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Friday, June 21, 2024

राहुल और EVM का र-रोना

 राहुल जब भी कोई EVM का र-रोना, केरल(दक्षिण) जा लोगों को भड़काना कि तुम्हारा डोसा छीन लेंगे-हिन्दी लागू कर देंगे आदि आदि करता है तो कहता तो वो है लेकिन इसके पीछे शक्तियां वामपंथी हैं जो सोरोस द्वारा संचालित होती हैं।

और ये भी उसी तरह का प्लान है जैसे मोदी को 272 से नीचे रोकना ना कि पूरी भाजपा हराना अर्थात बस कुछ चुनिंदे चुटीयों को इन सब बात पर कन्विंस करा देना ना कि पूरे भारत को।

और ये चुटीए अगर 10% भी ऐसे वाले हो गए जो अराजकता करने को तैयार हैं अर्थात जिनमे सरकार का भय खत्म हो गया हो अर्थात न ये जेल जाने से डरने लगे ना उपद्रव की परिस्थितियों में गोली खाने से, तो बस हो गया काम देश मे गृहयुद्ध छिड़वाने का जिसके लिए माचिस और केरोसीन की बात वो बहुत पहले कर चुका है, जो सब भी राहुल इस के कारण उसने बाहर आकर कह दी जिस वजह से हम इनके मनसूबे समझ पाते हैं। 

ऐसे अन्य भी कांग्रेस में सैम पित्रोदा जैसे हैं जो उत्सुकता में बाहर आकर अपना प्लान बता जाते हैं कि हम तो तुम पर सम्पत्ति टैक्स लगा या तुम्हारी आधी सम्पत्ति छीन अपने वालों लोगो को देंगे, क्योंकि जैसा प्रशांत किशोर ने कहा कि कांग्रेस को 21% वोट मिले और 20% "अल्पसंख्यक" हैं जिनमे भी 18% ने कांग्रेस को वोट दिया होगा तो बचे अर्थात बहुसंख्यक ने तो 3% ही तो वोट दिया है अर्थात सब तुम्हारा छीना जाता और मिलता कांग्रेस के वोटरों को।


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और अब जब इतना कुछ खटाखट वादा करकर भी कुछ हासिल नही हो रहा तो राहुल से अब भी भड़कवाया जाता है समय समय पर ताकि एक तो 21% में बढ़ोत्तरी हो जाये क्योंकि 99 लाकर इनकी उम्मीद जगी है कि इस बार न सही तो 2029 में बहुमत में आ सकते हैं और दूसरा कि उसके लिए अगर 10%  इस बात के लिए कन्विंस कर लिए कि देश मे सच मे "तानाशाही" है, तुम्हारे वोट में घोटाले किये जाते हैं, तुम सब से हम नही बल्कि मोदी सबकुछ छीन लेगा तो कितनी देर लगेगी केरोसिन और माचिस के मिलन होने को अर्थात देश मे गृहयुद्ध छिड़ने को।


हालांकि मोदी पर विश्वास कहो या हम जैसों की मेहनत या ईश्वरीय वरदान कि ये अभी भी 21% वोट पर ही मंडरा रहा है फिर भले ही सीटों में ज्यादा फेरबदल दिख गया और साथ ही सरकार का खौफ कहो या हिन्दुओ के इन के तुष्टिकरण वाले साथ न आने की वजह कि इतना सब भड़काने के बाद भी ये लोग अपने मंसूबो पर कामयाब नही हो पाते जिसमें अंदर खाने कितनी एजेंसियां भी लगी होती होंगी उसका हमे नही पता जैसे कौन जानता है कि जो ये सब खटाखट खाते खुलवाने वालियां सड़को पर आई इन्हें लाया कौन ताकि कांग्रेस एक्सपोज हो सके।


बाकी 20 से ज्यादा ऐसे केस राहुल पर चल रहे जिसमे वो झूठ फैलाता पाया गया है लेकिन समस्या ये है कि जैसे निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक ने उसे एक केस में सजा दे उसकी सांसदी छीन ली थी लेकिन तब भी सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ उसे बहाल करवाया बल्कि वो फिर सांसद बन फिर झूठ फैलाने में लग गया, तो उसे फिर से झूठ फैलाते रहने का डर नही है क्योंकि उसे पता है कि उसके ऊपर किनका हाथ है जो लेवल प्लेयिंग फील्ड के नाम पर एक तिहाड़ी मुख्यमंत्री को जमानत दे देते हैं क्योंकि उसके ऊपर भी सेम हाथ है।

क्योंकि वही सब दलील पर हेमंत सोरेन को तो नही छोड़ा जाता जैसे ऐसा कहा जा रहा हो कि तुझसे हमे क्या मतलब, तेरे खिलाफ तो सबूत हैं भले ही सेम सबूत तिहाड़ी के खिलाफ भी वही हों।

(ये मत समझना कि सोरेन से हमदर्दी है बस बताने को बता रहा हूँ क्योंकि हैं तो दोनों भ्रष्टाचारी ही पर एक खास भ्रष्टाचारी है और एक खास नही)


कुल मिलाकर हमने इतना बढ़िया सबक सिखाया है मोदी को कि न आया 400 पार और न इसकी संभावना है कि ज्यूडिशरी सुधरेगी और जब तक ऐसी ही चलती रहेगी तो खास लोगो के मजे ही हैं क्योंकि सरकार तो बस केस कर सकती है, सजा तो माननीय लोगो के हाथ मे हैं।

और इसी वजह से खासों के अंदर कोई डर नही क्योंकि जब सैंया ही कोतवाल तो डर काहे का।


ये इसलिए बताना पड़ा कि कुछ ज्ञानी लोग टपक से आ जाते हैं कि सरकार क्या कर रही है तो फिर कौन इनके साथ कमेंट में सर खपाये क्योंकि इतना सर इनके पास होता तो नतीजे ही कुछ और होते।

और अब तो मुझे 1 जुलाई का इन्तेजार है कि कब भारतीय न्याय संहिता लागू होगी जिसमें टाइम बाउंड है कि किसी केस को 1 या 2 या 3 साल के अंदर खत्म कर फैसला सुनाना है लेकिन डर भी है कि कोई फैसला यदि सुप्रीम कोर्ट पलट दे क्योंकि अब तो उसके भी पर निकल गए होंगे कि ज्यूडिशरी बदलने चले थे, अब हम बताएंगे इन्हें.... और हमारे पास वो संख्या भी अब नही कि शायद हम वापिस उस फैसले को संसद में पास करवा दें।


वैसे क्या कुछ सोचा गया था और बदले में क्या गिफ्ट दिया गया मोदी को।

अब मोदी जी जाने कि वो किस तरह इन सब चीजों को हैंडल करेंगे, अपनी तो उम्मीद रिजल्ट के साथ ही टूट चुकी है।

हालांकि मोदी पर विश्वास भी अटूट है और जैसा कहते हैं "मोदी है तो मुमकिन है"

बस इसी का इन्तेजार है।




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