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Sunday, September 8, 2024

अनुरोध है जाती में बटोगे तो कटोगे

 अनुरोध है जाती में बटोगे तो कटोगे 👏


जाति क्या है ???


सुनार एक जाति है:----

सोने के आभूषण बनाने वाले को सुनार कहते हैं।


लोहार एक जाति है:---

लोहे का काम करने वाले को लोहार कहते हैं।


कुम्हार एक जाति है:---

मिट्टी के बर्तन बनाने वाले को कुम्हार कहते हैं।


कुशवाहा एक जाति है:---

कुश नाम की घास से विभिन्न‌ प्रकार के रस्सी खपरैल आदि बनाने वालों को कुशवाहा कहते थे।


बैलवाल एक जाति है:-----

हल जोतने के लिए बैलों का व्यापार करने वालों वृषभवान या बैलवाल कहा जाता था।


केवट एक जाति है:-----

नाव चलाने वालों को केवट कहा जाता था।


चर्मकार एक जाति है:---

चमड़े का काम करने वालों को चर्मकार कहा जाता था।


मोची एक जाति है:----

जूते आदि बनाने वालों को मोची कहा जाता था।


कोहली एक जाति है:----

प्राचीन काल में कोल्हू में तेल निकालने वालों को कोहली कहा जाता था।


दर्जी एक जाति है:----

दर्जी कपड़े बनाने वाले को कहा जाता है।

भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों को उनके काम के आधार पर उनको एक नाम दे दिया जाता था जिस से उनकी जाति ही उनकी पहचान बन गयी।


भूमिहार भी एक जाति होती है:--

इनके पास खेती की भूमि बहुत ही अधिक होती थी।


त्यागी भी एक जाति है:---

जिन्होंने संसार में रहकर सांसारिकता का त्याग कर दिया वह त्यागी कहलाया और उसके बच्चों ने भी नाम के आगे त्यागी लगाना शुरु कर दिया ।


खटवाल भी एक जाति होती है--

जो खाट बनाने का काम करते थे वो खटवाल हो गये।


चतुर्वैदी और त्रिवेदी भी एक जाति है:----

जिन्होंने दो वेद, चार वेद या तीन वेद पढ़ लिये उसने अपने आगे या तो चतुर्वेदी या त्रिवेदी या द्रिवेदी लगा दिया।


भारत में 90 % लोग खेती का काम करते थे:---

भारत में अनेक भाषाएं थी और बहुत से लोग जिस फसल को अधिक बोते थे उस के नाम से भी उनकी जातियां बन गयी !!!!


बंशीधर भी एक जाति है:---

जो बांसुरी बेचते थे और बांसुरी बजाते उनके बच्चे अपने नाम के आगे बंशीधर लिखने लगे।


धोबी एक जाति है:----

कपड़े धोने वालों को धो बी कहा जाता था।

खड्गवाल भी एक जाति है:---

जिनके पूर्वज कभी खड्ग बनाने का काम करते थे उनके बच्चे खड्ग वाल हो गये।


बनवारी एक जाति है:----

भारत में बहुत सारी जातियों को जो पहचान मिल वो उनकी क्षेत्रिय भाषा के आधार पर उनके काम के आधार पर उनको एक नाम दिया गया।

लेकिन बच्चे पीढ़ी दर पीढ़ी उसी नाम को बढ़ाने लगे:---


बकरवाल जो बकरी चराते थे ये काश्मीर की जाति है।


वर्तमान समय में इन जातियों का अब महत्व अब बहुत कम हो गया है----

क्योंकि अब कोई भी अपनी जाति के अनुरूप अपना काम नहीं कर रहा है---

अत: जातिय व्यवस्था का निर्धारण जब प्राचीन काल में आदमी के काम से होता था तो आज भी उसके काम के अनुसार ही उसकी जाति निर्धारित होनी चाहिए-----

अत:

जात -पात की करो विदाई।

हिंदू-हिंदू भाई भाई।


आपकी जाति उस समय आपके काम को निर्धारित करती थी और

आज आपके वर्तमान काम से उस जाति का कोई लेना देना नहीं है।

अत: जाति से उपर उठकर अपने काम पर ध्यान दें

हम भारतीय है और भारत हमारी माता है 😍🇮🇳


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