#इन्होंने_पिछली_रोटी_खायी_है !!
दो साल पहले वस्तुओं के दामों के प्रति अति संवेदनशील बंगाल में विधान सभा चुनाव के कुछ हफ्ते पहले ही साहेब ने रसोई गैस के दाम बढ़ा दिये थे जिसका शहरी क्षेत्रों में बहुत बुरा असर हुआ।
इस बार के अंतरिम बजट में भी सरकार ने लोगों को कोई राहत नहीं दी।इतना ही नहीं अपने तमाम इंटरव्यू में मोदी जी यही बोलते रहे कि चुनाव तो आते-जाते रहेंगे लेकिन मेरी #दृष्टि_दूर_पर है।
साहेब आप चुनाव जीतेंगे तभी न दृष्टि को दूर पर रख पाएंगे !
#वाजपेयी जी ने भी दूर पर दृष्टि रखते हुए खूब खजाना भरा था,चुनाव हार गये,सत्ता से बाहर हो गये और जो सत्ता में आये उन्होंने जी भरके धन लुटाया।आप भी वही गलती कर बैठे।
मेरा निश्चित मत है कि चुनाव में बहुमत न मिलने के बाद #अब_ये_लोग किसानों के अनाजों का एमएसपी भी बढ़ाएंगे,खाद और बीज पर जीएसटी भी हटाएंगे और आयकर सीमा में छूट भी देंगे !!
अब इन्हें पेपर लीक की भी सुध आएगी लेकिन पहले अपना फुल प्रूफ मॉडल क्यों नहीं रखा ?
अब इन्हें #अग्निवीर की गलत प्रस्तुति और उसमें संशोधन की भी याद आएगी !
#अब_शायद इनकी निजी स्कूलों और निजी अस्पतालों की लूट को लेकर भी नींद टूटेगी ?
प्रश्न है कि ये सब पहले ही करने से किसने मना किया था ??
इसी को कहते हैं पिछली रोटी खाना !
#अब अजीत भारती की भी चिन्ता हो रही है लेकिन कल तक श्री भारती के विरुद्ध अपने सॉलिसिटर जनरल को आप ही खड़ा कर रहे थे।
मध्यम वर्ग और सामान्य वर्ग को भी आयुष्मान योजना में #आखिर_क्यों_नहीं लाना चाहिए ?क्या इस वर्ग का काम सिर्फ टैक्स देना है ?
सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों की फीस भी आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों के समान ही शून्य क्यों नहीं की जानी चाहिए? आखिर एक ही पद और एक ही वेतन पा रहे दो कर्मचारियों के बच्चों के साथ यह अन्यायपूर्ण भेदभाव क्यों ??
और एक बात !
*उस फाइव ट्रिलियन इकॉनोमी का क्या करना जब केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को डेढ़ साल का #बकाया_भत्ता_ही_नहीं दिया !?
*उस ब्रह्मोस और अग्नि मिसाइलों का क्या करना जब कोई नूपुर शर्मा आजतक भी अपने घर से नहीं निकल पा रही !?
*उस संविधान की सर्वोच्चता का क्या करना जब एक साधारण नागरिक और एक बड़े आदमी को न्याय देने में और न्याय देने के समय में #आकाश_पाताल का अंतर है !?
*संविधान तब कहाँ खो जाता है जब एक साधारण कर्मचारी तो #मात्र_अड़तालीस_घंटे ही लॉकअप में रहने पर सस्पेंड हो जाता है #लेकिन एक मंत्री या मुख्यमंत्री महीनों तक जेल में रहकर भी सस्पेंड नहीं होता !?
*संविधान की शुचिता और नैतिकता तब कहाँ विलुप्त हो जाती है #जब_न्यायमूर्ति अपनी #संपत्ति_का_ब्यौरा वेबसाइट पर डालकर सार्वजनिक नहीं करते !?
*उस जातिवाद के विरोध का नाटक क्यों जब स्कूल,कॉलेज से लेकर नौकरी तक में #जाति_के_आधार_पर_ही प्रवेश,प्रोमोशन और सुविधाएं सरकार की ओर से ही प्रदान की जाती हैं !
इतना ही नहीं प्रत्याशी से लेकर विधायक,सांसद,मंत्री और यहाँ तक कि #राष्ट्रपति_तक का निर्वाचन भी जाति के आधार पर ही किया जाता है !?
*सत्यमेव जयते उद्घोष का क्या सम्मान जब मुख्यमंत्री तक अफवाह फैलाने और झूठे आरोप लगाने के कुकर्म में लिप्त रहकर कोर्ट में इसके लिए #लिखित_माफी भी मांगते हैं और अपने पद पर बने भी रहते हैं !?
*सत्य के नाम पर असत्य परोसने के कुकृत्य में लिप्त #मीडिया यदि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है तो फिर क्यों न इसे ही लोकतंत्र की नयी परिभाषा मान लिया जाए !?
*यदि सबका साथ सबका विकास का मतलब #कुछ_का #उपहास और #कुछ_का_विनाश है तो इस नारे को गाली क्यों न समझा जाए !?
*यदि मजबूर से उसकी मजबूरी का फायदा उठाना नीचता है तो फिर ट्रेनों के डायनेमिक किराये और तत्काल टिकटों के दाम और अब इसमें भी प्रीमियम किराया भला कहाँ की श्रेष्ठता है ?
टिकट कैंसल करने पर अधिकांश किराया रख लेना भी ऐसा ही है !
#इसलिए_साहेब !
यदि आँखों की रोशनी छीनकर मंहगे चश्मे पहनाना ही विकसित भारत की संकल्पना है तो बाज आइए ऐसे विकास से !
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