सिटी,

इंदिरा एयरपोर्ट और ऐसे अनेकों जगह नेहरू और गांधी का नाम देखते हो ये कुछ वैसे ही कुत्तों के पैरों के निशान हैं और वे आजादी के बाद से ही दूध मलाई खा रहे हैं।


जबकि रानी लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे, लाला लाजपत राय, वीर सावरकर, महारानी अवंतीबाई लोधी, सुभाष चन्द्र बोस, रामप्रसाद बिस्मिल, भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस...!

जैसे "सात लाख बहत्तर हजार असली सेनानियों"

के परिवार को रुखी-सूखी घास ही मिली है ।


बस यही है स्वाधीनता संग्राम में गांधी-नेहरू का योगदान।

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