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Tuesday, September 3, 2024

❌कोलकाता रेप केस का मुख्य आरोपी भले ही संजय रॉय हो मगर आप थोड़ा ठीक से देखो तो ऐसा लगेगा की असली आरोपी ममता बनर्जी खुद है

 ❌कोलकाता रेप केस का मुख्य आरोपी भले ही संजय रॉय हो मगर आप थोड़ा ठीक से देखो तो ऐसा लगेगा की असली आरोपी ममता बनर्जी खुद है।


संजय रॉय पर इससे पहले अपनी 2 पत्नियों को मारने का केस था लेकिन बड़ी ही आसानी से TMC के गुंडों की वजह से उस पर केस ही नहीं हुआ। इसी साल कलकतो की अभया से पहले वो 3 महिलाओ के साथ गलत कर चुका था मगर पुलिस ने केस ही दर्ज नहीं किया।


अभया के रेप के बाद पुलिस के आने से पहले ही इसे सुसाइड बता दिया गया, पोस्टमार्टम तक कर दिया गया, यदि उसकी सहकर्मी वीडियो नहीं बनाती तो हमें तो पता भी नहीं चलता की कोलकाता मे कोई रेप हुआ है।


लेकिन बंगाल का ये भ्रष्टाचार देखकर आपको कुछ याद आया? लालू के समय का बिहार या फिर मुलायम के समय का उत्तर प्रदेश? दरअसल जिन राज्यों ने क्षेत्रीय पार्टियों को सत्ता सौपी है उनका हाल ये ही हुआ है।


ममता बनर्जी खुद एक स्त्री है मगर उसके चेहरे पर एक शिकन नहीं है, सोनिया गाँधी बाटला हॉउस के आतंकवादियों के लिये रोई थी मगर यहाँ वो अभया के खिलाफ कपिल सिब्बल को मैदान मे उतार चुकी है।


कहने का मतलब ये है की समाज मे ऐसी औरते भी होती है, क्या ममता और सोनिया संजय रॉय से कम गुनहगार है?


दरअसल क्षेत्रीय पार्टियों की आदते हमारे दो बड़े प्रधानमंत्रियों ने बिगाड़ी है एक इंदिरा गाँधी दूसरे अटल बिहारी वाजपेयी। इंदिरा गाँधी ने ज़ब इमरजेंसी लगाई तो उसकी वज़ह से यूपी, बिहार और बंगाल जैसे राज्यों मे क्षेत्रीय पार्टियों को गति मिली।


लालू, भालू, ममता ये सभी इसी इमरजेंसी की पैदाइश है। लेकिन 1998 मे जब वाजपेयी युग शुरू हुआ तो वाजपेयी जी को गठबंधन करना पड़ा और तब पहली बार इन्ही नेताओं की एंट्री दिल्ली मे मंत्री के रूप मे हुई।


यहाँ इनके दांतो पर जो सत्ता का खून लगा उसकी सजा आज पूरा देश भुगत रहा है। गरीब घरो से आये इन लालचियों ने पहली बार सत्ता का सुख भोगा और इसके बाद वो भूख ऐसी बढ़ी की ये पूरा देश बेचने को तैयार थे।


बंगाल मे जो रेप हुआ उसकी मूल जड़ यही है, ममता बनर्जी का यूट्यूब पर शायद आपको एक पुराना वीडियो भी मिल जाए वो बांग्लादेशियो को भगाने के लिये रो रही थी और वाजपेयी सरकार कुछ नहीं कर रही थी। 


इसके बाद 2011 मे जब उसे सत्ता मिली तब उसने स्टैंड बदला और आज देखिये उसके चेहरे पर एक शिकन तक नहीं है। जबकि ये निर्भया से बड़ा काण्ड है, इस काण्ड से पहले संजय रॉय को पकड़ने के 6-7 पर्याप्त कारण थे लेकिन ममता बनर्जी ने कुछ नहीं किया।


या यू कहे उसने TMC वालो के लिये जो इको सिस्टम बनाया वो बड़ा कमाल है। RG KAR  मेडिकल कॉलेज मे जहाँ ये रेप हुआ वहाँ इससे पहले 10 से ज्यादा लोग आकस्मिक रूप से मर चुके है और सबको सुसाइड ही बताया गया। अभया को भी पुलिस ने सुसाइड ही बनाया था मगर ये कह लीजिए की इस बार ममता बनर्जी की किस्मत खराब थी।


इसलिए मोदी सरकार को मैं आजाद भारत की सबसे अच्छी सरकार कहता हुँ, बिल्कुल शिकायते होंगी आपको। आजकल तो तुष्टिकरण के आरोप भी लगने लगे है लेकिन ये भी एक बात है की शायद ये लोग रेप के आरोपियों के साथ खडे हो जाए मगर दोषियों के साथ कभी खडे नहीं होते।


वाजपेयी जी के समय जो रायता फैला था वो ED के नाम पर ही सही लेकिन सारा जेल मे सिमट गया था पर फिर जनता को लोकतंत्र पर खतरा भी दिखने लगा।


मोदी राज का दूसरा पहलू ये भी रहा की पिछले 10 साल से ये सारे निशाचर सत्ता से दूर छटपटाते रहे। वाजपेयी काल के बाद पहली बार हुआ की ये केंद्र की सत्ता से दूर रहे, वो ही चीजें उन्हें सबसे ज्यादा काट रही है।


आप सोचकर देखिये लालू का एक गुंडा शाहबुद्दीन, जिसे वो वाजपेयी जी के काल मे मंत्री बनाना चाहता था। बाद मे पता भी चल गया की वो ISI के साथ संबंध भी था, वाजपेयी जी ने उसे मंत्री नहीं बनाया और जब मोदी काल मे उसे सजा हुई तो खुद पढ़े लिखें लोगो ने कहा ये तो लोकतंत्र की हत्या है।


वाजपेयी ने शाहबुद्दीन को नहीं स्वीकारा मगर आज के राहुल गाँधी को देखकर लगता है की वो तो गले लगा लेता।


दरसल भारत का पढ़ा लिखा समाज खुद आज तक लोकतंत्र की परिभाषा निर्धारित नहीं कर सका। यही कारण है की कपिल सिब्बल ने संजय का साथ देने से पहले एक बार भी नहीं सोचा, मणिपुर पर चिल्लाने वाला राहुल गाँधी बिल्कुल शांत है।


इन नामो मे से किसी के खिलाफ एक्शन हुआ तो राहुल गांधी को बस इतना बोलना है की विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है और पूरा माहौल अभया से पलटकर ममता बनर्जी के साथ हो जाएगा।


इसलिए ये रेप जनता का, जनता के द्वारा ही हुआ है और ये आगे भी होता रहेगा तब तक, जब तक की हम लोकतंत्र को समझ नहीं जाते।


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