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Friday, July 5, 2024

कितना पैसा बर्बाद होगा दिल्ली सरकार का केजरीवाल और उसके गिरोह के मुकदमों पर -

 कितना पैसा बर्बाद होगा 

दिल्ली सरकार का केजरीवाल 

और उसके गिरोह के  

मुकदमों पर -


दिल्ली हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और लोअर कोर्ट में आए दिन केजरीवाल एक के बाद एक मुकदमा दायर करता है और वकीलों को मोटी कमाई का मौका दे रहा है - केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह सभी के मुकदमों में वकीलों की फीस तो दिल्ली सरकार ही भर रही है और जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है -


परसों केजरीवाल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने दिल्ली हाई कोर्ट में उसकी CBI द्वारा की गई गिरफ़्तारी को चुनौती दी और कहा कि CBI ने 2022 में केस दर्ज किया, तब कोई arrest की बात नहीं थी, फिर उसे 2023 में summon करके 9 घंटे पूछताछ की और 2024 में गिरफ्तार कर लिया जिसकी कोई जरूरत नहीं थी -


सिंघवी साहब, 2022 से 2024 तक CBI के संज्ञान में कुछ तथ्य आए होंगे, तभी तो CBI ने कोर्ट से अनुमति मांगी उसे गिरफ्तार करने की और Rouse Avenue कोर्ट ने 3 दिन की custody दे दी और उसके बात न्यायिक हिरासत में भेज दिया 14 दिन के लिए - मतलब उसे CBI ने अपने आप गिरफ्तार नहीं किया बल्कि कोर्ट की अनुमति से किया और इसलिए सिंघवी साहब तथ्यों तोड़ मरोड़ कर पेश मत कीजिये -


कल एक और जमानत की अर्जी हाईकोर्ट में लगाई है केजरीवाल ने जबकि Rouse Avenue कोर्ट से मिली जमानत पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी और सुनवाई लंबित है, ऐसे में उसी कोर्ट में जमानत  लगाई जा सकती है - 


अब सवाल उठता है कि इतने सारे मुकदमों के बिल जनता के पैसे से क्यों भरे जाएं जबकि घोटाला किया केजरीवाल और उसके गिरोह ने - घोटाला ऐसे साबित होता है कि एक शराब नीति पहले से चल रही थी लेकिन केजरीवाल सरकार ने उसे बदल कर नई नीति बना कर लागू कर दी और उसी में जब घोटाला पकड़ा गया तो नई नीति हटा कर पुरानी फिर से शुरू कर दी - 


इसका मतलब साफ़ है कि नई नीति में गड़बड़ तो की गई और तभी उसे Scrap किया गया - अगर उसमे कुछ गलत नहीं होता तो वह नीति लागू रहती - 


सबसे बड़ी बात यह है कि केजरीवाल, सिसोदिया, जैन और संजय सिंह घोटाले में शामिल थे जिसकी वजह से वे गिरफ्तार हुए और संजय को छोड़ कर किसी को जमानत नहीं मिल रही  - क्या कोई कानून इन लोगों को घोटाला करने की अनुमति देता है - कभी नहीं ऐसी अनुमति कोई कानून नहीं दे सकता लेकिन फिर भी घोटाला किया जिसका मतलब साफ़ है कि संवैधानिक पद का दुरपयोग करके पैसा कमाया गया - 


लेकिन हर कोर्ट में दहाड़ मार मार कर चीखते रहे केजरीवाल और उसकी गिरोह के लोग कि घोटाला हुआ  तो पैसा कहां गया, हमारे घर में तो एक चवन्नी भी नहीं मिली - पैसा कभी हेराफेरी का घर में नहीं रखा जाता, उसे तो हाथों हाथ बट्टे खाते लगा दिया जाता है -


इसलिए किसी भी गैर कानूनी काम करके उसके बचाव में लड़े जाने वाले मुकदमों पर सरकार का खर्च करना किसी तरह भी उचित नहीं है और इसका उपचार केवल यह है कि केजरीवाल की सरकार को बर्खास्त कर दिया जाए जिससे बर्खास्त होने के बाद सरकार कोई बिल का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं होगी  -


सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने LG को आप पार्टी के वकीलों के बिलों का भुगतान करने के जो आदेश दिए थे, वे अनुचित थे क्योंकि LG ने वकीलों का पैनल और उनकी फीस तय ही नहीं की थी - फिर भुगतान कैसे किया जा सकता है -



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