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Sunday, June 23, 2024

आज जब पूरे ट्विटर पर नालन्दा को जलाने का आरोप ब्राह्मणों पर मढ़ा जा रहा था,

 आज जब पूरे ट्विटर पर नालन्दा को जलाने का आरोप ब्राह्मणों पर मढ़ा जा रहा था, उसी समय दिलीप मंडल ने अपने तीर निकालकर नालन्दा विध्वंस का दोषी बख्तियार खिलजी को साबित करते हुए और ब्राह्मणों/हिन्दुओं को बेकसूर साबित करते हुए विरोधी पक्ष के खेमे में अफरातफरी मचा दी। मण्डल ने वामपंथ को वैचारिक आतंकवाद भी कह दिया।


उन्होंने लिखा,


सवर्ण वामपंथी और उदारवादी इतिहासकार कुछ दिनों बाद ये भी साबित कर देंगे कि अफगानिस्तान के बामियान और पाकिस्तान की स्वात घाटी में हजारों बुद्ध मूर्तियों को तालीबान और इस्लामिक कट्टरपंथिषों ने नहीं, ब्राह्मणों ने तोड़ा था! 


सेक्युलरिज्म को बचाने के "महान उद्देश्य" को पूरा करने के लिए वे ये कर सकते हैं. उनको आता है. 


नालंदा के इतिहास को हमारी आंखों के सामने बदला जा रहा है. खिलजी का अपराध ब्राह्मणों के माथे मढ़ा जा रहा है. 


बीजेपी और संघ के बुद्धिजीवी पता नहीं किस बात के बुद्धिजीवी हैं. उनकी औकात नहीं है इस वैचारिक आतंकवाद से लड़ने की. उनकी स्टडी भी कम है.


बामियान बुद्ध को 2001 में तालिबान ने बारुद लगातर उड़ा दिया था. वामपंथ का अफीम बहुत खतरनाक है. अपने पराए का भेद नहीं रह जाता. राष्ट्र हित नजरों से ओझल हो जाता है. सामाजिक एकता बर्दाश्त नहीं होती.

––दिलीप मंडल


डीएन झा के निराधार दावों से पहले डॉ. भीमराव अंबेडकर ने नालंदा विध्वंस के विषय पर इतिहासकार विंसेंट स्मिथ को उद्धृत किया था, जिन्होंने स्वयं समकालीन दस्तावेजों को उद्धृत करते हुए स्पष्टतः बताया है कि कैसे बख्तियार खिलजी ने नालंदा को जलाकर नष्ट कर दिया था और कैसे उसने वहाँ के सभी भिक्षुओं को मार डाला था।  


इस पर डॉ अम्बेडकर ने लिखा है कि “कुल्हाड़ी मूल में ही लगी थी, क्योंकि बौद्ध पुरोहितों को मारकर इस्लाम ने बौद्ध धर्म को ही मार डाला। यह भारत में बुद्ध के धर्म के सामने सबसे बड़ी आपदा थी।” 

-BAWS, Vol 3, Page 246 


स्क्रीनशॉट में मंडल जी ने जो बात कही है, उसमें दम है। इस हमले में अम्बेडकर ही काम आ रहे हैं। सावरकर अध्ययन का अभाव एक बहुत बड़ी भूल है जिससे अनेक जवाब मिल जाते हैं, सावरकर की पैनी धार जिसमें आ गयी, वह किसी भी हमले में छितराएगा नहीं। हिन्दू युवा अपनी शक्ति व्यर्थ के साहित्य और बाबाओं की फालतू बातों के समर्थन में जाया कर रहे हैं। प्रबुद्ध बौद्धिक युवा इतनी बड़ी समस्याओं को छोड़कर यह सिद्ध करने में अड़े हैं कि माँ अपने बेटे को उसके नाम से न बुलाए, इसी बात पर दो हिन्दू कल घण्टों मुझसे लड़ाई करते रहे।



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