✅मेरे एक नजदीकी मित्र ने पिछले साल मारुति की बलेनो कार खरीदी थी.
लेकिन, उसे गाड़ी की ड्राइविंग नहीं आती थी तो वो डिलीवरी के समय मुझे साथ में ले गया था कि चलो... शो रूम से हमलोग गाड़ी लेकर आएंगे.
चूँकि.. हमलोगों को काफी पहले से ही गाड़ी थी (पापा ने काफी पहले फिएट रख रखी थी) तो मैं शुरू से ही गाड़ी चलाना जानता हूँ..
बस यूँ समझ लें.. जन्म लेते ही पैर पर खड़े हो गए थे.
खैर... गाड़ी-वाड़ी तो आ गई और सबको ले जाकर नजदीकी मंदिर में गाड़ी का पूजा पाठ भी करवा दिए.
उसके बाद.. बात आई गाड़ी की ड्राइविंग सीखने की.
तो, मैंने पहले फुरसत में ही हाथ खड़ा कर दिया कि भाई ये ड्राइविंग सिखाना मेरे बस का नहीं है क्योंकि मेरे लिए उतना समय निकाल पाना संभव नहीं है.
और, उसे वहीं मारुति शो रूम में गाड़ी की ड्राइविंग सीखने को भेज दिया (वो शो रूम ड्राइविंग भी सिखाता है).
वहीं.. पहली बार मुझे ये पता चला कि आजकल ड्राइविंग स्कूल भी इतने हाईटेक हो गए हैं कि पहले वे शो रूम में ही कम्प्यूटर पर ड्राइविंग सिखाते हैं (जैसे कि कम्प्यूटर पर पायलट की ट्रेनिंग होती है)
और, जब लोग कम्प्यूटर पर ड्राइविंग में एक्सपर्ट हो जाते हैं तो फिर उन्हें ओरिनल कार से प्रैक्टिस करवाई जाती है.
खैर... फीस वीस भरने के बाद ड्राइविंग स्कूल में एडमिशन हो गया और वहाँ से लौटते समय स्कूल वालों ने ड्राइविंग से संबंधित दो किताब पकड़ा दिया.
उन किताबों में ड्राइविंग के तरीके..
गियर , स्टेरिंग पकड़ने के तरीकों के अलावा... हाईवे पर दिखने वाले सिग्नल, लाइट्स, सड़क पर लगे निशान के मतलब आदि बताए गए थे.
साथ ही साथ उसमें सेफ ड्राइविंग के तरीके भी बताए गए थे.
जिसमें... सबसे खास था... ओवरटेक करने के तरीके... जो लॉजिकल होने के कारण मुझे बहुत जंचा..!!
उसमें बताया गया था कि... चाहे आप कितने भी एक्सपर्ट ड्राइवर हों लेकिन भारी वाहनों यथा.. ट्रक/ बस/ लॉन्ग वेहिकल को ओवरटेक करते समय और उससे पास लेते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें.
चाहे.. आपको कितनी भी हड़बड़ी क्यों न हो...
लेकिन, अगर आपसे आगे वाला भारी वाहन (गाड़ी) आपको पास नहीं दे रहा हो तो जबरदस्ती उससे आगे निकलने की कोशिश भूल से भी न करें..
क्योंकि, ये जानलेवा हो सकता है और दुर्घटना का कारण बन सकता है.
क्योंकि, आपसे आगे के भारी वाहन का ड्राइवर वो देख पाने में सक्षम है जो कि अपने आगे एक बड़े वाहन के होने के कारण आप नहीं देख पा रहे हैं.
ऐसे में अगर अपने से आगे के भारी वाहन के बिना पास दिए आप जबर्दस्ती उससे आगे निकलने की कोशिश करेंगे तो... हो सकता है कि सामने से आ रही गाड़ी से आपकी टक्कर हो जाये..
या फिर... आगे के खराब सड़क के कारण आपकी गाड़ी जम्प कर जाए एवं आप दुर्घटनाग्रस्त हो जाएं.
और... मेरे ख्याल से ओवरटेक करने का ये तरीका जितना गाड़ी के मामले में कारगर है उतना ही देश/ समाज एवं हमारे हिन्दू समुदाय के मामले में भी कारगर है.
आज हमारा हिनू समाज... एक स्पोर्टज़ कार के ड्राइविंग सीट पर बैठा है और अपने आगे-आगे चल रहे बड़े बस के ड्राइवर मोई के धीरे चलने पर झुंझला रहा है एवं उसे गालियाँ दे रहा है.
तथा... लगातार हॉर्न बजाते हुए उसे तेज चलने को कह रहा है..
अथवा, उसे बायपास करने पर उतारू है.
लेकिन, मुसीबत ये है कि... अपने स्टाइलिश लुक वाले स्पोर्टज़ कार के ड्राइविंग सीट पर बैठा हिनू समुदाय... वो नहीं देख पा रहा है जो आगे-आगे चल रहे बड़े बस का ड्राइवर मोई देख पा रहा है.
क्योंकि, बड़े बस के ऊंची ड्राइविंग सीट पर बैठे होने के कारण मोई की विजिबिलटी काफी अच्छी है और वो सड़क के दूर तक देख पा रहा है कि आगे सड़क की एवं ट्रैफिक की क्या हालत है.
इसके अलावा... वॉल्वो बस का ड्राइवर होने के नाते उनके पास रास्ते में आ सकने वाले किसी भी अनजान समस्या से निपटने के उनकी गाड़ी में GPS से लेकर विभिन्न चैनलों वाले FM रेडियो भी मौजूद हैं जो उन्हें रास्ते में घटित हो रही हर घटना के बारे में पल पल की जानकारी दे रहे हैं.
इतनी सावधानी के बाद भी अगर कुछ अप्रिय स्थिति उत्पन्न होती है तो फिर उस स्थिति से भी निपटने के लिए..
ड्राइवर मोई के पास शाह टाइप के एक्सपर्ट को-ड्राइवर, जय शंकर जैसे... इस इलाके के भौगोलिक नक्शे के जानकार एवं डोवाल जैसे हथियार बंद गार्ड भी मौजूद हैं.
और तो और.... आगे आगे चल रहे उस वॉल्वो बस का ड्राइवर मोई खुद भी काफी दिन तक एक प्रतिष्ठित ड्राइविंग स्कूल का फुल टाइम ट्रेनर भी रह चुका है.
इसीलिए... मेरा तो मानना है कि जब इतना एक्सपर्ट ड्राइवर न तो तेज चल रहा है और न ही पास दे रहा है..
तो, पीछे के स्पोर्टज़ कार को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए...
क्योंकि... नियम के विरुद्ध जबरदस्ती ओवरटेक करने से दुर्घटना हो सकती है और जान भी जा सकती है.
जैसा कि, हम कुछेक जोशीले ड्राइवर जेलेन्स्की और शेख हसीना आदि के जोश का नतीजा अपनी आँखों से देख ही रहे हैं.
इसीलिए, ऐसी स्थिति में बिना सड़क की स्थिति जांचे.... शाहीन बाग, खिसान आंदोलन, मौलाना साद टाइप के रोड ब्रेकर पर फुल स्पीड पर गाड़ी चढ़ा देने का वकालत करनेवाले सलाहकार मुझे वॉल्वो गाड़ी एवं उसके पैसेन्जर के दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा नजर आते हैं...
जो शायद दिल से ये चाहते ही नहीं हैं कि गाड़ी कभी डेस्टिनेशन तक पहुंचे..!
या फिर, अपने एडवेंचर की लालच में वे खुद भी जाएंगे और गाड़ी के बाकी निर्दोष पैसेंजरों को भी ले जाएंगे.
क्योंकि, ये बताने की आवश्यकता नहीं है कि.... हमारा ड्राइवर बेहद एक्सपर्ट है और वो अगर गाड़ी धीरे चला रहा है तो सड़क की हालत देखते हुए निश्चय ही ये अच्छी तरह-समझकर लिया निर्णय है.
और, मैं इस बारे में आश्वस्त हूँ कि जैसे ही वॉल्वो ड्राइवर को अच्छी सड़क मिलेगी वो खुद ही गाड़ी को टॉप गियर में डाल देगा..
कारण कि... उसे आपसे ज्यादा हड़बड़ी है उसके पैसेंजर को डेस्टिनेशन पर पहुंचाने की.
जय महाकाल...!!!
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