कोई साधारण व्यक्ति जुर्म चोरी डकैती बलात्कार करता है उस पर कोर्ट में केस चलता है सजा होती है
कोई अधिकारी रिश्वत लेते पकड़ा जाता है उस पर मुकदमा चलता है सजा होती है सस्पेंड होता है नौकरी से बर्खास्त भी किया जाता है
हां किसी नेता पर मुकदमा चलता है सुनवाई होती है लेकिन सजा से पहले जमानत हो जाती है #नेशनल_हेराल्ड #चारा_घोटाला
क्योंकि इनकी पंहुच लाइव टेलीकास्ट इन चैंबर वालों के थ्रू होती है पूरा इकोसिस्टम लॉबी इन्ही की है
आप कल्पना करिए यदि कोई अध्यापक किसी कॉपी में यह लिखे कि उसके पास कॉपी जांचने का समय नहीं है और वह मनमाना नंबर दे दे तो उसे तुरंत नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा या कम से कम उसे एक नोटिस दे दिया जाएगा
लेकिन भारत में जजों को इतना बड़ा विशेषाधिकार हासिल है कि वह चाहे हत्या करें बलात्कार करें कुछ भी करें उन्हें पद से हटाने के लिए बेहद लंबी और जटिल प्रक्रिया है
और यह प्रक्रिया आजाद भारत में सिर्फ दो या तीन बार हुई है जिसे महाभियोग कहते हैं
अब किसी जज साहब ने लिख दिया कि अरे यह तो 1200 पन्ने का दस्तावेज है यह दस्तावेज कौन पढ़ेगा इसमें तो बहुत टाइम लगेगा और उन्होंने मुजरिम को जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया
मगर फिर भी उस जज को सुप्रीम कोर्ट ने कोई नोटिस जारी नहीं किया
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