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Wednesday, June 19, 2024

बिना शत्रुबोध के हार निश्चित है

 *बिना शत्रुबोध के हार निश्चित है!*


हिंदू और मुस्लिम के बीच का राजनीतिक अंतर... बिना इस्लाम को जाने, समझे, आप मुसलमानों का मुकाबला कभी नहीं कर पाएंगे।


*इस्लाम को समझना इसीलिए जरूरी है ताकि आप उस हिसाब से अपने आप का सही आंकलन कर पाएं।*


हिंदुओं में बड़े बड़े विद्वान हैं, और उन विद्वानों में भी कई विद्वान इस्लाम की समझ होने का दावा करते हैं, मगर सच में उन्हें इस्लाम की समझ नहीं।


*वैसे तो इस्लाम एक सैनिक संगठन है। इसका अध्यात्म से कोई लेना देना नही। पूरा इस्लाम ही एक मिलिट्री है, और उस मिलिट्री में विभिन्न पदों पर अलग अलग रैंक के अधिकारी होते हैं!*


जैसे काजी, मौलवी, मुफ्ती, खलीफा। 


*ये सब उस सेना में अलग अलग लेवल के अधिकारी हैं जैसे कर्नल, मेजर, जनरल वगैरह वगेरह। ये कोई आध्यात्मिक गुरु नहीं हैं, अपितु सैनिकों को हांकने वाले विभिन्न स्तर के सैनिक अधिकारी हैं।*


जिस मस्जिद को आप आध्यात्मिक स्थल समझते हो, वह वास्तव में मिलिट्री बेस है। यह बहुत ही गूढ़ ज्ञान है, जिसके बारे में हिंदुओं को कोई जानकारी नहीं। बड़े बड़े विद्वानों को भी नहीं।


*अब बात करते हैं इस्लाम के राजनीतिक व्यवहार पर...*


इस्लाम का भौतिक स्वरूप मिलिट्री का है, मगर इसमें राजनीतिक व्यवहार भी है। एक मौलवी (या अन्य कोई भी अधिकारी) ना सिर्फ उस सेना का कमांडर है, अपितु उस सेना को राजनीतिक रूप को आगे बढ़ाने का काम भी करता है। 


प्रमुख राजनीतिक फैसले अलग से कोई नेता नहीं लेते, अपितु मस्जिद में बैठे मौलवी, काज़ी और अलग अलग स्तर के इस्लामिक अधिकारी लेते हैं।


*हिंदुओं में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है, कि कोई व्यक्ति सैन्य अधिकारी भी हो, साथ में राजनीतिक अधिकारी भी हो, और साथ में धर्मगुरु कहलाए।*


जबकि इन तीनों का कॉम्बिनेशन एक मौलवी में होता है!


*एक मौलवी नेता (पॉलिटिकल लीडर), सैन्य कमांडर, और धर्मगुरु। (हालांकि इस्लामिक कमांडरों को धर्मगुरु कहना बेकार है, फिर भी आपकी समझ के लिए मैंने इस शब्द का प्रयोग किया है)!*


मस्जिद में बैठा मौलवी राजनीतिक योजना बनाता है, और पूरा इस्लामिक तंत्र उस फैसले पर अमल करता है। 


*कोई बड़ा से बड़ा मुस्लिम सांसद या विधायक भी मौलवी, मुफ्ती, काज़ी, खलीफा की बात नहीं काट सकता। उन सांसदों और विधायकों की इतनी औकात ही नहीं, कि वह मौलवी, काज़ी, मुफ्ती इन लोगों के खिलाफ जा सके।*


मुस्लिम समाज में उन सांसदों और विधायकों की कोई औकात नही। प्रमुख लीडर सिर्फ इस्लामिक अधिकारी होते हैं। 


*इस प्रकार छोटे बड़े, सभी मुस्लिम बाध्य होते हैं, अपने मिलिट्री अधिकारियों (मुफ्ती, मौलवी, काज़ी) की बात मानने को। अगर फैसला छत पर पत्थर रखने का हुआ है, तो सभी मुस्लिम उस पर अमल करेंगे।* 


और अगर फैसला किसी पार्टी या नेता को वोट देने का हुआ है, तो सभी मुस्लिम उस पर अमल करेंगे। इसमें किसी भी पॉलिटिकल पार्टी से जुड़े किसी मुस्लिम नेता की कोई औकात नहीं। प्रमुख नेता मौलवी ही होता है।


*इस प्रकार, इस्लाम एक मिलिट्री तंत्र, होने के साथ साथ एक राजनीतिक तंत्र भी है और अध्यात्म की खाल ओढ़े हुए भी है, और ये तीनों रोल, एक ही व्यक्ति में समावेशित होते हैं।*


अब आप सोचिए, हिंदुओं में ऐसा कोई सिस्टम है, जिसमें कोई व्यक्ति राजनेता भी हो, धर्मगुरु भी हो, और सेना का कमांडर भी हो। 


*सेना का कमांडर याने हिंदुओं का सैन्य कमांडर, ना कि भारतीय सेना का। इस प्रकार मौलवी की ट्रेनिंग ऐसी हुई होती है कि वह एक साथ तीनों, जिम्मेदारियां निभाता है, जबकि हिंदुओं में एक व्यक्ति सिर्फ एक ही जिम्मेदारी निभाता है।*


यह दिमाग को हिला देने वाला तथ्य है।


*आपने अभी तक इस्लाम को समझा नहीं, इसीलिए आपको यह भी पता ही नहीं कि उसका मुकाबला कैसे किया जाए।*


जब तक आप शत्रु की रग रग से वाकिफ नहीं हों, तब तक आप उसे हरा ही नहीं सकते। आप सिर्फ सपने देख सकते हैं, उसे हराने के।


*इस प्रकार एक हिंदू नेता, ना सिर्फ नेता होना चाहिए, बल्कि वह सैन्य कमांडर, और धर्मगुरु भी होना चाहिए। तभी वह हिंदुओं के लिए योग्य नेता होगा।*


एक ही व्यक्ति में तीनों का समावेश, वर्तमान में किसी भी एक व्यक्ति में नहीं दिखता। और इस दशा में आप सोच रहे हैं कि आप मुसलमानों को हराएंगे तो जरा *एक नजर अपने राजनेताओं पर डालिए, पार्षद सरपंच से लेकर विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, किसी भी पद पर, और किसी भी पार्टी पर चाहे कांग्रेस का हो, या भाजपा का, या फिर किसी अन्य दल का नेता!*


किसी भी नेता की और नजर डालिए और उसमें इन तीनों व्यक्तियों का कॉम्बिनेशन ढूंढिए, आप सर पकड़ लेंगे, क्योंकि आपको एक भी नहीं दिखेगा। एक भी नहीं।


*सिवाय धर्मसूर्य, हिंदू हृदय सम्राट, योगी आदित्यनाथ के, इसलिए पार्टी के अंदर हो या बाहर, दुश्मनों के निशाने पर रहते हैं, योगी आदित्यनाथ!*


*"राष्ट्रहित सर्वोपरि!"*


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*@AgniveerBharat*

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