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Friday, June 21, 2024

मोदीजी और मेलोनीजी

 मेलोनी / मेलोडी के बारे मे चटखारे ले ले कर बहुत बातें हुईं, हजारों मीम बनाये गये, लेकिन इस सब के बीच सबसे जरूरी बात पर लोगों का ध्यान ही नही गया। अतः श्रद्धालु भगतों के हितार्थ अब मै वो परम गोपन कथा कहता हूँ। ध्यान से सुनो रे सारे! 😂😂


UPA सरकार के अंतिम दिनों की बात है। इटली की एक हाईकोर्ट ने ऑगस्टा वेस्टलैंड चॉपर घोटाले मे रिश्वत देने के चार आरोपियों को 2013 मे सजा सुनाई थी। तब इदर वाली राजमाता सुपर पीएम हुआ करती थीं और रेनकोट अंकल PMO मे राजमाता का आदेश मानकर ध औपचारिक रूप से देश का शासन चलाया करते थे।


इस मामले मे भारत के एयरफोर्स अधिकारियों, सिविलियन ब्यूरोक्रैट्स, और पॉलिटीशियन्स को मिलने वाली रिश्वत की कुल रकम 70 मिलियन यूरो थी। राजमाता को इटली मे कोर्ट-कचहरी होने की खबर सुन कर इतना तो समझ आ गया था कि अब कुछ बहुत बुरा होने जा रहा है और इसका प्रभाव अगले साल होने जा रहे 2014 लोकसभा चुनावों मे कांग्रेस पर पड़ना तय है। खैर कोर्ट मे सुनवाई पूरी हुई और चार दोषियों को सजा सुना दी गयी। लेकिन तत्कालीन भारत सरकार ने इटली की सरकार पर दबाव डाल कर और लॉबीइंग करवा कर यह सुनिश्चित किया कि इटालियन कोर्ट की सुनवाई और निर्णय से भारत के वो नाम कभी बाहर न आने पायें जिन्हे रिश्वत दी गयी थी। परिणामतः इटली की तत्कालीन सरकार ने अपनी ही कोर्ट के निर्णय समेत मामले की सुनवाई के सभी डॉक्यूमेंट्स को क्लासीफाइड कैटेगरी मे डाल दिया। राजमाता और शहजादे को लगा कि उन्होने सारा मामला बाहर आने के पहले ही सफलतापूर्वक हमेशा हमेशा के लिये दफना दिया है और अब कोई खतरा नही है।


लेकिन मामले की उड़ती उड़ती भनक तो सबकी तरह हमारे साहब को भी थी ही। सो पॉवर मे आते ही उन्होने ED और CBI को काम पर लगाया। पूर्व वायु सेनाध्यक्ष त्यागी गिरफ्तार हुए। CBI ने अपनी चार्जशीट मे साफ तौर पर ऐ पी का नाम लिया जो राजमाता के खासमखास थे। 2018 मे भारत ने इस मामले के एक प्रमुख दलाल रहे क्रिश्चियन मिशेल को दुबई से प्रत्यर्पित करवा कर उससे पूछताछ शुरू की, लेकिन मिशेल ने यहाँ रिश्वत लेने वालों के नाम ऑफिशियली नही बताये तो नही बताये (जान का खतरा ही असल वजह रहा होगा, और क्या)। भारत के पास इस बारे मे पुख्ता सबूत कुछ था नही, और मिशेल गवाह बनने को राजी नही हुआ. . . तो अब जाँच गयी अटक!


अब मालूम चल रहा कि G7 बैठक मे ऑब्जर्वर बन के साहब यूँ ही इटली नही चले गये थे। मेलोनी मैम ने 2013 के उस अदालती निर्णय सहित सभी रिलेटेड दस्तावेज साहब की विजिट के दौरान उन्हे सौंप दिये हैं। इटालियन कोर्ट के निर्णय मे घोटाले मे एक पूर्व प्रधानमंत्री  और एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार के / की प्रमुख (राजमाता ही होंगी, और कौन) की भूमिका का स्पष्ट उल्लेख है। इटली से लौटने के बाद से साहब की भी बाँछें खिली खिली सी हैं। संभवतः वो सारे महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स अब हमारी जाँच एजेंसियों के पास पहुँच चुके होंगे, और उनकी स्टडी करके पूछताछ के लिये लोगों की लिस्ट बननी शुरू हो गयी होगी, पुख्ता अभियोजन की तैयारियां जोरशोर से शुरू हो गयी होंगी।


सहज बुद्धि कहती है कि संभवतः यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है सोशल मीडिया से लेकर देश भर मे जगह जगह चल रहे कागी  उत्पात का — ताकि जब ED और CBI सारे सबूतों के साथ राजमाता को शिकंजे मे लें, तब ये हंगामा खड़ा किया जा सके कि देश की आंतरिक सुरक्षा मे विफलता से लोगों का ध्यान हटाने के लिये मोदी “परिवार” को बेवजह फँसा रहे हैं - बदले की राजनीति कर रहे हैं।


साहब की शोना ने अब जो किया है - भारत उसके लिये सदैव उनका आभारी रहेगा। दुख है तो बस इसी बात का कि यदि शोना ने इस बात पर विश्वास किया होता कि उनका बाबू ही यहाँ फिर से सरकार बनायेगा, और ये डॉक्यूमेंट्स चार-छह महीने पहले ही बाबू को दे दिये होते — तो तमाम ठगबंधन के बावजूद इन चुनावों की कहानी ही कुछ और होती, सूपड़ा साफ हो जाता कांग्रेस का — अठानबे तो क्या दस सीटें भी नही मिली होतीं।


अब देखना यही है कि साहब इस पूरे मसाले का इस्तेमाल कर जल्द से जल्द कनविक्शन करवाते हैं, या एक बार फिर से राजनीतिक शिष्टाचार निभाने का - द फैमिली को बच निकलने के लिये सेफ पैसेज देने का खेल खेला जायेगा।




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