संयुक्त राष्ट्र संघ की एक एजेंसी ने कहा है कि अरुंधती राय पर जो मुकदमा किया है उसको वापस ले लो इस खबर पर एक भाजपा के मित्र ने सोशल मीडिया पर लिखा कि देखो कैसे इकोसिस्टम कम कर रहा है मैंने उनको वापस यह जवाब दिया है
कब तक हम इकोसिस्टम का बहाना लेंगे सरकार हमारी है 14 से 10 साल तक फैसला क्यों नहीं लिया दिल्ली के LG ने
ठीक है कुछ चीजों के लिए एक का सिस्टम का बहाना चल सकता है लेकिन सरकार यदि गोर ही नही की तो इकोसिस्टम क्या करेगा
मोदी जी दंड का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं जबकि यह परम सत्य है कि शासन बगैर दंड के कभी चलता ही नहीं है नतीजा यह है कि भारत के विपक्ष ने इस समय भाजपा और सरकार को अपनी उंगलियों पर नचा रखा है
वे सुबह उठते हैं फिर एक नया झूठ बोलते हैं और उसे झूठ को शाम तक इतना फैला देते हैं कि लोगों को सच लगने लगता है भाजपा का आईटी सेल तो लगभग खत्म जैसा ही है सोशल मीडिया पर आप मेरे जैसे भगत सच्चाई को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं लेकिन झूठ हमेशा ज्यादा फैलता है
उनकी तीन स्टेट में सरकार है और उन्होंने सैकड़ो पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज करवा दिए जबकि केंद्र में और कितने राज्यों में होने के बावजूद भाजपा वाले नहीं करवाते हैं अब देखिए आम आदमी आप जैसे और मेरे जैसे तो मुकदमे दर्ज करवाने से रहे हमने सता उनको सौंप दी है उनके साथ खड़े हैं उसके बावजूद यदि नहीं कर रहे हैं तो गलती उनकी है
पिछले 10 वर्षों में मोदी जी ने कभी भी ऐसा नहीं लगा कि झूठ बोलने वालों के खिलाफ कभी दंड का इस्तेमाल किया हो बल्कि वह हर बार विपक्ष के दबाव में आ गए हैं ऐसा मानते हुए मुझे बिल्कुल भी संकोच नहीं होता है क्योंकि देख रहे हैं ना
बंगाल में भाजपा के कार्यकर्ता मारे गए हैं ईडी पर हमला हो गया सीबीआई पर हमला हो गया आखिर बंगाल के लिए मोदी जी किस बात का इंतजार कर रहे हैं यदि कश्मीर में हिंदुओं के खातमे के लिए कांग्रेसी दोषी है तो बंगाल के लिए मोदी जी दोषी साबित हो रहे हैं
बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद में जो बंगाल में रह रहे ना आप उनसे पूछिए कि वे किसी हालत में रह रहे हैं और उसी का नतीजा है कि लोकसभा में आपने देख लिया होगा आखिर बंगाल का हिंदू या कोई दूसरा बीजेपी के साथ क्यों जुङा रहेगा जब उनकी परवाह ही नहीं कर रहे हैं
बस वह तो यह बोल देते हैं दीदी तो दीदी
और यह सब बातें मोदी जी के खिलाफ लिखते हुए मन में बहुत दर्द है बहुत पीड़ा है लेकिन क्या करें सच्चाई तो यही है ना
यह ईकोसिस्टम वाला अब लोगों को बताते हैं ना तो लोग हमारे ऊपर हंसते हैं हमारी कमजोरी ही साबित होती है
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