इतिहास के पन्नों से
आज ही के दिन गोंड राज्य की रानी दुर्गावती ने अपने सीने में खंजर उतारकर अपनी जान दे दी थी।
पति के निधन के बाद खुद राज्य की कमान संभालने वाली रानी दुर्गावती ने पहले तो कई बार मालवा के राजा बाजबहादुर को हराया। फिर उन्होंने अकबर के कहने पर हमला कर रहे आसफ खां को हराया। दूसरी बार आसफ ने दोगुनी ताकत से हमला किया।
पहले दिन तो वह जंग के मैदान में अपनी सेना का नेतृत्व कर रही रानी को हरा नहीं पाया, लेकिन अगले दिन रानी जख्मी हो गईं। कहा जाता है कि तीरों से बुरी तरह घायल रानी ने अपने वजीर से कहा कि मेरा सिर कलम कर दे। जब वजीर ने इनकार किया तो रानी ने खुद ही खंजर अपने सीने में उतार दिया था।
चंदेलों की बेटी थी वह, गौंडवानी रानी थी।
चंडी थी रणचंडी थी, वह दुर्गावती भवानी थी।
अद्वितीय साहस, शौर्य और पराक्रम की प्रतिमूर्ति महान वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।
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