'Rat Children' की कुप्रथा, बचपन में ही ऐसे दिया जाता है इंसानी बच्चे को चूहे का रूप,
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ये कुप्रथा है रैट चिल्ड्रेन (Rat Children) यानी चूहे के बच्चे की। लेकिन यहां किसी असली चूहे नहीं बल्कि इंसान के बच्चे को चूहे का रूप दिया जाता है। फिर चूहे जैसे दिखने वाले इंसानी बच्चे को सड़क के किनारे या किसी धार्मिक स्थल (Religious Place) के आसपास खड़ा कर दिया जाता है फिर उस पर होती है पैसों की बारिश। क्योंकि ये मान्यता है कि रैट चिल्ड्रेन को बिना कुछ दिए आगे बढ़ गए तो फिर वो सबसे बड़ा अपशकुन है और तरक्की भी रूक जाती है।
छोटी सी झुकी हुई खोपड़ी, विकृत माथा और चूहे जैसी शक्ल और हरी पोशाक। ये एक पहचान है रैट चिल्ड्रेन की। ऐसे काफी संख्या में बच्चे या वयस्क पाकिस्तान की सड़कों या किसी धार्मिक स्थल पर आमतौर पर देखे जा सकते हैं। इन्हें चूहे के बच्चे या चूहास या फिर रैट चिल्ड्रेन के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें लेकर ये अंधविश्वास है कि अगर उन्हें पैसे देने से कोई मना करेगा, तो उस पर दुर्भाग्य का बोझ पड़ेगा, या उसके खुद के परिवार में बच्चे उन्हीं विकृतियों के साथ जन्म लेंगे। इन्हें शाहदौला के चूहे का भी नाम दिया गया है।
यह बच्चे माइक्रोसेफली एक दुर्लभ तंत्रिका संबंधी विकार या बीमारी से पीड़ित होते हैं। रैट चाइल्ड के रूप में कहे जाने वाले इन बच्चों में असामान्य रूप से छोटा सिर, गोल जबड़े और विकृत माथा होता है। पाकिस्तान के इस्लामिक गणराज्य के गुजरात शहर में ये बच्चे शाहदौला की दरगाह में शरण पाते हैं। कथित तौर पर देश भर से ऐसे लोग, जो संतान सुख से वंचित होते हैं, या बांझपन के शिकार होते हैं, वो बच्चा होने की उम्मीद में शाहदौला की दरगाह पर दुआ मांगने आते हैं। यहां दूर-दूर से लोग बीमार बच्चों को लेकर उनके स्वास्थ्य की दुआ मांगने भी आते हैं। शाह दौला की दरगाह को बांझपन दूर करने का अचूक उपाय माना जाता है।
पाकिस्तान में भिखारी माफिया रैट चिल्ड्रेन का रैकेट चला रहे हैं। भिखारी माफिया इन्हें मासिक अनुबंध के आधार पर भी काम पर रखते हैं। और अनुबंध समाप्त होने पर वापस इन्हें धार्मिक स्थल के प्रशासन को सौंप देता है। ऐसे बच्चे और युवा भीख मांग कर अपना जीवन व्यतीत करते हैं। ये अपने माता-पिता से कभी नहीं मिलते, इनका अपना कोई परिवार नहीं होता। मानसिक कमजोरी की वजह से यह दूसरों पर निर्भर होने के लिए बाध्य हैं।
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