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Saturday, June 22, 2024

पिछली एक सदी से चीन पर इतना भयंकर अटैक नहीं हुआ था, जो अब हुआ है. इससे बड़ा अटैक इंपीरियल जापान ने 100 साल पहले चीन पर किया था. अब भारत के दोनों हाथों में मोतीचूर की लड्डू है।

 पिछली एक सदी से चीन पर इतना भयंकर अटैक नहीं हुआ था, जो अब हुआ है. इससे बड़ा अटैक इंपीरियल जापान ने 100 साल पहले चीन पर किया था. अब भारत के दोनों हाथों में मोतीचूर की लड्डू है।


यह पोस्ट लिखने का मुख्य और महत्वपूर्ण विषयवस्तु यह है कि चीन पर किसी ने मिलिट्री अटैक नहीं किया है, अटैक हुआ है उसकी रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली अर्थनीति पर... और यह अटैक किया है खुद अमेरिका ने. इस अटैक से जो नुकसान हुआ है चीन का, वह मिसाइल और गोलियां चलने से भी ज्यादा है। यह खबर आने के बाद दुनिया भर के जितने भी रणनीतिकार और विशेषज्ञ हैं, चाहे वह भारत के समर्थक हों या विरोधी हों, वह कह रहे हैं कि, यह भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा सुनहरा मौका है भारत के लिए... इस दशक में भारत के लिए जितने उज्ज्वल सितारे हैं, वे सभी एक साथ एक लाइन में खड़े हो गए हैं भारत के लिए. 


चलिए अब पोस्ट के मुख्य बिंदु पर चलते हैं. अमेरिका चाइना पर बहुत बड़ा प्रतिबंध लगाने के लिए बाकायदा काम शुरू कर चुका है. यानी अमेरिका, चीन पर भारी मात्रा में खाने पीने की चीज हो या मिलिट्री इक्विपमेंट हो.. प्रतिबंध लगाने जा रहा है. और कुछ घंटों पहले अमेरिका से यह खबर निकलकर आ रही है कि, चीन के जो सेमी कंडक्टर हैं और इनसे जुड़ी हुई टेक्नोलॉजी है, उस पर अमेरिका आने वाले एक सालों में 100% तक टैरिफ लगाने जा रहा है। इससे चीन की सेमी कंडक्टर इंडस्ट्री पूरी तरह Destroyer हो जाएगी. क्योंकि अमेरिका सिर्फ चीन पर टैरिफ नहीं लगा रहा, इसी के साथ अमेरिका की जो कंपनियां थीं और उद्योगपति थे, वह चाइना के इन सेमी कंडक्टर कंपनियों को पैसा दे रही थीं और इनमें Investment कर रहे थे, उस सभी पर भी रोक लगा दिया जाएगा. 





चाइना की इन सेमी कंडक्टर कंपनियों को $52 बिलियन डॉलर अमेरिकी इनवेस्टरों से मिलने वाले थे, उस पर भी रोक लगा दिया जाएगा। इसके 2 परिणाम निकल कर आने की संभावना बताई जा रही है. एक :- चाइना के जो सेमी कंडक्टर चिप हैं उस पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगेगा, और इससे चिप की कीमत दुगनी हो जाएंगे. यानी जो चाइनीज चिप हम चीन से 500 रुपए में खरीदते थे, वह बढ़कर 1000 रुपए के हो जाएंगे. इस से चीन अतंरराष्ट्रीय बाजार में Compilation नहीं कर पाएगा. यानी अमेरिका या भारत से जो चिप आप 600 रुपए में खरीदते थे, उसे चीन बाजार में 500 रुपए में उपलब्ध करवा रहा था, चाहे उसकी Quality कैसी भी हो, यदि वह कम दाम में मिल रहे हैं तो, आपलोग उसे खरीदते थे, लेकिन अब 100 प्रतिशत टैरिफ बढ़ जाने से उसकी किमत 500 से 1000 रुपए हो जाएंगे. और उस से अच्छी Quality के भारत, युरोप और अमेरिका के चिप आधे दाम पर बिकेंगे, खासकर अमेरिकी मार्केट में. क्योंकि आप लोग जानते हैं कि, दुनिया की जितनी दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियां हैं, वह 97 प्रतिशत अमेरिका से आती हैं. ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े Electronic मार्केट अमेरिका के सिवाए दुनिया में और कहीं नहीं है. सबसे ज्यादा सेमी कंडक्टर की खपत अमेरिका में ही होती है. इसलिए अब से अमेरिकी मार्केट में चीनी कंडक्टर चिप का प्रवेश बंद हो जाएगा।

 दूसरा बड़ा नुकसान होगा चीन को:- अमेरिकी फंडिंग न मिलने से, दरअसल चीन की जितनी भी कंपनियां पिछले 30 सालों से शक्तिशाली बनी हैं, वे सारी की सारी अमेरिकी निवेशकों से. चीन का प्लान था कि, चीन अमेरिकियों के पैसे से अमेरिका को हराएगा. इसलिए चीन की सेमी कंडक्टर कंपनियां भारी मात्रा में अमेरिकी इनवेस्टरों से पैसे ले रही थीं. लेकिन अमेरिका ने अब यह सब बंद कर दिया है. चीन को मिलने वाले $50 बिलियन डॉलर बंद हो जाने से, चीन की कंपनियां रिसर्च के बिना अब नए नए Products नहीं बना पाएंगी. इसकी बजह से दिनोंदिन चीन की टेक्नोलॉजी पुरानी पड़ती जाएंगी. यानी देखा जाए तो चाइना पर अमेरिका ने दोहरा वार किया है. 


अब आप सभी मित्रों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि यह क्यूं कहा जा रहा है कि पिछले 100 सालों में चीन पर यह सबसे बड़ा हमला है. तो मित्रों, आनेवाला दशक सेमी कंडक्टर का ही है. क्योंकि फ्यूचर में सबकुछ इलेक्ट्रीफाई होने जा रहा है, और यह सेमी कंडक्टर के बिना असंभव है. इसलिए जिस देश के हाथ में सेमी कंडक्टर की सप्लाई चेन होगी, वही विश्व का किंगमेकर बनेगा. इसीलिए पूरी दुनिया का 5% सेमी कंडक्टर चिप चीन में बन रहा था, और अगले कुछ सालों में चीन इसे बढ़ाकर 27 से 30 प्रतिशत करने वाला था।  2050 तक चाइना 50 प्रतिशत को भी पार कर जाता. यानी उस वक्त दुनिया की आधी चिप, चीन में बन रही होती. अगर ऐसा हो जाता तो, चीन पूरे विश्व को अपने मुट्ठी में रखता और सभी उसके सामने सर झुकाते. इससे चीन एक सुपरपावर बनकर उभरता. लेकिन अमेरिका के इस वार से चीन का नंबर वन बनने का सपना टूटा है, बल्कि उसकी कमर भी टूट चुकी है. इसलिए इसे कहा जा रहा है कि, पिछले 100 सालों में यह चाइना पर सबसे बड़ा हमला है.


 परंतु इससे भारत को क्या फायदा मिलेगा, यहां पर फायदे की बात नहीं बल्कि एक नया इतिहास रचने की बारी है. क्योंकि चीन में बहुत सारी विदेशी कंपनियां सेमीकंडक्टर चिप बना रही हैं, जब उनपर 100% टैरिफ लग जाएगी तो उनके चिप महंगे हो जाएंगे, जब अमेरिका में चिप महंगे हो जाएगे तो, उनसे अमेरिकी Electronics कंपनियां चिप नहीं खरीदेंगी. इसलिए चाइना में चिप बना रही कंपनियां अब एक ऐसे देश की तलाश में हैं, जहां वह अपनी फैक्ट्रियां चीन से हटाकर उस देश में लगा सकें. आप यह जानकर हैरान होंगे कि इन सेमी कंडक्टर कंपनियों के लिए सबसे फेवरेट Destination वियतनाम थी. परंतु पिछले एक सालों से वियतनाम में पॉलिटिकल क्राइसिस चल रही है, वहां पर जो वामपंथी कम्युनिस्ट पार्टियां हैं, उनकी आपस में लड़ाई चल रही है और बहुत सारे स्कैंडल बाहर निकलकर सामने आ रहे हैं. इसलिए वियतनाम पॉलिटिकली स्टेबल नहीं है और यह सारी फैक्ट्रियां भारत का रुख कर रही हैं. इनमें से कई सारे फैक्टरियों के मालिक Already भारत सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं. अगर यह सारे सेमी कंडक्टर की कंपनियां भारत में अपना फैक्ट्री लगा लेती हैं तो, यकीन मानिए कि भारत एक सुपरपावर देश बन जाएगा. बन जाएगा नहीं, बन रहा है, क्योंकि कई कंपनियों ने अपनी फैक्ट्री का काम भारत में शुरू कर दिया है. इसमें एक और दिलचस्प बात यह है कि, पिछले एक सालों से चल रही इस कवायद में, चीन को यकीन हो चला था कि, अमेरिका उसपर भारी-भरकम प्रतिबंध या टैरिफ लगाएगा और उसके देश में बसी सेमी कंडक्टर की फैक्ट्रियां, या तो वियतनाम चली जाएंगी या तो भारत. इसलिए चीन इन दो देशों के अंदर पॉलिटिकली स्टेबिलिटी बिगाड़ने के मिशन पर लग गया था, उसको अच्छी सफलता ताइवान पर मिली, लेकिन उसकी सोच के अनुसार भारत में उतनी सफलता नहीं मिलीं। वो भारत की कुछ विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर इस पर भरपूर प्रयास किया था कि देश में एक अनस्टेबल सरकार बने, ताकि निवेशकों का भारत से मोहभंग हो सके. परंतु समय का कालचक्र अपनी कहानी कुछ और ही लिख रहा था......


💪 जय भारत 🇮🇳



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