🙄 *19 जनवरी 1990, हिंदुस्तान के इतिहास का एक ऐसा काला सच जो मैंने कश्मीर मे देखा l*
उस समय प्रेसिडेंट, पीएम, आर्मी चीफ, सेना, होम मिनिस्टर डिफेन्स मिनिस्टर इंटेलिजंस और विजिलेंस चीफ सब थे, फिर भी हिन्दुओ का कत्ल ए आम उनके ही हिन्दुस्तान मे हुआ और सब तमाशबीन बने रहे
*बड़ा याराना था, कश्मीर में रहने वाले हिन्दू और मुसलमानों के बीच....**
ईद-दिवाली साथ मनाया करते थे....
*एक-दूसरे के घर खूब खाया-पिया करते थे,*
विवाह-निकाह में आना जाना भी होता था, रोज़ दुआ-सलाम हुआ करती थी...
*बच्चे साथ में ही कश्मीरी "विलो" से बने बल्लों से क्रिकेट खेला करते थे....*
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*सचमुच....हिन्दुओं को बड़ा नाज़ था अपने कश्मीरी मुस्लिम दोस्तों पर....*
देखने में तो माहोल एकदम शांत और खुशनुमा दिखता था था....लेकिन मज्जिद और मदरसों में मुसलमानों को कुछ और ही सिखाया जा रहा था....
*आसमानी किताब कुरान के हवाले से एक ही बात सिखाई और पढाई जा रही थी कि जो अल्लाह को नहीं मानता और मुस्लिम नहीं है, उसे "जीने" का भी कोई अधिकार नहीं है..*
वह काफिर है, ...और काफ़िरो को ख़त्म करना, अल्लाह का हुकुम है...*
*इसी हुकुम को पूरा करने के लिए अल्लाह के बन्दे मुसलमानों को सभी हिन्दुओ के खिलाफ जेहाद छेड़ देनी चहिये....उन्हें ख़त्म कर देना चाहिए और उनका इस पवित्र कश्मीर से नामो-निशान मिटा देना चाहिए....*
और फिर वो दिन *19 जनवरी 1990* आ ही गया,
*जब शांत दिखता कश्मीर मज्जिदो के लाउडस्पीकर्स से आती ज़हरीली और जानलेवा तकरीरों से गूँज उठा.....*
मज्जिद के हर लाउडस्पीकर से एक ही आवाज आती थी.....हिन्दुओ कश्मीर छोड़कर चले जाओ, नहीं तो ख़त्म कर दीजिये जाओगे......
*कोई अपने घर को ऐसे कैसे छोड़ देता? और फिर हिन्दुओ को अपने पडोसी मुसलमानों की दोस्ती पर बड़ा नाज़ भी तो था! भला उनके अपने पडोसी *असलम, शाहिद, अनवर, महमूद, सुलतान उन्हें क्यूँ मारेंगे? सब भले मानुष है....हमें यहाँ कोई क्यूँ मारेगा?.*
लेकिन ऐसा नहीं हुआ.....जान से प्यारे मुसलमान दोस्तों के सामने ही हिन्दुओ का सामूहिक नरसंहार कर दिया गया, और कोई भी मुसलमान किसी भी हिन्दू को बचाने नहीं आया....
*हिन्दू औरतो और लड़कियों के स्तन तलवारों से काट दिए गए, उनके साथ सामूहिक बलात्कार किये गए,*
लेकिन किसी भी मुसलमान को उनकी चीखें नहीं सुनाई दीं....
*छोटे-छोटे बच्चों तक को जालिमो ने नहीं बख्शा,*
उन्हें भी गोलिओं से भून दिया गया.....ना तो कोई पुलिस बचानेआयीं, और ना ही कोई पडोसी मुसलमान...
*हैवानियत का नंगा नाच कश्मीर में हुआ और कोई भी मदद को आगे नहीं आया....*
जो कश्मीरी हिन्दू किस्मत से बच गए, वो सब आज दिल्ली इत्यादि शहरो में बेहद गरीबी में जी रहें है....
*उनके घर, मकानों पर मुसलमानों ने कब्ज़ा कर लिया है....*
बेशकीमती "सेब" के बागों पर भी अब मुसलमान काबिज़ हो गए है....
*कश्मीर घाटी को हिन्दू-विहीन कर दिया है....*
अब अल्लाह के बन्दों के निशाने पर पच्छिम बंगाल, असाम, केरल और अन्य कुछ राज्य है.....
*आपका राज्य, शहर और मोहल्ला बेशक इस समय शांत दिख रहा हो, और आपका मुस्लिम दोस्त बड़े ही अदब से आपके मिलता हो,*
लेकिन वह दिन दूर नहीं नहीं है जब आपके मोहल्ले में भी वही मुस्लिम दोस्त जिहाद छेड़ देंगे और आपको को कश्मीरी मुसलमानों की तरह गोलियों से भून देंगे....
*मुसलमानों की नज़रो में हर हिन्दू काफ़िर है, चाहे वह हिन्दू कहीं भी रहता हो,*
उसकी कोई भी जाति हो, ....उसे मारना ही उनका धर्म है, अल्लाह का फरमान है......
*इसलिए सतर्क हो जाओ.....जाति के नाम पर* *आपस में लड़ना छोड़ दो....*
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एक दुसरे की मदद करो....
*और शान्ति प्रिय अल्लाह के बन्दों के किसी भी हमले से निपटने के लिए तैयार रहो....*
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