मौलवी खुद दस बच्चे पैदा करता है, और सभी मुस्लिमों को यही शिक्षा देता है।
दूसरी तरफ, हिंदू धर्मगुरु, खुद भी ब्रह्मचारी रहता है,
और सभी हिंदू पुरुषों को ब्रह्मचारी बनने का संदेश देता है।
*कृपा यहीं अटकी हुई है।*
हिंदू का सारा जीवन दान दक्षिणा, भंडारा,
रक्तदान,
पेड़ लगाओ,
सभ्य बनो,
अनाथालय चलाओ,
अस्पताल चलाओ,
योग शिविर,
ध्यान शिविर,
मुफ्त शिविर लगाओ में जाता है।
इसके विपरित,
मुस्लिम कभी दान दक्षिणा में विश्वास नहीं करता।
वो सिर्फ जकात देता है,
*जिसका इस्तेमाल इस्लाम को बढ़ाने में होता है।*
बाकी सभी लोगों से वो पैसा छीनता है।
मुसलमान सारी मुफ्त सुविधाओं का लाभ लेता है,
अस्पतालों में भीड़ देखो,
बैंकों में योजनाओं का लाभ लेने वालों की भीड़ देखो,
तुम्हें सच पता चल जायेगा।
*मुसलमान हर पल भारत पर कब्जा करने की तैयारी में लगा हुआ है,*
और हिंदू दान दक्षिणा से ऊपर ही नही उठ पा रहा है।
जब तक हिंदू की नींद खुलेगी,
तब तक मुसलमान भारत पर कब्जा जमा चुके होंगे।
फिर ये धर्मगुरु, कथावाचक ,
शिविर चलाने वाले,
रक्तदान करने वाले,
भंडारा करने वाले,
पेड़ लगाने वाले;
ये सब बैठ के रोएंगे कि
"हमे बचा लो, हमें बचा लो"।
*पर बचाएगा कौन?*
*जब तुम्हें युद्ध की तैयारी करनी चाहिए थी,*
*तब तो तुम दान पुण्य में लगे थे।*
अब रोने से क्या होगा,
क्योंकि तुमने सिर्फ धर्म को करने पर ध्यान दिया लेकिन तुमने यह नहीं सोचा कि
*कोई अधर्म द्वारा तुम्हारे धर्म को मिट्टी में मिला रहा है l*
क्योंकि तूने सिर्फ अच्छा किया l
लेकिन तुम्हारे घर में कोई डाका डाल रहा है ,
तुम्हारे देश में कोई डाका डाल रहा है,
*तुमने उसे आंख मूंद लिया रोना* तो पड़ेगा ?
तुम्हारा सबकुछ मुसलमानों का है। उन्होंने अपना दिमाग सही जगह लगाया।
फालतू के चोंचले कभी पाले ही नही।
तुमने कभी युद्ध की तैयारी नही की। ना हथियार खरीदे,
ना हथियार बांटे,
ना दूसरों को चलाना सिखाया,
ना अपने बच्चों को चलाना सिखाया। *इसकी कीमत तो तुम्हें चुकानी ही होगी।*
इन भंडारों,
दान दक्षिणा से आगे निकलो,
और *युद्ध की तैयारी करो।*
भंडारे लगाना ही है,
तो हथियारों के लगाओ।
ट्रेनिंग देना ही है तो
हथियार कैसे चलाना है,
चाकू कैसे चलाना है,
तलवार कैसे चलाना है,
पेपेर स्प्रे कैसे चलाना है,
गुलेल कैसे चलाना है,
पत्थर कैसे फेंकना है,
बंदूक कैसे चलाना है,
पेट्रोल का प्रयोग कैसे करना है।
*ये सिखाओ...*
सामने वाली जिहादी टीम इसी काम में लगी हुई है।
तुम कब शुरू करोगे, ये सोच लो।
इससे पहले कि समय हाथ से निकल जाए,
अपनी ऊर्जा सही काम में लगा लो।
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