क्या आप को वास्तव में लगता कि मोदी सरकार किसी गाँव में मकान, शौचालय, नल से जल, फ्री का अन्न, जन-धन अकाउंट, सोलर पैनल, उज्ज्वला गैस, किसान निधि इत्यादि का वितरण करते समय कहेगी कि यह सभी सुविधाए उस गाँव के 10, 20, 40 लोगो को नहीं मिलेगी?
एक बार ठन्डे मन से सोचिए कि क्या ऐसा संभव है? इसे तुष्टिकरण कैसे कह सकते है?
आप कहते है कि इन 10, 20, 40 लोगो ने मोदी सरकार को एक भी वोट नहीं दिया।
सहमत।
क्या जो लोग वोट नहीं देते, उन्हें सरकारी तिजोरी से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है?
वोट देने या ना देने की च्वाइस आपको भी उपलब्ध थी कि आप प्रधानमंत्री मोदी के विज़न के समर्थन में अडिग खड़े रहते।
लेकिन आप जातिगत समीकरणों में उलझ गए। उम्मीदवार का चाल-चलन, व्यवहार की आलोचना करने लग गए।
इसके विपरीत जिस संगठित समाज ने राहुल-अखिलेश को वोट दिया है, उन्हें पता है कि राहुल-अखिलेश उनका काम नहीं करने वाले। फिरोज-इंदिरा-सोनिया की रायबरेली एवं संजय-राजीव-राहुल की अमेठी में चार दशक तक कोई विकास नहीं हुआ, जबकि इंदिरा, राजीव एवं सोनिया प्रधानमंत्री थे।
इसके विपरीत, मोदी के दस वर्ष वाली वाराणसी आज जगमगा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी लगातार सार्वजानिक मंच से बोलते रहे कि वे SC ST OBC आरक्षण के कोटे में किसी भी समुदाय को बैकडोर से सेंध नहीं लगाने देंगे।
जबकि कांग्रेस ने पात्रता के विपरीत जाकर एक समाज को OBC घोषित करके आरक्षित वर्ग में घुसा दिया था।
लेकिन तब भी कुछ लोगो ने तब भी एक भाजपा प्रत्याशी के बयान कि 400 सीट आने के बाद वे संविधान बदल लेंगे, को ऐसे इन्टरप्रेट किया कि मोदी सरकार आरक्षण समाप्त कर देगी।
आपको प्रधानमंत्री मोदी के कथनी-करनी में विश्वास नहीं है।
लेकिन उस राहुल पर विश्वास है जिसने अमरीकियों को बतलाया था कि हिंदू कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादियों से भी बड़ा खतरा हो सकते हैं।
आपको लगता है कि राहुल-अखिलेश गाँव के 10, 20, 40 लोगो को सरकारी सुविधाओं से वंचित कर देंगे?
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