हरेक हिन्दू बस अपनी जिंदगी किसी तरह बचते बचाते जीते हुए दुनिया से विदा होने की फ़िक्र में है ...
आने वाला समय कैसा होगा ? उनके चले जाने के बाद उनके बच्चों को कोई मार देगा या जिस संपत्ति को छोड़ कर वो जा रहे हैं वो भी उनके बच्चों से छीन लिया जाएगा ये भी नहीं सोचना चाहते...
हिंदुओं में लड़ने की भावना तभी जाग पाती है जब उसके सामने सिर्फ एक ही विकल्प हो .. "मारो नहीं तो मर जाओ "
और जिस दिन ये विकल्प आता है तो उस दिन के लिए वो तैयार नहीं होते ... और ना उसके साथ कोई खड़ा होना चाहता है ..
ज्यादातर हिन्दू मानसिक तौर पर समझ ही नहीं पाता कि उसका दुश्मन कौन है .. वो उसी को दोस्त समझता रहता है जिसका एकमात्र लक्ष्य उसकी हत्या करके उसकी संपत्ति पर कब्ज़ा करना है और इस तरह से हरेक लोगों का खात्मा करके उस धर्म को मिटाना...
हिंदुओं के अपने बेवकूफाना तर्क है .. सोच है.. जैसे कि धर्म के लिए भी भला कोई किसी की हत्या करता है ?
जब मैंने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा तो मेरी हत्या कौन करेगा ? क्यों करेगा ? और फिर हम तो हमेशा बहुसंख्यक ही रहने वाले है ?
इस देश में सरकार है पुलिस है कानून है वो तो हमेशा बचा ही लेगी? धर्म किसी को मारने को नहीं कहता है ?
अब तक तो मेरी हत्या नहीं किया उन्होंने तो कैसे मान लूँ ?
अब तक तो मेरी जगह में कश्मीर आसाम जैसा हाल नहीं हुआ ?
अब तक तो मेरी बहन बेटी लव जिहाद में नहीं फंसी ?
हिंदुओं को ना ईतिहास पता है और ना वर्तमान में कहाँ क्या चल रहा है वो जानते हैं ?
सरकार पुलिस नेता सब उसी की सहायता करते हैं जो अपनी रक्षा करना जानता हो.. मोदी जी विकास के नाम पर चाहे भारत को जन्नत बना डालें मगर मुस्लिम के विचार से जन्नत पाने का रास्ता जिहाद नहीं निकाल सकते..
मेरे जैसे जितने भी साफ़ सोच वाले और कड़वी सच्चाई को समझने वाले लोग हैं वो तो अपने तरीके से लड़ेंगे ही .. पर जिसके लिए वो लड़ेंगे उनके ही गद्दारी की वजह से कुछ कर नहीं पाएंगे।
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