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Friday, June 21, 2024

भारत तो G7 का मेम्बर भी नही, फिर भी मोदी वहां क्यों गया


भारत तो G7 का मेम्बर भी नही, फिर भी मोदी वहां क्यों गया जैसी बातें असल मे ये कांग्रेसी इसलिए करते हैं ताकि ये अपने चुइये समर्थकों को यकीन दिला सकें कि मोदी कितना सेल्फ ऑब्सेस्ड है।

ये उसी तरह है जैसे मोदी लाखों का सूट पहनता है, चश्मा पहनता है, मशरूम खाता है आदि आदि ये करते हैं और उसी तरह ये भी है कि देखो मोदी मौज लेने और खुद को बड़ा दिखाने को ये सब यात्रा करता है।

और मजे या हैरानी की बात कहो कि ऐसे चुइये सच मे हैं जो इन बातों पर यकीन करते हैं क्योंकि सैकड़ो तो मैं व्यक्तिगत ऐसे जानता हूँ।


खैर, मोदी G7 क्यों गया यदि भारत उसका मेम्बर नही, तो सबसे पहले तो ऐसा रोबोट भी कर चुका है, वो अलग बात है कि उसे लोग मुंह नही लगाते थे, बस वो मालकिन के कहने पर जाता था और जैसा G7 वाले डिक्टेट करते होंगे वो आकर बता देता था।

ऐसा ही मालिक लोग भी अपने आका चीन के पास गए थे जब चीन में प्रधानमंत्री को न बुला इटली खानदान को बुलाया था और फिर इनसे MoU साइन करवाया था कि कैसे चीन के हित भारत मे साधने है।


बाकी, मोदी का G7 में जाना कोई अजीब बात नही कि भारत उसका मेम्बर नही है। ऐसा हर ग्रुप किया करता है। पिछले साल भारत मे जब G20 हुआ तो कौन सा सिर्फ 20 देश ही आये थे। दर्जनों अन्य भी आये थे जिसमें से एक अफ्रीकन यूनियन भी था जिसे भारत ने फिर G20 का मेम्बर बना दिया।

इसी तरह BRICS है जो पांच देशों का समूह है लेकिन वो भी कई अन्य देश को बुलाता है। धीरे धीरे फिर ये देश ऑब्जर्व करते हैं ऐसे संगठनों को और फिर ऐसे ग्रुप जरूरत के हिसाब से अन्य देशों को इसमें शामिल करवा देते हैं, जैसा अब BRICS के साथ है कि इसमें कई देश शामिल होने जा रहे हैं।


रही बात G7 की तो कभी ये G4 था फिर G7 बना फिर G8 बना जब रूस भी शामिल हो गया। क्रीमिया युद्ध के बाद वापिस रूस को हटा G7 बन गया और जैसा मैंने बताया था एक पोस्ट में कि अब G7 फूंका कारतूस बनते जा रहा है तो इसे भी कुछ ऐसे देश अपने साथ चाहिए जिससे इसकी प्रासंगिकता बनी रहे और भारत उन्ही देश मे से एक है। 

हो सकता है कि आने वाले समय मे भारत उसका मेम्बर बन जाये और ये भी उसी तरह की कोशिश है जैसे भारत UN के परमानेंट 5 देशों के ग्रुप में अपने को शामिल करवाना चाहता है।

और चूंकि इस ग्रुप में चीन और रूस नही हैं तो भारत जैसा देश इसमें जाने का मतलब कि भारत पश्चिम और पूर्व दोनों को साधने के काम आ सकता है और रूस भी भारत की ओर देखेगा तो यूरोप भी भारत की तरफ।

और ये सब कूटनीतिक बातें होती हैं जो सड़कछाप कांग्रेसियो को वैसे भी समझ नही आएंगी लेकिन जिन्हें आती हैं वो जानकर उलजुलूल बातें करते हैं ताकि सड़कछाप कांग्रेसी सड़कछाप ही रहे और उनके ज्ञान में बढ़ोत्तरी न हो ताकि वो उनसे छटक भाजपा का वोटर न बन जाये।


इसके अलावा इटली वाले G7 में भारत को बुलाना इसलिए भी महत्वपूर्ण था कि मेलोनी ने आकर इटली को चीन के BRI से अलग कर दिया और अब इटली IMEC में शामिल होना चाहता है जो भारत से मिडल ईस्ट, मित्र देश होते हुए ग्रीस से पश्चिम यूरोप को जाएगा जिसकी मिर्ची भी चीन को लगी है और ये भी एक बड़ा कारण है मित्र देश बनाम हमासियों के युद्ध का ताकि उधर अस्थिरता लाई जा सके और IMEC को रोका जाए लेकिन इस G7 में इसपर भी बात हुई और इस काम को और आगे ले जाने पर सहमति बनी। 

बाकी जो वन टू वन बातें अलग अलग राष्ट्राध्यक्षों के साथ हुई उनमे भी कुछ बाहर आई और कुछ नही आई जो बताई नही जाती।


कुल मिलाकर कोई भी विजिट फालतू की नही होती और वो भी तब जब वो मोदी की विजिट हो। हो सकता है कि मोदी ने मेलोनी से मिलकर ये भी कह दिया हो कि इधर जरा सोनिया का सारा काला चिट्ठा मेरे को चाहिए और जैसे आप सब जानते हैं कि मेलोनी और मोदी का रिश्ता तो Melody जितना स्वीट है तो मेलोनी ने कह भी दिया होगा कि आप चिंता मत कीजिये मोदी जी, मैं सारा पता लगा आपको बताती हूँ जिस डर से भी फिर कांग्रेसियो को मिर्ची लगी है कि मोदी इटली गया क्यों?


हालांकि ये मेरा कयास भर है, जरूरी नही कि आखरी वाली बात हुई ही हो इसलिए चमचों को डरने की जरूरत नही कि मालकिन की क्या क्या कुंडली बाहर आ सकती है।

लेकिन वो मोदी है तो कुछ भी कर और करा सकता है इसलिए मेरे दिलासे पर भरोसा भी मत करना।




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