मेरी पोस्ट पर एक सपा समर्थक (अखिलेश के साथ फोटो है) भिड़े हुए है। उनके कमेंट के द्वारा मैं सपा एवं सपा समर्थको की सोच पर प्रकाश डालना चाहता हूँ।
उन्होंने लिखा कि पेपर लीक के कारण मुन्नाभाई जैसे लोग मेडिकल मैं एंट्री कर रहे है; दूसरी ओर बाकी प्रोफेसर बन कर बच्चो का भविष्य खराब करेंगे।
मैंने उत्तर दिया कि पेपर लीक को रोकने के लिए सार्थक उपाय किया जा सकता है? मुन्नाभाई जैसे लोग पहले भी मेडिकल मैं एंट्री कर रहे थे। विश्वास ना हो तो लालू की पुत्री का केस ही देख लीजिए। इसके अतिरिक्त बेस्ट ऑफ़ द फेल्ड क्लास का भी केस देख लीजिए जहाँ नेगेटिव (अर्थात जीरो से भी कम) मार्क्स के बाद भी एडमिशन/नियुक्ति मिल जाती है।
दूसरे शब्दों में, क्या सपा स्पष्ट करेगी कि वह आरक्षित श्रेणी के कैंडिडेट को बेस्ट ऑफ़ द फेल्ड क्लास के अंतर्गत सेलेक्ट नहीं करेगी?
चुप्पी।
फिर वे लिखते है कि आपके पास तो बुलडोजर है, वही फार्मूला क्यों नही अपनाया पहली बार लीक होने पर।
मैंने पूछ लिया कि बुलडोजर तो अखिलेश के पास भी था। उसने क्यों नहीं चलवा दिया? उसके समय में कैसे 70% नियुक्तियां एक ही जाति के लोगो को मिल जाती थी?
फिर पूछते है कि क्या आप बता सकते है कि बीजेपी और कांग्रेस एवम सपा मैं क्या फर्क है?
यह एक आश्चर्जनक प्रश्न है। एक सपा समर्थक लिख रहा है कि बीजेपी और कांग्रेस एवम सपा में कोई अंतर नहीं है। अगर ऐसा ही है तो सपा को समर्थन ही क्यों दे रहे है?
मैंने लिखा कि मुख्य अंतर यह है कि किशोरियों एवं महिलाओं ने सड़क, रेल पटरी के किनारे शौच करना बंद कर दिया है। 50 करोड़ नागरिको का पहली बार बैंक अकाउंट खुला है। अगले वर्ष तक सभी नागरिको को घर, उस घर में नल से जल मिल जाएगा। बेनफिट ट्रांसफर एवं सब्सिडी में एक रुपये का सौ पैसा लाभार्थी के पास पहुँच रहा है। नवजात शिशु की मृत्यु दर 2014 की तुलना में आधी रह गयी है।
क्लास 3 एवं 4 की भर्तियों के लिए इंटरव्यू समाप्त हो गया है। मार्कशीट अटेस्ट कराने की आवश्यकता बंद हो गयी है। बैंक का NPA 2 प्रतिशत से कम रह गया है। सभी सरकारी बैंक लाभ कमा रहे है। भारत फ्राजाईल फाइव से अब विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने वाला है। सेल फ़ोन मैन्युफैक्चरिंग में हम नंबर दो पर आ गए है। विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हाईवे सिस्टम अब भारत में है।
कश्मीर के बाहर आतंकी हमले बंद हो गए है (पहले हर सप्ताह होते थे)। और आतंकी हमलो का समुचित उत्तर दिया जाता है। सेना एवं अर्ध सेना को जो हथियार चाहिए, वह उपलब्ध कराया जा रहा है। डिफेन्स डील्स में भ्रष्टाचार समाप्त हो गया है; दलाली बंद हो गयी है। 370 से मुक्ति मिल गयी है। नयी कानून संहिता पहली जुलाई से लागू हो जायेगी।
यह सभी कार्य कांग्रेस भी कर सकती थी। सपा यूपी में कर सकती थी। लेकिन नहीं किया।
फिर वह धमकाते है कि आपकी अपनी कोई विचारधारा नही है, मानते है कि नही। अभी सरकार बदलने दो तब देखियेगा।
मुझे लिखना पड़ा कि सबका साथ, सबका विकास, यही मेरी विचारधारा है। रही बात सरकार बदलने की, तो भाजपा का वोट शेयर सपा से 10% अधिक चल रहा है। यूपी में कांग्रेस एवं सपा का वोट शेयर भाजपा के बराबर है; लेकिन भाजपा-RLD-अपना दल गठबंधन से दो प्रतिशत कम है। पूरे UPA से अधिक सीट अकेले भाजपा को मिली है। भाजपा का गेम प्लान सबको साथ लेकर चलना है। सपा का क्या गेम प्लान है? रही बात मोदी-योगी सरकार बदलने की, तो सपने देखना अपराध नहीं है।
फिर वे लिखते (पुनः धमकाते) है कि समय है कभी भी बदल जाता है हम ओर आप कुछ नही कर सकते है, अभी तो सुरुवात हुई है। इतना तो समझ आ गया कि विचारों से शून्य है पार्टी।
मैंने लिखा कि सैफई में नाच-गाना करवाना अगर विचारो की उत्कृष्टता है, या फिर एक ही परिवार के पांच सदस्यों को लोक सभा भेजना है तो भाजपा आपको विचारों से शून्य ही लगेगी।
रही बात शुरुवात की, तो वह 2014 से लोक सभा एवं 2017 से यूपी विधानसभा में दिखाई दे रही है। MY वोट आपको केवल 30 प्रतिशत ही ले जाएगा, जबकि यूपी में भाजपा अब 42% पर चल रही है। यूपी के बाहर सपा का आस्तित्व नहीं है। किसी ने कहा है कि दीर्घकाल में हम सभी मृत्यलोक को प्राप्त कर लेते है। अतः दीर्घकाल तक शुरुआत की प्रतीक्षा के लिए शुभकामनाये।
जब आपने बीजेपी और कांग्रेस-सपा के मध्य अंतर पूछा था तो मैंने उसका उत्तर दे दिया था। अब आप बतलाइए कि अखिलेश का भ्रस्टाचार, आतंकवाद, सर्जिकल स्ट्राइक, सड़क पर धार्मिक बलि देना, सैफई में नाच-गाना इत्यादि के प्रति क्या नीति है?
आतंकवाद के प्रति क्या नीति है?
वह भिड़े हुए है लेकिन इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे रहे है।
भाजपा समर्थक अपनी पार्टी की कटु आलोचना कर रहे है; आत्मविश्लेषण कर रहे है। किसी को कोई धमकी नहीं।
वहीँ सपा एवं कांग्रेस समर्थक अपनी पार्टियों से संतुष्ट है, प्रसन्न है; कोई नीतिगत बदलाव नहीं चाहते है; कोई मांग भी नहीं है। उल्टा भाजपा समर्थको को धमका रहे है।
यही अंतर है भाजपा एवं अन्य दलों के मध्य !
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