षड्यंत्र और कसक
भारतीय राजनीति के जनपथ दरबार में भारी कसक है, तभी तो 4 जून के बाद रोज उठकर सिर्फ एक ही नैरेटिव है कभी भी सरकार गिरा देंगे। कोई दिन खाली न गया जब ये कथन न आया हो।
अब एक कदम आगे बढ़कर कहा जा रहा है, “पीएम के पास जनादेश नहीं है, बिना जनादेश की सरकार चला रहे है। हम जब चाहे गिरा देंगे”
इस चुनाव में जितना षड्यंत्र रचना था, खेले खेलने थे, खेले गए। झूठ, फरेब, फेक प्रॉपगैंडा जो हाथ लगा, सबकुछ फेंकते गये ताकि तीसरी बार प्रधानमंत्री न बन सके। किंतु कामयाबी हाथ न लगी, तो क्या करें।
क्योंकि….क्योंकि! ये उपलब्धि खास परिवार के लिए लिखी गई है कोई तुच्छ आम मानवी इसे प्राप्त नहीं कर सकता है। सत्ता पर परिवार बपौती है। लगातार तीसरा कार्यकाल नाना ने लिया था और उसके बाद दादी ही सबसे बड़ी राजनेता थी, उन्हें नहीं मिल सका तो किसी और को मिलना नामुमकिन है।
जनपथ में बैठी तिकड़ी के भीतर खुन्नस वाली टीस है और इसका रिफ्लेक्शन पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं के हाव-भाव से निकलता रहता है।
इसे प्रकृति का संयोग कहे या प्रयोग, जिससे खास परिवार चिढ़ा बैठा, जीत व पीएम की बधाई तक नहीं देता है। उसने 2001 से 2014 तक सूबे में रुलाया है, आंसू तक पोछने नहीं दिये और उसके बाद 2014 से केंद्र में रुला रहा है। बल्कि खून के आंसू निकल रहे है। ये लोग हर अस्त्र का प्रयोग करते आये है ताकि कुछ तो दर्द कर हो।
ये लोग कितना भी रुदन कर लें।
इतिहास अपने पन्नों में लिख चुका है कि दूसरे पीएम है जो निरंतर तीसरे कार्यकाल में कार्यरत है।
इन लोगों में एटीट्यूड और ईगो इतना है कि अगर भ्रष्टाचारी गठबंधन 2014 में तीसरी बार सरकार बनाने की स्थिति में रहता तो पीएम बदलते और परिवार का सदस्य बनता, दरअसल, गुलाम व नौकरों को रिकॉर्ड बनाने का कतई हक नहीं है, इस पर परिवार का आधिपत्य है।
वर्तमान में बेबस, लाचार है।
इधर वाले पर जोर नहीं चलता है, जब पूरी पॉवर में थे तब न चला पाए थे। अब तो वह सत्ता के केंद्र में है तो बहुत दूर की कौड़ी है।
अपने वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष को माला दे दी और कहा है, रोज जपो, कि हम कभी भी सरकार गिरा सकते है। विथ आउट मेंडेट की गवर्नमेंट है। कुछ तो टेंशन रिलीज कर सकते है।
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