कांग्रेस एक बार फिर से सेना के विरुद्ध खड़ी हो गई है.
एक अग्निवीर सैनिक की मृत्यु पर उनके परिवार को दिए जाने वाले पैसे के मामले पर कांग्रेस ने इतना जहरीला झूठ बोला कि खुद सेना को सामने आ कर उसका खंडन करना पड़ा.
आप सोचिये यह कितनी बड़ी बात है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता द्वारा संसद में एक बहुत बड़ा झूठ बोला गया, वह भी इतने संवेदनशील मामले पर.. जिसमें सरकार, रक्षा मंत्रालय और सेना को लपेटा गया.... और अंततः सेना को खुद इस झूठ को उजागर करने के लिए सामने आना पड़ा.
आपको लगा होगा यह पहली बार हुआ है.... लेकिन ऐसा है नहीं. आज कांग्रेस सेना के सम्मान के लिए हल्ला मचा रही है... लेकिन सच जानते हैं क्या है?
कांग्रेस ने आजादी के बाद जिस संस्था को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, जिस संस्था को सबसे ज्यादा बेइज्जत किया है.....वह है भारतीय सेना.
चलिए आपको बताते हैं कुछ अनजान किस्से... जो शायद आपको ना पता हों... कैसे और कहाँ कांग्रेस ने सेना के सम्मान को तार तार किया है.
- तीन मूर्ति भवन तो आपने सुना ही होगा... यह 1930 में बन कर तैयार हुआ था... इसका नाम था Flag Staff House... जिसे तत्कालीन भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ के लिए बनाया गया.... यानी तब के सेना अध्यक्ष के लिए
और जैसे ही आजादी मिली.. नेहरू जी धड़धड़ाते हुए इस 30 एकड़ के विशाल भवन में घुस गए और इसे अपना घर बना लिया.... सेना को तुरंत बाहर निकाल दिया गया.
उसके बाद यहाँ नेहरू Memorial बना दिया, प्लेनेटरियम बना दिया, लाइब्रेरी बना दी, म्यूजियम बना दिया.... कुल मिलाकर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया.
वो तो भला हो मोदी का.... जिन्होने इस Property को नेहरू गाँधी परिवार के चंगुल से निकाला.... और आज इसे प्रधानमंत्री संग्रहालय बना दिया है.. जहाँ सभी प्रधानमंत्रियों के काम के बारे में बताया जाता है.
आजादी के पहले हमारे देश के जितने भी सैनिक मारे गए थे युद्ध में.. उनके लिए India Gate बनाया गया था.... लेकिन उसके बाद बलिदान हुए सैनिकों के लिए कुछ नहीं था.... 50-60 के दशक से ही सेना एक War Memorial बनाने की मांग करती आई थी... जिसे कांग्रेस सरकार ने कभी नहीं माना.
इस काम के लिए भी मोदी जी ही आगे आये और War Memorial बनवाया.
- हमारे प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी तो सेना को कभी चाहते ही नहीं थे.... उनके हिसाब से भारत जैसे शांतिप्रिय देश को सेना नहीं चाहिए... इतना भारी भरकम खर्च नहीं करना चाहिए.... उनकी इसी सोच के कारण उनके सेना के साथ सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे.
- आजादी के बाद भारतीय सेना का नेतृत्व करने के लिए तीन बड़े अफसर तैयार थे.. जिनमे से एक थे तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल करियप्पा.... लेकिन नेहरू जी ने चुनाव था जनरल रॉय बुचर को.... जो जनवरी 1949 तक भारतीय सेना के चीफ रहे.
- भारत के प्रथम फील्ड मार्शल करियप्पा के साथ भी नेहरू जी ने कोई अच्छा व्यवहार नहीं किया. जब 1947-48 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई हुई तो नेहरू जी UN पहुंच गए, जबकि 2-3 दिन और लड़ाई चलती तो POK, गिलगित बल्टीस्तान भारत के पास होते.
जब तत्कालीन जनरल करियप्पा ने इस बारे में नेहरू जी से पूछा, तो उन्हें दुनिया जहाँ की राजनीति का ज्ञान मिला.
- 1951 में जब NEFA, जिसे हम अरुणाचल प्रदेश के नाम से जानते हैं... वहाँ कुछ चीनी सैनिक पकड़े गए थे, जिनके पास से कुछ आपत्तिजनक Maps और जानकारियां मिली थी... जनरल करियप्पा ने यह बात जब नेहरू जी को बताई... तो उन्हें यह कह कर चुप करा दिया गया, कि अब क्या तुम हमे बताओगे कि हम किसे अपना दोस्त समझे और किसे दुश्मन.
यह सारी जानकारियां Field मार्शल करियप्पा के बेटे एयर मार्शल KC करियप्पा ने उनकी बायोग्राफी में लिखी हैं.
नेहरू जी ने Field मार्शल करियप्पा के साथ बहुत game किये... उन्हें परेशान किया.. उनकी recommendations नहीं मानते थे... और जब वह इस्तीफ़ा देने को कहते थे तो टालमटोल करते थे.
ऐसे ही नेहरू जी ने जनरल थिमैया जी के साथ किया...उन्हें गुस्सा हो कर इस्तीफ़ा देने को कहा... और कुछ ही घंटे बाद वापस लेने को कहा.
1962 के युद्ध में भी नेहरू जी ने अपने मनमुताबिक लोगों को War lead करने को कहा.... जनरल थापर.. जो कारण थापर के पिता हैं...और रोमिला थापर जिनकी भतीजी थी.. उन्हें आगे बढ़ाया.
और result क्या मिला आपको पता ही है.
- भारत सेकंड World war के समय तक दुनिया के बड़े Defence Manufacturing देशों में आता था.... मित्र देशों के लिए हमारी Ordnance Factories से हथियार बन कर जाते थे.....
लेकिन नेहरू जी और उनके मित्र रक्षा मंत्री मेनन के अनुसार तो यह सब बेकार था.... उन्होंने Ordnance Factories में हथियार की जगह चीनी मिट्टी के बर्तन.. छोटे मोटे उपकरण बनवाने शुरू किये और सेना से सम्बंधित चीजें, जैसे कपडे, जूते, मोज़े तक बनाने बंद कर दिए........ और जब 1962 में युद्ध हुआ, तो हमारे पास गोलियां नहीं थी..सैनिकों के लिए कपडे नहीं थे.. सर्दी से बचाव के लिए कपडे नहीं थे.. जूते मोज़े तक नहीं थे.
- 1971 का युद्ध सेकंड वर्ल्ड war के बादके सबसे बड़े युद्ध में से एक था.. और 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण करवाना तो बहुत बड़ा कारनामा था... जो Modern History में अनूठा था. ऐसे कारनामे करने वाली आर्मी को मान सम्मान, पैसा मिलना चाहिए था...... लेकिन मिला क्या?? आर्मी की OROP बंद कर दी गई.
हमारे देश के हीरो, Field मार्शल Sam Manekshaw को कई सालों तक salary और अन्य भत्ते नहीं दिए गए.... इन चीजों के लिए उन्हें लड़ना पड़ा.. और बाद में उनकी मृत्यु से कुछ ही समय पहले उन्हें यह पैसा दिया गया था.
उनकी मृत्यु पर तत्कालीन केंद्रीय सरकार ने एक डिफेन्स राज्यमंत्री को भेजा.. अन्य कोई मंत्री नहीं गया था......उनके अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री और यहाँ तक की तीनों Armed Forces चीफ में से कोई नहीं गया.
Manekshaw जी हमारे देश के सबसे बड़े Heroes में से एक रहे हैं.... उनका कैसा सम्मान किया वो आप देख लीजिये.
- राजीव जी तो और भी आगे निकले.... Indian Peace Keeping Force को अपने Ego Satisfaction के लिए श्रीलंका भेज दिया.... कश्मीर जैसे ऊँचे इलाके और मैदानी इलाकों में तैनात सैनिकों को रातों रात जाफना के घने अँधेरे जंगलो में भेज दिया गया..... वो भी गुरील्ला आतंकवादियों LTTE से लड़ने के लिए.
कभी समय हो तो Jafna University Helidrop के बारे में पढियेगा..... बिना किसी तैयारी और बेकार Intelligence के कारण हमारे 36 सैनिक मारे गए.
जब हमारे सैनिकों को हेलीकाप्टर से Jafna यूनिवर्सिटी में drop किया गया... तब तक उन्हें चारों तरफ से घेर लिया गया था... और उसके बाद LTTE वालों ने उन्हें गोलियों से छिन्न भिन्न कर दिया था... एक एक सैनिक के शरीर में पचासों गोलियाँ पाइ गई थी.. इसी से समझ लीजिये यह कैसा operation हुआ होगा.
- कारगिल युद्ध से पहले तो हमारे सैनिकों के शव वापस घर भेजने की व्यवस्था ही नहीं होती थी..... जो जहाँ मर गया, वहीं उसे दफन कर दिया जाता था... कोई अंतिम संस्कार नहीं.... Dead Body के दर्शन नहीं नहीं होते थे परिवार को.
कारगिल युद्ध में पहली बार यह सुनिश्चित किया गया कि बलिदान हुए सैनिकों के परिवारों को उनकी Dead Bodies तो मिलें.... साथ ही कारगिल युद्ध के बाद ही मृत सैनिकों के परिवारों के लिए क्षतिपूर्ती रकम बढ़ाई गई.... कई तरह की सहूलियत दी गई.... बच्चों के लिए school कॉलेज में reservation आदि दिया गया... परिवार को पेट्रोल पंप देने की व्यवस्था की गई.
इस रकम को मोदी सरकार के आने के बाद और बढ़ाया गया.
- कांग्रेस को पसंद नहीं था कि मृत सैनिकों के शव उनके परिवारों को मिले... इसलिए कांग्रेस ने Coffin Scam का हौवा खड़ा कर दिया..... George Fernandees जैसे बेहद ईमानदार नेता पर लांछन लगाया.. और वह कई साल इस दाग़ को मिटाने के लिए लड़ते रहे..
अंततः सुप्रीम कोर्ट ने सारे आरोप नकारे... लेकिन तब तक Fernandees जी शारीरिक रूप से अक्षम हो चुके थे... उनके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था... वह अपने ऊपर लगे इस दाग़ को मिटने की ख़बर को समझे बिना ही दुनिया से चले गए.
- भारतीय सेना के CAOS को गली का गुंडा कहने वाला भी एक कांग्रेसी नेता ही था... शीला दीक्षित का बेटा संदीप दीक्षित.
- CAOS VK सिंह को बदनाम करने वाले.. और उन पर Coup करने का आरोप लगाने वाले भी कांग्रेस Ecosystem के लोग थे.
- उरी की surgical स्ट्राइक, बालाकोट की surgical स्ट्राइक का पाकिस्तान से ज्यादा मजाक कांग्रेस वालों ने ही उड़ाया.
- चीन के साथ कभी भी झड़प होती है.. तो कांग्रेस और उसका पूरा ecosystem भारतीय सेना को बदनाम करने के लिए खड़ा होता है. कोई कहता है चीन 1000 किलोमीटर अंदर आ गया... कोई कहता है हमारे जवान निकम्मे हैं.
- हमारे देश के प्रथम CDS, जनरल बिपिन रावत का अपमान करने वाले कांग्रेस के ही लोग थे... उनकी मृत्यु पर हंसने वाले भी उसी ecosystem के लोग थे.
- कांग्रेस के नेता ही थे.. जिन्होंने Indian आर्मी के कुछ अफसरों और MOD के अफसरों के साथ मिल जुल कर चंडीगढ़ लॉबी बनाई.. जिसका काम था विदेशी हथियारों को ही खरीदना... कई गुणा दामों पर और commission अपनी जेब में डालना.
मोदी ने और CDS जनरल रावत ने मिलकर Make In India पर जोर दिया.... जितने भी हथियार दूसरे देशों से लिए, सब Govt-To-Govt deal में लिए... और जो लिए उन्हें भारत में ही मैन्युफैक्चरिंग करने और Transfer of Technology के clause के साथ लिया.
यही कारण था कि कांग्रेस वाले CDS रावत जी ने चिढ़ते थे.
- OROP के लिए सेना 1971 से इसी कांग्रेस सरकार से लड़ रही थी... 2014 में जब इन्हें लगा कि अब सरकार नहीं बनेगी.. तब सेना के लोगों को रिझाने के लिए चुनाव से पहले OROP के लिए मात्र 500 करोड़ रूपए allocate करके गए थे मनमोहन सिंह जी.
जबकि 500 करोड़ में तो कुछ नहीं होता...जब मोदी जो ने OROP लागू किया... तो पुराने arrears के रूप में 10,000 करोड़ रूपए की रकम लाखों पेंशनर्स को दी गई थी... उसके बाद हर सार 7-8 हजार करोड़ का सालाना खर्च सिर्फ OROP पेंशन में होता है
और कांग्रेस 500 करोड़ का लॉलीपॉप दिखा कर सैनिकों के वोट खरीदना चाहती थी... है ना कमाल की बात.
और आज यही कांग्रेस वाले सेना के सम्मान की बात करते हैं.... इन्हें शर्म भी नहीं आती.
खैर कांग्रेस से ज्यादा तो हमारे देश के लोग कमाल हैं.. जिन्हे यह सब पता होते हुए भी शर्म नहीं आती... और अपने छोटे मोटे स्वार्थ के लिए बिक जाते हैं.
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