भूराजनीति और रक्षा पर आधारित पोस्ट.
रूस और भारत आपस में कौनसा खिचड़ी पका रहे हैं !? वैश्विक स्तर पर बिगड़ते इस माहौल में रूस ने भारत के साथ संयुक्त सैन्य तैनाती पर समझौते को मंजूरी क्यूं दिया.
वर्तमान वैश्विक स्तर पर चल रहे कूटनीतिक उठापटक व युद्ध की घनघोर छाया के तले यह भारत और रूस के बीच क्या खिचड़ी पक रही है !? चलिए कुछ कुछ समझाने की कोशिश करते हैं. भारत और रूस के बीच इस समझौते का उद्देश्य है कि, दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच तैनाती व रसद समर्थन को विनियमित करना है. और इस प्रस्ताव को रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन ने रूसी रक्षा मंत्रालय को भारत के साथ इस समझौते के विवरण पर बातचीत करने का काम सौंपा है.
चलिए इस विषय को समझने की कोशिश करते हैं. रूस ने भारत के साथ संयुक्त सैन्य तैनाती पर समझौते को मंजूरी दिया है. इस समझौते के तहत रूस और भारत एक-दूसरे के क्षेत्रों में सैन्य संरचनाएं, युद्धपोत, युद्धक विमान भेजने तथा उनके बीच आपसी सैन्य सहयोग को व्यवस्थित कर सकेंगे. यह खबर महज कुछ देर पहले रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक के इंडिया चैप्टर ने जानकारी दी है. स्पुतनिक इंडिया ने बताया है कि रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन ने रूसी रक्षा मंत्रालय को भारत के साथ समझौते के ड्राफ्ट पर बातचीत करने का काम सौंपा है. विशेषज्ञों का मानना है कि रूस और भारत के बीच यह नया रक्षा समझौता यूरोप और एशियाई सुरक्षा को मजबूत करेगा. आइए जानते हैं कि दोनों देशों के बीच होने वाले इस समझौते में क्या खास होगा ?
स्पुतनिक ने एक्सपर्ट के हवाले से बताया है कि सैन्य तैनाती समझौता संयुक्त अभ्यास में भाग लेने वाली रूसी और भारतीय सैन्य इकाइयों के लिए प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करेगा, जिससे निर्बाध संचालन सुनिश्चित होगा, यह समझौता भारत और रूस के बीच चल रहे सैन्य सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता का संकेत देगा. इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच तैनाती और रसद सहायता को विनियमित करना है. पर इस समझौते में क्या खास बात है ? समझौते में संयुक्त अभ्यास व प्रशिक्षण आयोजित करने, मानवीय सहायता प्रदान करने और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए सैनिकों को भेजने का प्रावधान है. इसकी मात्रा भी सुनिश्चित की गई है, जिसमें पांच युद्धपोत, 10 विमान और तीन हजार से ज्यादा सैन्यकर्मी नहीं हो सकते हैं, परंतु आपसी सहमति से इन्हें बदला जा सकता है. यह समझौता बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और उत्तर-दक्षिण गलियारे के विस्तार के बीच एक सामूहिक यूरेशियाई सुरक्षा ढांचे को आगे बढ़ाएगा इसके साथ ही इसमें सैन्य कर्मियों के लिए वर्तमान आवश्यकताओं को दर्शाने के लिए वीजा व आव्रजन प्रोटोकॉल को अपडेट करने की व्यवस्था भी होगी और हिन्द महासागर में सैन्य युद्धाभ्यास का भी समर्थन करेगा, जिसमें वैश्विक स्तर पर भारत और रूस के बीच बढ़ता रणनीतिक प्रभाव नजर आएगा. अब यह देखना बाकी है कि, इस समझौते का असर वैश्विक स्तर पर क्या पड़ने वाली है !? अमेरिका की फुट डालो राज करो कि नीति पर इसका असर क्या होने वाला है. मोदी और पुतिन के बीच यह कौन सा खिचड़ी पक रही है वैश्विक राजनीति को लेकर. जब की पूरी दुनिया अब धीरे-धीरे दो धड़ों में बंट रही है...
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