आज संसद की कार्यवाही शुरू हुई तो राष्ट्रपति के अभिभाषण पे बहस के मुद्दे पर #सत्ता_पक्ष_और_विपक्ष में ठन गई... विपक्ष पहले #NEET का मुद्दा उठाना चाहता था। #लोकसभा_अध्यक्ष का कहना था कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान कोई भी सदस्य मुद्दा उठा सकते हैं... सत्ता पक्ष की ओर से धुरंधर ज्ञानी वक्ता #सुधांशु_त्रिवेदी ने बहस शुरू की.. वह सरकार की पिछली तमाम उपलब्धियों का बखान करने लगे.. परंतु विपक्ष के सदस्य लगातार अपनी बातों पर अड़े रहे और विरोध में नारेबाजी करते रहे...
मुझे करीब चार दशक पहले हुए एक #विश्व_स्तरीय_हॉकी_मैच की याद आ गई... संभवतः वह #वर्ल्ड_कप चल रहा था.. या फिर ओलंपिक का कोई सेमी-फाइनल था... मैच शुरू होते ही भारत के एक नामी खिलाड़ी ने 14वें सेकंड में ही सनसनाता हुआ गोल दाग दिया। #कॉमेंटेटर_जसदेव_सिंह बहुत ही ओजस्वी कमेंट्री करते थे उस दौर में,, उन्होंने इतने शानदार तरीके से इस गोल का वर्णन किया कि भारतीय श्रोताओं का #रोमांच सातवें आसमान पर पहुंच गया... उस मैच की याद इसलिए आ गई क्योंकि आज संसद की कार्यवाही शुरू होते ही कुछ वैसा ही लगा कि जैसे विपक्ष बहुत ही जल्दी बड़ी तेजी से सत्ता पक्ष के डी (D) के भीतर घुस गया है ड्रिबलिंग करते हुए.... लेकिन तभी अचानक पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ाजी ने खड़े होकर #गोलकीपर (सुधांशु त्रिवेदी) को चुप कराने का आग्रह किया, जिसके लिए पीठासीन अधिकारी ने अनुमति भी दे दी.. और फिर गोलकीपर के रूप में सदन के इस #सबसे_बुजुर्ग_खिलाड़ी ने खुद ही मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने अपनी वरिष्ठता और अनुभव के अनुरूप बड़े अच्छे ढंग से NEET मामले को सदन में रखा.... लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा जी की वरिष्ठता को प्रापर सम्मान न देते हुए विपक्ष अपनी बातों पर ही अड़ा रहा... और यहीं से मैच में #रिवर्स_ट्विस्ट आ गया.... फिर तो लगा कि विपक्ष अपने उसी पुराने ढर्रे पर जा रहा है, जो उसने 17वीं और 16वीं लोकसभा में अपना रखा था।
विपक्ष का व्यवहार और संसद का दृश्य देखकर #नारद_संहिता की वह प्रसिद्ध उक्ति भी याद आती रही, जिसमें कहा गया है कि..
न सा सभा यत्र न सन्ति वृद्ध:, वृद्धा न ते ये न वदन्ति धर्मम
धर्म स नो यत्र सत्यमस्ति....., सत्यं न तद्यच्छलमभ्युपैति।।
अर्थात..
वह सभा सभा नहीं है जिसमें वृद्ध न हों,
वे वृद्ध #वृद्ध नहीं हैं जो धर्मानुसार ना बोलें
जहां सत्य न हो....... वह धर्म नहीं है
और जिसमें छल हो, वह सत्य नहीं है।।
संसद में सबसे वृद्ध सदस्य देवगौड़ा जी ने अपनी भूमिका निभाने की सही समय पर बहुत ही शानदार कोशिश की थी, काश कि उनकी वरिष्ठता को यथोचित सम्मान मिल पाता..
No comments:
Post a Comment