राहुल गांधी को पी एम बनना है...
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इस आदमी में इतना दम भी नहीं है कि विपक्ष का नेता बन सके..गाँधीयों की ये जन्मजात बीमारी है... पी एम से नीचे कुछ नहीं सोचेंगे.
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पर ये खुद नेता विपक्ष बनने के लिए मना कर देगा....क्यों??
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क्योंकि लीडर ऑफ ऑपोजिशन एक जिम्मेदारी का पद होता है... कैबिनेट मंत्री के बराबर का रैंक मिलता है और उतनी ही जिम्मेदारी भी... डेली 10 बजे से पहले संसद पहुंचना होता है...संसद की कार्रवाही के बाद भी रुकना पड़ता है... अटेंडेंस पूरी देनी होती हैं... देश दुनिया के मामलों की जानकारी रखनी पड़ती है... पढ़ना लिखना पड़ता है... प्रतिपक्ष के तीखे सवालों के जवाब देने पड़ते हैं...जिम्मेदारी का काम है और जिम्मेदारी से ये हमेशा भागता रहा है... Power without responsibilty... वही चाहिए इसको..
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ये सब कर पायेगा क्या... इसकी अटेंडेंस हमेशा 50% से कम रहती है... सवाल दाग़ के जवाब सुने बिना भागने की इसकी आदत है... सरकार के किसी भी विभाग, संविधान और विषयों का ज्ञान इसे है नहीं.... रात में लेट सो कर सुबह कितने बजे उठेगा उसका ठिकाना नहीं...
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फिर भी मैं दिल से चाहता हूँ कि ये विपक्ष का नेता बने.... कम से कम चमचों को भी तो पता चले इसकी डेप्थ... हालाँकि सच्चाई पता चलते ही अपना मन बदल सकें इतना माद्दा चमचों में नहीं होता... क्योंकि वो आकंठ एक परिवार की गुलामी में डूबे हुए हैं. और लगे पड़े हैं सोशल मीडिया पर इसको पीएम बनाकर 😝
.फिर भी... हम इसे नेता विपक्ष देखना चाहते हैं... मनोरंजन फुल देगा ये पाँच साल...

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