कुछ लोग योगी जी के ख़िलाफ़ पूरा अभियान चला रहे हैं और वह भी पार्टी संगठन के भीतर रहकर।
ये लोग फिर से उन्हीं नेताओं की शक्ति की पूर्ण वापसी उत्तर प्रदेश में चाहते हैं, जिन लोगों ने पार्टी को डीलर, दरबारी, दलाल और व्यापारियों से भर दिया और असली नेताओं को गायब कर दिया।
पिछले दस सालों में वे तमाम लोग बड़े पदाधिकारी बना दिये गये जो कुछ बड़े नेताओं के लिए गाड़ी, होटल, बैनर, पोस्टर आदि की व्यवस्था करते थे, अथवा उन बड़े नेताओं के पीछे पीछे पाँच साल टहल लिए, भले आम जनता उनका नाम तक न जानती हो।
पार्टी ने जो लगभग 8% अपना मत खोया है उसका कारण यहीं डीलर, दरबारी, दलाल और व्यापारी हैं जिनको नेता के रूप में प्रोजेक्ट करके विभिन्न समुदायों के वास्तविक नेताओं का पत्ता साफ़ कर दिया गया। इसलिए यदि भाजपा को समीक्षा करनी है और बदलाव करना है तो वह बदलाव योगी जी के रूप में क़तई नहीं होना चाहिए। योगी जी फ़िलहाल उत्तर प्रदेश एक मात्र जन नेता हैं। बाक़ी एक दो लोग हैं तो वह अपना विधानसभा और लोकसभा तक नहीं बचवा पाये। बाक़ी सब लाइन से वो नेता हैं जो पार्टी कार्यालय में दस बीस साल लगातार बैठने के कारण नेता बन गए अथवा दूसरे पार्टी से आयातित हुए हैं।
जिस उत्तर प्रदेश में पाँच साल सरकार चला लेना ही बड़ी बात होती थी वहाँ योगी जी में दूसरी बार ने केवल सरकार बना ली बल्कि 42% मत लोकसभा में भी मिला।
पार्टी के संगठन में समीक्षा की आवश्यकता है। सरकार में केवल एक मात्र समस्या है और वह है नौकरशाही का हावी होना और उसका कारण हैं मुख्यमंत्री जी के पास टीम का अभाव। उसके लिए मुख्यमंत्री जी सक्रिय हो गये हैं और आशा की जाती है कि वह कमी अब जल्द ही ठीक होगी।
उत्तर प्रदेश में पार्टी संगठन के नेताओं के जो झोला ढोने वाले और गाड़ी होटल बैनर पोस्टर वालों को नेता बनाने की परंपरा बनाई है उसे ठीक किया जाय सब ठीक होगा।
लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि फ़िलहाल इस गैंग के लोग विभिन्न संगठनों के नये उमर के लड़कों को आगे करके मुख्यमंत्री जी के ख़िलाफ़ माहौल बना रहे हैं ताकि डीलर, दरबारी, व्यापारी पार्टी में जमें रहें। भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है, ये लोग ऐसा करके बच पायेंगे, कम ही आशा है।
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