राहुल गांधी लोकसभा में सदन के विपक्ष के नेता बन गया है
माने भारत का नेता प्रतिपक्ष
अब ED या सीबीआई का जो भी अध्यक्ष नियुक्त होगा उसमे नेता प्रतिपक्ष की भी सहमति होगी
जैसे मुख्य चुनाव आयोग की नियुक्ति में अधीर रंजन चौधरी की सहमति थी
तो हे चमचो अब आगे से ed सीबीआई पर सवाल उठाने से पहले सोच लेना कि अब ed सीबीआई की हर कार्यवाही को तुम्हारे मालिक की भी सहमति है।
वैसे ये देश का दुर्भाग्य ही है की 420 और फ्रॉड के केस में जमानत धारी लोग अब ये तय करेंगे कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी कौन चलाएंगे ।
खैर देश तो संविधान से ही चलेगा वो
चाहे जैसा भी है ।
ये राहुल गांधी विपक्ष का नेता बन तो गया है जिसकी मुझे तो आशा बिल्कुल भी नही थी क्योंकि लीडर ऑफ ऑपोजिशन एक जिम्मेदारी का पद होता है... कैबिनेट मंत्री के बराबर का रैंक मिलता है और उतनी ही जिम्मेदारी भी... डेली 10 बजे से पहले संसद पहुंचना होता है...संसद की कार्रवाही के बाद भी रुकना पड़ता है... अटेंडेंस पूरी देनी होती हैं... देश दुनिया के मामलों की जानकारी रखनी पड़ती है... पढ़ना लिखना पड़ता है... सतापक्ष के तीखे सवालों के जवाब देने पड़ते हैं...जिम्मेदारी का काम है
और जिम्मेदारी से ये हमेशा भागता रहा है... ये सब कर पायेगा क्या... इसकी अटेंडेंस हमेशा 50% से कम रहती है... सवाल दाग़ के जवाब सुने बिना भागने की इसकी आदत है... सरकार के किसी भी विभाग, संविधान और विषयों का ज्ञान इसे है नहीं.... रात में लेट सोकर सुबह कितने बजे उठेगा उसका ठिकाना नहीं...
वैसे Power without responsibilty... वही चाहिए थी इस को..
लेकिन इसकी अक्ल अब शायद ठिकाने आ जाए
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