१. जब नबीमदीना पहुँचे, शरणार्थी होकर, तो वहाँ तीन क़बीले थे यहूदियों के।नबी कमज़ोर थे कहा कि में ही वो मेसेंजर हूँ जिसका तुम्हें इंतजार था। वो क़बीले बोले नहीं हो।
मो ० चुप रहे।
यहूदियों के तीन कवियों ने मो० के विरोध में व्यंग्यात्मक कवितायें लिखी। एक एक कर तीनों की हत्या हो गयी। यहूदी चुप रहे।
कैराना में रंगदारी ने देने पर हिंदू व्यापारियों की हत्या हुई। सब हिंदू चुप रहे।
२. मो० ने पहली लड़ाई जीती बद्र में । वापिस आकर एक यहूदी क़बीले से कहा जो ऊँटों पर रख कर ले जा सकते हो, लेकर शहर छोड़ जाओ। बाक़ी दोनो क़बीले चुप रहे।
पहले कुछ हिंदुओं ने कैराना में घर बेचे। शांतिदूतों ने बाजार भाव से ज़्यादा पर ख़रीदे । बाक़ी हिंदू चुप रहे।
३. मो० ने दूसरी लड़ाई हारीं। बोला ईमान वाले लालचीं हो गए इसलिए हारे। वापिस आते ही दूसरे यहूदी क़बीले से कहा जो सिर पर रख कर ले जा सकते हो लेकर शहर छोड़ दो। बाक़ी बचा कबीला चुप रहा।
कैराना में कुछ और हिंदुओं ने घर बेचे। बाज़ार भाव से कम पर बिके पर बिक गए। बाक़ी हिंदू चुप रहे।
४. मो० की तीसरी लड़ाई बिना फ़ैसले ख़त्म हो गयी। वापिस मदीना पहुँचे। बचे एक यहूदी क़बीले से कहा हथियार डालो।उन्होंने डाल दिए।मो० ने किशोर वय व उस से बड़े सारे पुरुषों के सिर क़लम कर दिए। औरतें व बच्चे ग़ुलाम हुए और शांतिदूतो में बँट गए। 20%मो० के हिस्से में आए, आसमानी किताब में लिखे अनुसार।
मदीना, एक cosmopolitan व multicultural शहर था जिसमें सात साल पहले एक भी शांतिदूत नहीं था, अब 100%शांतिपूर्ण थे।केवल सात साल मे ही मदीना से यहूदी ख़त्म हो गये थे !
कैराना में अब हिंदू घरों को ख़रीदार नहीं मिलते। ख़ाली कर ताला लगा कर चले जाते है। केवल 8%अशांति बची है कैराना में।
शांतिदूतो को तो नया कुछ करने की आवश्यकता भी नहीं होती। 1450 साल से उन्ही तरीक़ों का इस्तेमाल कर रहे है।
क्यूँकि काफ़िर भी ठीक उसी तरह आत्म समर्पण करते है। ना काफ़िर कुछ अलग करते, ना शांतिदूतो को कुछ नया करने की ज़रूरत पड़ती।
पुरानी यादें
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