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Monday, July 15, 2024

मोदी और मोसादेग

 मोदी और मोसादेग


*ईरान 1951 और भारत 2024.*

*समानताएँ? मोसादेग...और...मोदी*


क्या आपने कभी सोचा है कि "ईरान के लोग अमेरिका को "शैतान की भूमि" क्यों कहते हैं?


ब्रिटिशों ने ईरान के तेल व्यापार पर अपना दबदबा कायम कर लिया था, ईरान के तेल उत्पादन का 84% हिस्सा इंग्लैंड को जाता था और केवल 16% ईरान को।


1951 में, एक कट्टर देशभक्त मोहम्मद मोसादेग प्रधानमंत्री बने।


उन्हें ईरान के तेल व्यापार में विदेशी कंपनियों का दबदबा पसंद नहीं था।


15 मार्च, 1951 को उन्होंने संसद में ईरान के तेल उद्योग के राष्ट्रीयकरण के लिए एक विधेयक पेश किया, जिसे बहुमत से पारित कर दिया गया।


इस विधेयक के पारित होने के बाद, ईरानियों को खुशी के सपने आने लगे, कि अब उनकी गरीबी दूर हो जाएगी!

टाइम्स पत्रिका ने 1951 में मोसादेग को "मैन ऑफ द ईयर" कहा!


लेकिन इन घटनाक्रमों के कारण, अंग्रेजों को बहुत कुछ खोना पड़ा! 

अंग्रेजों ने मोसादेग को हटाने के लिए कई छोटे-बड़े प्रयास किए,

मोसादेग को रिश्वत देने की कोशिश की, 

मोसादेग की हत्या करने की कोशिश की, 

सैन्य तख्तापलट की कोशिश की, लेकिन मोसादेग बहुत अनुभवी और बुद्धिमान था, इसलिए अंग्रेजों की हत्या, रिश्वतखोरी की साजिशें विफल हो गईं।

 मोसादेग ईरानी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय था।


 लोकप्रिय होने के कारण, सैन्य तख्तापलट भी संभव नहीं था।


अंत में अंग्रेजों ने अमेरिका से मदद मांगी।


अमेरिका की CIA ने मोसादेग को हटाने के लिए ,1 मिलियन डॉलर का फंड मंजूर किया। 1 मिलियन डॉलर 4250 करोड़ रियाल (ईरानी मुद्रा) के बराबर है!


 अमेरिका की योजना मोसादेग के खिलाफ असंतोष पैदा करने और उसके प्रति लोगों के समर्थन को खत्म करने की थी, फिर भ्रष्ट सांसदों की मदद से उसकी सरकार को उखाड़ फेंकना था।


अमेरिका ने बड़ी संख्या में ईरानी पत्रकारों, संपादकों, मुस्लिम मौलवियों को 631 करोड़ रियाल का भुगतान किया।  बदले में उन पत्रकारों, संपादकों और मुस्लिम मौलवियों को सिर्फ एक ही काम करना था, 

वह था लोगों को मोसादेग के खिलाफ भड़काना।


हजारों ईरानियों को झूठे विरोध में भाग लेने के लिए भुगतान किया गया। उन्होंने संसद पर मार्च करना शुरू कर दिया। दुनिया भर के बड़े मीडिया ने भी अमेरिका का समर्थन करना शुरू कर दिया।


मोसादेग का विरोध बहुत ही निचले स्तर पर शुरू हुआ, जिसमें कार्टूनों में उन्हें समलैंगिक के रूप में दर्शाया गया। उसी प्रकार जैसे मोदीजी के दाम्पत्य जीवन को निशाना बनाया जाता है ।

मोसादेग को तानाशाह कहा जाने लगा।


यह महसूस करते हुए कि उनकी सरकार भ्रष्ट सांसदों द्वारा उखाड़ फेंकी जाने वाली है। 

मोसादेग ने संसद को भंग कर दिया।  

अमेरिका ने ईरानी सम्राट को मोसादेग को प्रधानमंत्री के पद से हटाने के लिए मजबूर किया।

अंत में, 210 मिलियन रियाल की रिश्वत देकर, अमेरिका ने भाड़े के सैनिकों की मदद से ईरान की राजधानी में फर्जी दंगे भड़काए।


सम्राट के ईरान लौटने के बाद, मोसादेग ने आत्मसमर्पण कर दिया। उस पर मुकदमा चलाया गया, उसे कैद किया गया और फिर उसकी मृत्यु तक उसे घर में ही नजरबंद रखा गया।  (मोसादेग की मृत्यु 85 वर्ष की आयु में हिरासत में हुई।)


उसके बाद, अमेरिका और इंग्लैंड ने ईरानी तेल का 40-40% हिस्सा साझा किया और शेष 20% अन्य यूरोपीय कंपनियों को दे दिया गया।


दशकों तक ईरानी लोगों को शाह की तानाशाही के अधीन रहना पड़ा। एक क्रांति ने राजशाही को समाप्त तो कर दिया; लेकिन फिर कट्टरपंथी खोमैनी सत्ता में आए और ईरानी लोगों की स्थिति और भी खराब हो गई।


मोसादेग का अपराध क्या था..?


देश के क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों के बजाय स्वदेशी कंपनियों का वर्चस्व होना चाहिए!  यह नीति उनका अपराध थी..?


मोसादेग के नेतृत्व में, ईरान 1955 से पहले एक पूर्ण लोकतांत्रिक देश बन सकता था, और इसके तेल उत्पादन से केवल ईरान को ही लाभ हो सकता था।


   लेकिन ईरान के भ्रष्ट सांसदों, पत्रकारों, संपादकों, प्रदर्शनकारियों ने ईरान के समृद्ध भविष्य को मात्र दस लाख डॉलर में बेच दिया।


दमन के इस दौर में ईरानी लोगों को यह एहसास होने लगा कि मोसादेग की सरकार को उखाड़ फेंकने में अमेरिका का हाथ था।


 इसलिए ईरानी अमेरिका को शैतान का देश कहते हैं!


अब विचार करें कि  ईरान के लिए असली खलनायक कौन थे..?  वे अमेरिका के हाथों बिके हुए  पत्रकार थे, संपादक थे, सांसद थे कार्यकर्ता थे ।


अगर ये लोग नहीं बिकते और लोग मोसादेग के पीछे खड़े होते, तो अमेरिका कतई  सफल न होता। लेकिन चार पैसे के लिए देशभक्त नेता को "कुमशाह" कहा गया और देखते ही देखते पूरा देश बर्बाद हो गया!


 *हमारा देश 'भारत' भी आज उसी राह पर है।यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि आम नागरिक चल रही साजिशों को तब तक नहीं देख पाते,जब तक कि उन्हें अंतहीन अत्याचारों का सामना न करना पड़े*


 *फ़र्ज़ी मुद्दे, फ़र्ज़ी किसान आंदोलन, फ़र्ज़ी आंकड़े, जातियों को आपस में लड़ाना, अल्पसंख्यक समुदाय को उकसाना, कम्युनिस्ट लॉबी द्वारा राष्ट्रविरोधी ताकतों को साथ देना, ये सब वे राष्ट्रघाती क़दम हैं जो आजकल भारत में जोरों पर हैं ताकि विदेशी अनिष्ट कारक ताकतों का भारत पर आर्थिक सामाजिक और प्रशासनिक नियंत्रण हो जाये*।


*समय रहते सचेत हो जाना और इस भ्रष्ट मीडिया दुष्प्रचार का शिकार न बनना ही समझदारी है।अपने देशभक्त वर्तमान भारतीय नेतृत्व पर भरोसा रखें और मोदी के पीछे मजबूती से खड़े रहें। अन्यथा ईरान जैसी आपदा अवश्यंभावी है.....


  बड़े पूंजीवादी देशों की खुफिया एजेंसियां भारत के कई राजनेताओं को अपने एजेंट के रूप में काम करवाने के लिए दिन-रात काम कर रही हैं, जिसका एकमात्र उद्देश्य देश के वर्तमान नेतृत्व (मोदी) को हटाना है।


 कहते हैं कि हमारा भाग्य हमारे अपने हाथों में है। बस हमें इसे ठीक से समझने की जरूरत है।


द न्यूयॉर्क टाइम्समें मोसादेग को  तानाशाह  के रूप में संदर्भित किया गया था।, यही हाल मोदी का भी  है । टाइम  पत्रिका नें मोदी को डिवाइडर इन चीफ कहा था ।।तानाशाह तो आज भी कहा ही जा रहा है ।

क्या यह विचार करने योग्य नही है।


जय हिंद 🚩

भारत माता की जय 🙏

Sunday, July 14, 2024

*मात्र 10 वर्ष पहले मैं भी एक सामान्य व्यक्ति था, मुझे भी औरो की तरह नेहरू, गांधी, गांधी परिवार तथा हिन्दू मुस्लिम भाई भाई जैसे नारे अच्छे लगते थे।*

 *मात्र 10 वर्ष पहले मैं भी एक सामान्य व्यक्ति था,  मुझे भी औरो की तरह नेहरू, गांधी, गांधी परिवार तथा हिन्दू मुस्लिम भाई भाई जैसे नारे अच्छे लगते थे।*


_मगर ..... मगर ...._


इन 10 वर्षों में विभिन्न माध्यमों से मुझे कुछ ऐसे सत्य पता चले जो हैरान करने वाले थे।


1. सोशल मीडिया से मुझे यह पता चला कि "पत्रकार" निष्पक्ष नही होते। वे भी किसी मकसद/व्यक्तिगत स्वार्थ से जुड़े होते हैं।


2. लेखक, साहित्यकार भी निष्पक्ष नही होते। वे भी किसी खास विचारधारा से जुडे होते है।


3. साहित्य अकादमी, बुकर, मैग्ससे पुरस्कार प्राप्त बुद्धिजीवी भी निष्पक्ष नही होते।


4. फिल्मों के नाम पर एक खास विचारधारा को बढ़ावा दिया जाता है। बालीबुड का सच पता चला।


5. हिन्दू धर्म को सनातन धर्म कहते हैं और देश का नाम हिंदुस्तान है, क्योंकि यह हिंदुओं का इकलौता देश है।


6. हिन्दू शब्द सिंधु से नही (ईरानियों द्वारा स को ह बोलने से) नही आया बल्कि "हिन्दू" शब्द "ऋग्वेद" में लाखों वर्ष पूर्व से ही वर्णित था।


7. जातिवाद, बाल विवाह, पर्दा प्रथा हजारों वर्ष पूर्व सनातनी नही बल्कि मुगलों के आगमन से उपजी कु-व्यवस्था थी, जिसे अंग्रेजों ने सनातन से जोड़कर हिन्दुओ को बांटा। उसे लिखित इतिहास बनाया।


8. किसी समय भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म पूरे विश्व मे फैला था।


9. वास्कोडिगामा का सच ये था कि वह एक लुटेरा, धोखेबाज था और किसी भारतीय जहाज का पीछा करते हुए भारत पहुंचा।


10. बप्पा रावल का नाम, काम और और अद्भुत पराक्रम सुना। उनसे डरकर 300 वर्ष तक मुस्लिम आक्रांता इधर झांके भी नहीं।


11. बाबर, हुमायूँ, अकबर, औरंगजेब, टीपू सुलतान सहित सभी मुगल शासक क्रूर, हत्यारे, इस्लाम के प्रसारक और हिंदुओं का नरसंहारक थे, यह सच पता चला। 


12. ताज़महल, लालकिला, कुतुब मीनार हिन्दू भवन थे, इनकी सच्चाई कुछ और थी।


13. जिसे लोग व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी कहकर मजाक उड़ाते हैं, उसी ने मुझे महात्मा गांधी के "ब्रह्मचर्य के प्रयोग" और हेडगेवार, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल व हिन्दू समाज के साथ कि गई गद्दारी की सच्चाई बताई।


14. गाँधी जी की तुष्टिकरण और भारत विभाजन के बारे मे ज्ञान हुआ।


15. नेहरू की असलियत, उनके इरादे, उनकी हरकतें, पता चली।


16. POJKL के बारे मे भी इन 6 वर्षों में जाना कि कैसे पाकिस्तान ने कब्जा किया। और कौन लोग POJKL को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं।


17. अनुच्छेद 370 और उससे बने नासूर का पता चला।


18. कश्मीर में दलितों को आरक्षण नही मिलता, यह भी अब पता चला।


19. AMU मे दलितों को आरक्षण नही मिलता, वह संविधान से परे है।


20. जेएनयू की असलियत, वहाँ के खेल और हमारे टैक्स से पलने वाली टुकड़े टुकड़े गैंग का पता चला।


21. वामपंथी-देशद्रोही विचारधारा के बारे मे पता चला।


22. जय भीम समुदाय के बारे मे पता चला। भीमराव के नाम पर उनके मत से सर्वथा भिन्न खेल का पता चला। मीम भीम दलित औऱ हिन्दू दलित अलग होते है पता चला।


23. मदर टेरेसा की असलियत अब जाकर ज्ञात हुई।


24. ईसाई मिशनरी और धर्मांतरण के बारे में पता चला।

25. समुदाय विशेष में तीन तलाक, हलाला, तहरुष, मयस्सर, मुताह जैसी कुरीतियों के नाम भी अब जाकर सुना। इनका मतलब जाना।


26. अब मुझे पता चला कि धिम्मी, काफिर, मुशरिक, शिर्क, जिहाद, क्रुसेड जैसे शब्द हिन्दुओं के लिए क्या संदेश रखते हैं।


27. सच बताऊं, गजवा ऐ हिन्द के बारे मे पता भी नहीं था। कभी नाम भी नहीं सुना था। यह सब इन 6 वर्षों में पता चला। स्टॉकहोम सिंड्रोम और लवजिहाद का पता चला।


28. सेकुलरिज्म की असलियत अब पता चली। मानवाधिकार, बॉलीवुड, बड़ी बिंदी गैंग, लुटियंस जोन इन सबके लिए तो हिन्दू एक चारा था।


29. हिन्दू पर्सनल लॉ और मुस्लिम पर्सनल लॉ अलग हैं, यह भी सोशल मीडिया ने ही बताया। नेहरू ने हिन्दू पर्सनल लॉ को समाप्त कर दिया। लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को रहने दिया।


30. भारतीय इतिहास के नाम पर हमें झूठा इतिहास पढ़ाया गया, जिन मुगलों ने हमे लूटा, हम पर अत्याचार किया उन्हें महान बताया गया। यदि कोई बाहरी व्यक्ति आपके घर पर कब्जा करे लूटे अत्याचार करे वह महान और लुटने वाला लुटेरा कैसे हो सकता है।


३१ इतना सब पता चलने के बाद भी  और मोदीजी के महान नेतृत्व के बाद भी केवल तीस प्रतिशत हिन्दू ही समझ पाए बाकी वैसे ही हैं।


३२ यहां तक कि न्यायमूर्ति कहे जाने वाले न्यायाधीश तक निष्पक्ष नहीं होते कुछ विचारधारा से कुछ डर के कारण न्याय नहीं कर सकते।


३३ अभिव्यक्ति की आजादी और सही इतिहास जिसे दफन कर दिया गया था वह अब धरती फाड़कर बाहर आ रहा हैै। इसमें कुछ झूठ का अंश हो सकता है पर पहले लिखा इतिहास सारा झूठ का पुलंदा था।


35. सभी राजनीतिक पार्टियों की वास्तविक हकीकत, ओर उनका एजेंडा पता चला।


*_ये जानकारियां सभी देश भक्तों को होनी चाहिए l_*

मतांतरण की खतरनाक चुनौती

 मतांतरण की खतरनाक चुनौती 


बीते दिनों इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मतांतरण पर कठोर टिप्पणी की। न्यायालय ने कहा, ‘यदि मतांतरण की प्रवृत्ति जारी रही तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी ही अल्पसंख्यक हो जाएगी।’ न्यायालय ने यह भी कहा कि मत प्रचार-प्रसार की तो छूट है, लेकिन मतांतरण की अनुमति नहीं है। यह पहला अवसर नहीं है कि मतांतरण के संबंध में न्यायालय ने ऐसी टिप्पणी की हो। इससे पूर्व नवंबर 2022 में भी उच्चतम अदालत की दो सदस्यीय खंडपीठ ने जबरन मतांतरण के संबंध में कहा था ‘यह अंतत: राष्ट्र की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता तथा नागरिकों के अंतरात्मा को प्रभावित कर सकता है।’ देश के विभिन्न न्यायालयों ने जबरन मतांतरण को लेकर चिंता जाहिर की है और इसके पीछे तथ्यात्मक एवं ठोस कारण हैं।


यह जानना आवश्यक हो जाता है कि किसी भी व्यक्ति के लिए उसके ‘पथ’ जिसे संवैधानिक एवं न्यायिक भाषा में ‘धर्म’ भी कहा जाता है, आखिर क्यों इतना महत्वपूर्ण है। विश्व भर में ऐसे लोगों की संख्या बहुतायत में है, जो किसी न किसी पंथ के अनुयायी हैं और अपने मत विशेष में न केवल आस्था रखते हैं, बल्कि उसे ‘जीवन निर्देशक’ के रूप में स्वीकार करके अपनी जीवन प्रणाली को उसकी मान्यताओं एवं परंपराओं के अनुरूप संचालित करते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत ही नहीं अधिकांश देशों में ‘पंथ’ मात्र आस्था का विषय नहीं, अपितु व्यक्ति की पहचान का द्योतक भी है और इस पहचान को परिवर्तित करने का निर्णय यदि एकाएक हो तो कई प्रश्नों का खड़ा होना स्वाभाविक है।


मतांतरण पर कई मनोवैज्ञानिक अध्ययन हुए हैं, जो मुख्य रूप से इस तथ्य पर केंद्रित हैं कि कैसे एक व्यक्ति के मतांतरण से न केवल वह व्यक्ति, अपितु पूरा समाज प्रभावित होता है। ‘द आक्सफोर्ड हैंडबुक आफ रिलीजियस कन्वर्जन’ पुस्तक मतांतरण की गतिशीलता की व्यापक खोज प्रस्तुत करती है। इसमें विस्तार से चर्चा की गई है कि कैसे मतांतरण सदियों से दुनिया भर में समाजों, संस्कृतियों और व्यक्तियों को गहराई से प्रभावित करता आया है। पुस्तक के संपादक लुइस आर. रेंबो लिखते हैं कि मतांतरण का प्रभाव केवल व्यक्तिगत परिवर्तन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एवं सांस्कृतिक संरचना को भी प्रभावित करता है। रेंबो ने मतांतरण के संबंध में कहा है कि इसके तमाम कारणों के बीच सबसे महत्वपूर्ण कारक ‘संकटावस्था’ है। चाहे वह राजनीतिक हो, सांस्कृतिक या फिर मनोवैज्ञानिक।


इस सत्य को नकारा नहीं जा सकता कि मतांतरण शायद ही कभी केवल धार्मिक विश्वासों को प्राथमिक लक्ष्य के रूप में बदलने तक सीमित रहा हो। सत्य तो यह है कि मतांतरण प्रायः ‘पंथ’ विशेष द्वारा अपनी जनसांख्यिकी को बढ़ाकर ‘प्रभुत्व’ स्थापित करने की मंशा से कराया जाता है, ताकि राजनीतिक एवं सामाजिक स्तर पर वह दबाव समूह के रूप में कार्य कर सके और अपने मनोनुकूल व्यवस्थाओं को प्रभावित करे। दुर्भाग्य की बात यह है कि इसके शिकार मुख्यत: हाशिए पर खड़े वे लोग होते हैं, जो सामाजिक भेदभाव का दंश झेल चुके हैं अथवा आर्थिक रूप से कमजोर हैं। आर्थिक प्रलोभन एवं सामाजिक उत्थान के मकड़जाल के रूप में मतांतरण की रणनीति स्वतंत्रता पूर्व से ही भारत के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी थी, जिसने भारत की जनसांख्यिकी को बहुत हद तक प्रभावित भी किया।


प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट ‘शेयर आफ िरलीजियस माइनारिटी ए क्रास कंट्री एनालिसिस’ बताती है कि भारत में हिंदुओं की आबादी में 7.82 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं मुस्लिम आबादी का हिस्सा 9.84 प्रतिशत से बढ़कर 14.95 प्रतिशत तथा ईसाई आबादी का 2.24 प्रतिशत से बढ़कर 2.36 प्रतिशत हुआ है। आंकड़ों की यह तस्वीर स्वयं में बहुत कुछ स्पष्ट कर रही है। ‘साम दाम दंड भेद’ की रणनीति अपनाकर मतांतरण की मानसिकता पर अंकुश लगाने के लिए 1936 में रायगढ़ रियासत द्वारा ‘रायगढ़ मतांतरण अधिनियम’ पारित किया गया। ऐसे ही कानून उदयपुर, कोटा और जोधपुर आदि द्वारा भी बनाए गए। बड़े पैमाने पर मतांतरण की घटनाओं को देखते हुए मध्य प्रदेश ने 1954 में एक समिति गठित की। समिति की रिपोर्ट ने उजागर किया कि निर्धन लोगों को बरगलाकर मतांतरण कराया जा रहा है। परिणामस्वरूप, स्वतंत्र भारत में पहला मतांतरण विरोधी कानून मध्य प्रदेश राज्य द्वारा पारित किया गया, जिसे ‘मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1967’ के रूप में जाना जाता है। इस अधिनियम में बल, धोखाधड़ी या प्रलोभन द्वारा मतांतरण को दंडनीय अपराध माना गया था। इसके बाद ओडिशा ने ‘उड़ीसा धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968’ पारित किया। इन दोनों अधिनियमों को उनके संबंधित उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती भी दी गई थी।


मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने ‘रेव. स्टैनिस्लास बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य’ (1974) मामले में अधिनियम की वैधता को कायम रखा। उच्च न्यायालय ने माना कि ‘बड़े पैमाने पर मतांतरण में सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने की क्षमता है...।’ उच्च न्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। शीर्ष न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के विचारों से सहमति प्रकट की और कहा कि ‘अनुच्छेद 25 (1) के तहत किसी के मत का प्रचार का अधिकार किसी व्यक्ति को अपने मजहब में परिवर्तित करने का मौलिक अधिकार नहीं देता है।’ मतांतरण विरोधी कानून की संवैधानिक वैधता से संबंधित एक और ऐतिहासिक मामला ‘हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधि., 2006’ है। यह अधिनियम अपने पूर्ववर्तियों से एक कदम आगे गया। इसमें जोड़ी गई धारा-4 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को मतांतरण से पहले जिला मजिस्ट्रेट को 30 दिन पहले सूचना देनी होगी, जो मतांतरण की सत्यता की जांच करेगा।


न्यायालय की टिप्पणियों, उनके निर्णयों और कानूनी उठापटक से इतर हमें उन सामाजिक भूमिकाओं को भी जांचने की आवश्यकता है, जिनके चलते आज भी छल-कपट और लोभ-लालच से मतांतरण हो रहा है। यह भी जरूरी है कि उन खामियों पर खुले रूप से चर्चा की जाए, जो हाशिए पर खड़े व्यक्तियों को मतांतरण की ओर धकेलती हैं। यह भी स्मरण रहे कि स्वामी विवेकानंद ने हिंदुओं के योजनाबद्ध मतांतरण पर स्पष्ट रूप से चेतावनी दी थी कि ‘एक हिंदू का मतांतरण केवल एक हिंदू का कम होना नहीं, बल्कि एक शत्रु का बढ़ना है।’



घोड़खिंड की लड़ाई!

 घोड़खिंड की लड़ाई! 




अधिकांश लोगों ने संभवतः यह नाम ही नहीं सुना होगा! कक्षा दसवीं तक पढ़ाए जाने वाले इतिहास में इस लड़ाई को स्थान नहीं दिया गया है। परन्तु, ३५० वर्षों से भी पूर्व लड़ी गई इस लड़ाई ने एक तरह से भारत का भविष्य बदल कर रख दिया। फिर भी इसे बच्चों को पढ़ाया नहीं जाता क्योंकि शायद भारतीय विजयगाथाओ को पढ़ने लायक इतिहास माना ही नहीं गया। 


शिवाजी महाराज द्वारा अफ़ज़ल ख़ान को मौत के घाट उतार देना एक अकल्पनीय घटना थी। अफ़ज़ल के सुल्तान बीजापुर के आदिलशाह के लिए यह एक गहरा आघात था। शिवाजी महाराज भी इस विजय के प्रभाव को समझते थे। उन्होंने अफ़ज़ल के वध से उत्पन्न परिस्थिति का लाभ उठाते हुए बीजापुर की सीमाओं में अपने हमले तेज कर दिए। मात्र अठारह दिनों के अन्दर ही महाराज ने कोल्हापुर के नजदीक पन्हाला के किले को अपने अधिपत्य में ले लिया। पन्हाला एक प्रमुख किला था और शिवाजी का उसे जीत लेना आदिलशाह के लिए एक और आघात था। परेशान आदिलशाह ने अफ़ज़ल के पुत्र फ़ज़ल और रुस्तम जुमा के नेतृत्व में एक बड़ी सेना शिवाजी के बंदोबस्त के लिए भेजी परन्तु शिवाजी महाराज ने उन्हे कोल्हापुर के नजदीक बुरी तरह पराजित कर दिया। 


अब आदिलशाह क्रोधित नहीं बल्कि डरा हुआ था। शिवाजी महाराज का पराक्रम बढ़ता जा रहा था। अंततः आदिलशाह की ओर से सिद्धि जौहर 60000 की विशाल सेना लेकर पन्हाला पहुंचा। शिवाजी महाराज पन्हाला गढ़ पर ही थे। सिद्धि ने नीचे तलहटी में गढ़ को चारों ओर से घेर लिया। सिद्धि कुशल सेना नायक था। उसने गढ़ के चारों ओर घेरा इतना सुदृढ़ बनाया था कि उसे भेद कर निकलना असंभव था। शिवाजी महाराज करीब चार महीनों तक पन्हाला पर ही अटके हुए थे। इसी बीच बारिश का मौसम भी शुरू हो चुका था। 


गढ़ के ऊपर शिवाजी महाराज के पास बहुत सीमित सेना थी। धीरे धीरे रसद और असलहा भी समाप्त हो रहा था। स्थिति प्रत्येक गुजरते दिन के साथ गंभीर होती जा रही थी। सिद्धि का घेरा कमजोर पड़ ही नहीं रहा था। स्पष्ट था कि यदि कुछ दिन और ऐसा ही चलता रहा तो शिवाजी महाराज को या तो समर्पण करना होगा या युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो जाना होगा। 


इस करो या मरो की स्थिति में शिवाजी महाराज और उनके विश्वासपात्र सैनिकों ने एक योजना बनाई। तय हुआ कि शिवाजी का हमशक्ल, उनका नाई, शिवा काशिद, को शिवाजी महाराज के कपड़े इत्यादि पहना कर राजसी पालकी में बैठा कर ऐसे रास्ते से किले के बाहर ले जाया जाएगा जहां उसका पकड़ में आना तय था। ऐसा होते ही सिद्धि की छावनी में यह ख़बर फैल जाएगी कि शिवा पकड़ा गया! शिवा काशिद जब तक हो सके यह भ्रम बनाए रखेगा कि वह ही असली शिवाजी है। उधर दूसरी ओर असली शिवाजी महाराज साढ़े कपड़ों में एक अन्य पालकी में ऐसे स्थान से पन्हाला के बाहर निकलेंगे जहां सिद्धि का घेरा थोड़ा कमजोर था। घेरे से बाहर निकल कर शिवाजी विशाल गढ़ चले जायेंगे जो पन्हाला से बीस कोस याने लगभग 70 किमी दूर था। 


सन 1660 में गुरुपूर्णिमा की रात्रि में शिवा काशिद शिवाजी महाराज बनकर एक पालकी में बैठकर पन्हाला से निकल पड़ा। उसे यह अच्छी तरह पता था कि असलियत खुलते ही उसकी मौत निश्चित थी। परन्तु महाराज की प्राण रक्षा के लिए उसने यह बलिदान सहर्ष स्वीकार किया था। जो होना था वही हुआ। शिवा शीघ्र ही पकड़ा गया। पूरी छावनी में खबर आग की तरह फैल गई, “शिवा पकड़ा गया”। परन्तु कुछ ही देर में शत्रु समझ गया कि यह नकली शिवाजी है। उधर महाराज जिस जगह से घेरा तोड़ने में सफल हुए वहां से भी खबर आ गई कि शिवा भाग चुका है। तुरन्त ही शत्रु के करीब 2000 से अधिक घुड़सवार सैनिक असली शिवाजी और उनके 600 सैनिकों के पीछे दौड़ पड़े। शिवाजी महाराज पालकी में थे। अन्य सैनिक और अधिकारी पैदल ही चल रहे थे। पूर्णमासी की उस रात धुआंधार वर्षा भी हो रही थी। घटाटोप अंधेरा, घना जंगल और कीचड़। कहार तेजी से आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। शिवाजी के साथ बाजीप्रभु देशपांडे नामक सेनानायक अपने 600 वीरों के साथ चल रहा था। सुबह होते होते मराठे घोड़खिंड़ के नजदीक पहुंचे। घोढ़खिंड दो चट्टानी दीवारों के मध्य एक संकरा गलियारा था। दिन के उजाले में अब पीछा करता शत्रु नजर आने लगा था। 


बाजीप्रभू ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए शिवाजी महाराज को निवेदन किया कि बेहतर होगा कि महाराज आधे सैनिकों के साथ पैदल विशालगढ़ की और बढ़ जाए। वहां भी शत्रु का घेरा था परन्तु सिद्धि के घेरे जितना सुदृढ़ नहीं था। शिवाजी महाराज और उनके सैनिक उस घेरे को तोड़ विशाल गढ़ पहुंच जायेंगे। इधर बाजीप्रभु देशपांडे अपने सैनिकों के साथ सिद्धि के सैनिकों को घोढ़खिंड की भौगोलिक स्थिति का लाभ ले कर रोक कर रखेंगे। जब महाराज विशालगढ़ पहुंच जाएं तब गढ़ की तोप से इशारे का एक प्रहार कराएं जिससे बाजीप्रभु समझ जायेंगे कि महाराज सकुशल विशालगढ़ पहुंच चुके है। यह प्रसंग शिवाजी महाराज के लिए अत्यन्त कठिन और असहनीय था। बाजीप्रभू और उनके सैनिकों को छोड़ कर जाने का सीधा मतलब था उन्हे मौत के हवाले कर जाना। 2000 सैनिकों के सामने आखिर 300 सैनिक कहां तक टिकते? परन्तु बाजीप्रभु अड़ गए। उन्होंने शिवाजी महाराज को मजबूर किया कि वें 300 सैनिकों के साथ पैदल ही विशालगढ़ की ओर बढ़ जाएं। ऐसा ही हुआ। 


अब बाजीप्रभु और उनके कुछ बहादुर सैनिक घोढ़खिंड के गलियारे के छोर पर शत्रु के सैनिकों से भिड़ गए। 2000 के सामने 300! गलियारे का लाभ उठाते हुए मराठों ने अद्भुत पराक्रम का प्रदर्शन किया और सिद्दी के सैनिकों को रोक लिया। कत्लेआम मचा हुआ था। आमने सामने की लड़ाई चल रही थी। बाजीप्रभू ने पराक्रम की पराकाष्ठा दिखा दी। दोनों हाथों में तलवारें लिए यह भीमकाय योद्धा शत्रु सैनिकों को गाजर मूली की तरह काट रहा था। बाजी और उनके सैनिक सिद्दी के सैनिकों पर यमदूत की भांति टूट पड़े थे। मात्र १५० कदम के घोडखिंड गलियारे को सिद्दी के सैनिक पार नहीं कर पा रहे थे। मराठे सैनिक बगैर विश्राम या अन्न भोजन के रात भर से दौड़ रहे थे। लेकिन अब सुबह से वे घोड़खिंड के मुहाने पर चट्टान की भांति अड़े हुए थे। 


उधर शिवाजी महाराज पैदल अपने सैनिकों के साथ विशालगढ़ की ओर बढ़ रहे थे। रास्ते में आदिलशाह के सरदार सुर्वे का घेरा था। शिवाजी और उनके सैनिक भी रात भर से बिना अन्न भोजन के चल दौड़ रहे थे। परन्तु विशालगढ़ नजर आने लगा था। सभी के शरीर में नई ऊर्जा का संचार हो कर वे शत्रु सैनिकों पर टूट पड़े। कुछ ही देर में उन्होंने घेरे को तोड़ विशालगढ़ चढ़ना शुरू कर दिया था। 


इधर घोड़खिंड़ में खून को होली चल रही थी। बंदूक की एक गोली सीने पर आ लगने से बाजीप्रभु मूर्छित हो कर गिर गए। तुरन्त ही होश में आए। होश में आते ही पूछा कि महाराज के पहुंचने की तोप की आवाज आई क्या? साथ के सैनिकों के कहा कि अभी तक नही आई है! कहते हैं, कि बुरी तरह घायल बाजी यह सुनते ही पुनः उठ खड़े हुए और यह कहते हुए शत्रु सैनिकों पर टूट पड़े कि यदि महाराज पहुंचे नहीं तो बाजी मरेगा कैसे? कुछ ही देर बाद, महाराज दौड़ते हुए विशालगढ़ पहुंचे। उन्होंने गढ़ की सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते ही आदेश दिया कि तोप से धमाका किया जाय। आदेश का तुरन्त पालन हुआ। नीचे लड़ते हुए बाजीप्रभु देशपांडे ने तोप के धमाके की आवाज सुनी और उनके चेहरे पर संतोष की मुस्कान छा गई। शिवाजी महाराज सकुशल विशालगढ़ पहुंच चुके थे। सिद्धि का हमला असफल सिद्ध हो चुका था। बीजापुर के आदिलशाह को एक और जबरदस्त आघात पहुंचा था। अब बाजीप्रभु मर सकता था। 


३०० मराठा वीर खेत रहे। परन्तु उन्होंने कुछ बेशकीमती घण्टों तक सिद्धि जौहर की सेना को घोड़खिंड तक रोक रखा था। शिवाजी महाराज जीवित सिद्दी के घेरे से निकल गए थे। अगले बीस वर्षों में शिवाजी महाराज ने हिंदवी साम्राज्य की नींव तो रखी ही, योद्धाओं की एक ऐसी संस्कृति विकसित की जिसने आने वाले दशकों में छत्रपति संभाजी, ताराबाई, संताजी घोरपड़े, धनाजी जाधव और बाजीराव पेशवा जैसे अनमोल रणवीर उत्पन्न किए, जिन्होंने अगले १२० से भी अधिक वर्षों तक भारत के विशाल भाग पर राज्य किया और सनातन के क्षरण को रोक हिन्दू संस्कृति का ध्वज लहराया। 


मराठों का अगले १२० वर्षों का गौरवशाली इतिहास शायद लिखा ही नहीं जाता यदि १३जुलाई १६६० की उस गुरुपूर्णिमा को शिवा काशिद, बाजीप्रभु देशपांडे और उनके सैनिक अपने प्राण न्योछावर कर शिवाजी महाराज के प्राण नहीं बचाते! महाराज ने मराठों के रक्त से पावन हुए इस गलियारे का नाम बदल कर पावनखिंड कर दिया। 


आज १३ जुलाई को आज के ही दिन सन १६६० में सर्वोच्च बलिदान देने वाले शिवा काशिद,  अतुलनीय पराक्रमी बाजीप्रभु देशपांडे और उनके ३०० जांबाज सैनिकों और कहारों को सादर प्रणाम। उन्होंने सिर्फ शिवाजी को ही नहीं अपितु समस्त सनातन समाज को ही नवजीवन प्रदान किया यह असंदिग्ध है।



१३ - ०७ -२०२४


Friday, July 12, 2024

मैं सेवा निवृत्त #सैन्य_अधिकारी हूँ. पल्टन में पहुँचने पर #वसीयत बनी. मैंने अपने हाथों से लिखा कि मेरी मृत्यु के बाद मेरा वारिस (Next of Kin) संक्षेप में NOK कौन होगा

मैं सेवा निवृत्त #सैन्य_अधिकारी हूँ.


पल्टन में पहुँचने पर #वसीयत बनी. 

मैंने अपने हाथों से लिखा कि मेरी मृत्यु के बाद मेरा वारिस (Next of Kin) संक्षेप में  NOK कौन होगा.


 माता, पिता, भाई, बहन, विवाह हुआ तो पत्नी, बच्चे हुए तो बच्चों का नाम सहित %, किसको कितना, ये मैंने अपने हाथों से लिखा।

एक अफसर ने गवाह के तौर पर हस्ताक्षर किये, एडजुटेंट ने दस्तखत किये, यूनिट कमांडर ने काउंटर साईन किया, पार्ट टू आर्डर छपा, वो कागज मेरी सेवा पुस्तिका के साथ एक अलग लिफाफे में रखा गया और सर्विस के दौरान हर समय, हर साल मुझे उस वसीयत को बदलने, अपने मन मुताबिक हेर फेर करने की अनुमति थी. 


ये मेरी इच्छा थी कि मैं NOK में अपने माता-पिता, भाई बहन को शामिल करूँ या न करूँ. ये मेरी इच्छा थी की मैं पत्नी के साथ बच्चों को शामिल करूँ या न करूँ. कोई जोर जबरदस्ती नहीं.


अंशुमान के माता-पिता को अपने दिवंगत पुत्र की वसीयत का सम्मान करना चाहिए.



यही कानूनी स्थिति है. 


बहुत विचार विमर्श, मंथन के बाद सेना में वसीयत का सिस्टम  आया. वरना कई माता-पिता युवा विधवा पुत्र वधु को लांछन लगा कर घर से निकाल देते थे. कईयों के दुधमुंहा बच्चे भी होते थे. 


चूंकि हर घर की परिस्थिति समान नहीं होती इसलिए यह निर्णय फौजी पर छोड़ा गया कि वो तय करे कि उसकी मृत्यु के उपरांत NoK कौन होगा और वसीयत बनाना अनिवार्य किया गया.


साधारण तौर पर फौजी बीमा की राशि में माँ का नाम भी पत्नी के नाम के साथ शामिल करते हैं और ग्रेच्युटी, पेंशन, आदि में सिर्फ पत्नी का नाम रखते हैं ताकि मरणोपरांत विवाद न हो।


Major रमेश उपाध्याय की post


लेकिन आज मेरे उसे वीर शहीद अंशुमन की आत्मा रो रही होगी यह विवाद सुनकर,


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*गृह मंत्री अमित शाह ने इंद्रा गांधी के ईमरजेंसी अधूरी बात बताई है देश को* 👆

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*गृह मंत्री अमित शाह ने इंद्रा गांधी के ईमरजेंसी अधूरी बात बताई है देश को*

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*पुरी सच्चाई मै बताता हु आप को कि इंद्रा फ़िरोज़ खान गांधी कितनी बड़ी कैंसर थी भारत देश के लिए*

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*इंद्रा गांधी कोई दुर्गा नही थी बल्कि इस्लाम धर्म कि एक महिला मुजाहिद्दीन जिहादी थी भारत देश मे*

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*इंद्रा फ़िरोज़ खान गांधी ने इमरजेंसी लगा के हिन्दु-धर्म को भारत मे ख़त्म करने के लिए भारत के संविधान को जबरदस्ती बदल कर धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) बनाया था |*

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*हिन्दु-धर्म के ख़त्म होने के बाद भारत एक मुस्लिम-राष्ट्र बन जाय भविष्य मे इसके लिए इंद्रा फ़िरोज़ खान गांधी ने भारत देश के अंदर पाकिस्तानी सरिया कानून लागु कर दिया था*

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*उस पाकिस्तानी सरिया कानून का नाम बदल कर "मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड" कर दिया गया था जो की आज भी भारत मे 55 साल से कार्यरत है*

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*गांधी-नेहरू परिवार सुरु से हि ना सिर्फ हिन्दुओ के अस्तित्व से घृणा करता है बल्कि भारत राष्ट्र के लिए भी खतरनाख कैंसर है 77 सालो से लेकर आज तक*

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*🇮🇳 जय हिन्द ‼️ जय भारत 🇮🇳*


*बाप आहे म्हणून…..*

 *बाप आहे म्हणून…..*

      


*काही दिवसापूर्वी मी पुण्यात* *असताना एका महत्वाच्या मिटिंग बसलो होतो. माझ्या सोबत चारजण क्लासवन दर्जाचे* *अधिकारी बसलेले होते.तर काही उद्योजक आणि समाजसेवक ही होते.एका मोठ्या कार्यक्रमाच्या संदर्भात आमचं बोलण सुरु झालेलंच होतं. आणि तेवढ्यात माझा फोन व्हायब्रेट व्हायला लागला.* *फोन समोरच असल्यामुळे माझं लक्ष स्क्रिनवर गेलं.*फोन माझ्या वडिलांचा होता.मी सर्वाना चेहऱ्याने खूणवून विनंती केली आणि फोन उचलला.*

*आणि मी एकदम मोठ्या आवाजात म्हणलं “बोला अण्णा काय म्हणताय..”तर पलीकडून अण्णा म्हणले “कुठ हाईस..? “ मी* *म्हणलं,पुण्यात आहे.अण्णा जरा मीटिंग मध्ये आहे.अण्णा म्हणाले “ते* *असू दे, काय खाल्लास का बाबा* 

 *पोटाला..?  *मी होय म्हणलं..अण्णांनी फोन ठेवला..आमचं बोलणं पुन्हा सुरू झालं.. आणि* *लगेच पाच मिनिटांनी पुन्हा अण्णांचा फोन आला..मी पुन्हा सगळ्यांना थांबवलं* *आणि फोन घेतला…पलीकडून आण्णा म्हणाले “ हे बघ येताना किलोभर बोंबील आणि सुकट घेऊन ये. तुझ्या त्या खडकीच्या* *दोस्ताकडणं ..मी बरं अण्णा म्हणलं…परत फोन ठेवला…मीटिंग सुरू झाली..आणि परत लगेच दोन मिनिटांनी अण्णांचा परत फोन आला..मी शांतपणे पुन्हा फोन घेतला..पलीकडून अण्णा म्हणाले,  आरं टिव्हीचा रिचार्ज संपलाय तेवढं बॅलन्स मार त्यावर लगेच…” मी होय आण्णा म्हणून फोन* *ठेवला आणि ताबडतोब बॅलन्स टाकला..*

*तर लगेच परत फोन आला..अण्णा परत म्हणले “ हम्म आलाय आलाय बॅलन्स चालू झालं..” मी बर अण्णा म्हणून फोन ठेवला..सगळ्यांना सॉरी म्हणून मी बोलायला सुरू होणार तेवढ्यात परत फोन आला…मी परत फोन घेतला आणि अण्णांनी विचारलं “ आरं ती भारताची मॅच कवा हाय..साऊथ आफ्रिका सोबत हाय नव्हं आता..त्यावेळी वल्डकप सुरू होता..अण्णांना क्रिकेटचा जरा नाद आहे.मी बाजूच्या एकाला विचारलं, “सर कधी आहे ओ साऊथ आफ्रिके सोबत आपली मॅच..??? त्याने तर तोंडावरचा राग लपवत सांगितलं की उद्या आहे मॅच म्हणून….मी तसंच अण्णांना सांगितलं…मग अण्णांनी परत फोन कट केला…*

    *चार पाच वेळा एका दमात फोन झाल्याशिवाय आण्णा शांत बसत नाहीत ही सवय मला माहित होती.आता दोन तास तरी त्यांचा फोन येणार नाही याची खात्री मला झाली.आणि मी पुन्हा सर्वांना बोललो सर आता करा सुरू…*

  *माझ्या त्या फोनमुळे वातावरण जरा बदलले होते याची जाणीव मला झाली होती..पण मी काय लै लोड घेतला न्हाय..मीटिंग संपली..*


*मीटिंग संपल्यावर नाष्टा आला..नाष्टा करताना सगळेजण त्यांच्या फोनवर आलेले मिसकॉल पाहत होते.आणि* *मला ते समजावे म्हणून एकमेकांना कॉल आलेले दाखवत होते.माझ्या ही फोनवर सात ते आठ अनोळखी नंबर वरून आलेले मिस कॉल दिसत होते…मी मात्र त्याकडे दुर्लक्ष करून नाष्टा पोटात ढकलू पाहत होतो..*


*त्यातला एकजण मला म्हणाला, दादा एक बोलू का? रागावू नका पण मीटिंग सुरू असताना फोनवर लै बोलला* *तुम्ही..आणि वडिलांचाच तर फोन होता आणि एवढं काय महत्वाचं ही नव्हतं.. तुम्ही मिटिंग संपल्यावर ही बोलू शकला असता त्यांना.? त्याच्या सुरात सगळ्यांनी सुर मिसळला आणि शांतपणे ते सर्वजण माझ्यावर राग व्यक्त करू लागले.*

*त्या सगळ्यांचं बोलण झाल्यावर मी फक्त इतकंच म्हणलं…*


*आज बापाचा आपल्याला दिवसातून हजारवेळा कॉल येतोय यासारखी सुंदर गोष्ट जगात दूसरी कुठलीच नाही साहेब …आणि साहेब मी जर फोन उचलला नसता ना तर किमान दोन तास तरी माझा बाप माझ्या काळजीत तडफडला असता..साहेब आज* *बापाचा फोन येतोय उद्या भविष्यात बाप निघून गेल्यावर या नंबर वरून कॉल येणार नाही..हा काळजी असणारा आवाज कानावर पडणार नाही*.. *आणि साहेब मिटिंग,कार्यक्रम वैगेरे होतच राहतील…माझं बोलणं सुरू होतंच तेवढ्यात अण्णांचा परत फोन* *आला…मी पटकन उचलला आणि स्पिकरवर टाकला…अण्णा जोरात बोलत म्हणाले,*

*“ आर बोंबील घेताना खारा मासा बी जर चांगला भेटला तर किलोभर घेऊन ये..तोंडाला चव येईना लका…मी शांतपणे होय म्हणल्यावर फोन ठेवला…*


*त्यावेळी अचानक समोरच्या खुर्चीत बसलेले परांजपे सर एकदम लहान मुलासारखे रडू लागले..सगळेजण शांत झाले…डोळे पुसत ते म्हणाले, सर  खरं आहे तुमचं…मी आयुष्यात काय गमावून बसलोय याची आज तुम्ही मला जाणीव करून दिली.पण आता वेळ निघून गेली ओ.. आता नाही येत फोन माझ्या वडिलांचा. कारण वडीलच गेले ओ निघून.. पार पार दूर निघून गेले. रेंजच्या बाहेर गेले.सर्वांचे डोळे पाणावले. आणि गंमत म्हणजे ज्यांचे वडील रेंज मध्ये आहेत त्यांनी त्यांनी आपापल्या वडिलांना फोन करायला सुरवात केली. का कुणास ठाऊक पण सर्वजण अगदी लहान मुलासारखे बापाशी बोलू लागले. मात्र परांजपे सरांचा हंबरडा आतल्या आत बापाच्या आठवणीत हंबरत राहिला.*


*आम्ही बाहेर पडलो.सगळेजण त्यांच्या त्यांच्या गाडीतून निघून गेले. आणि मी माझ्या खडकीच्या मित्राला म्हंजे रुपेशला फोन केला..पलीकडून रूप्या शिवी देतच म्हणाला काय रे नालायक माणसा आज आठवण आली का तुला??. मी पण तसाच शब्द फिरवत म्हणलं, नालायका कोथरूडला ये ना बोंबील, सुकट आणि खारा मासा घेऊन.. आण्णाने घेऊन यायला लावलं आहे. तसा रुप्या हसत म्हणाला मी तुला फोन करणारच होतो कारण अण्णांचा मला फोन आला होता मघाशीच.. येतो घेऊन थांब तिथंच…तासाभराने रुप्या सगळं घेऊन आला.मी मात्र त्या बोंबलाच्या दरवळनाऱ्या वासात अण्णांचा हसरा चेहरा शोधू लागलो..*


*मित्रहो, बापाचा फोन येतोय ना.. येतोय ना..तर दुनिया गेली उडत..बापाचा फोन उचलायचा आधी..तुमची मिटिंग,तुमचं ऑफिस कुठेही पळून जाणार नाहीय. दुनिया जिथं आहे तिथंच असणार आहे.पण केव्हा ना केव्हा तरी बाप जाणार आहे रेंजच्या बाहेर. तिथून बाप फोन करू शकणार नाहीय. त्यावेळी कितीही तडफडून वाट बघितली ना तरी स्क्रिनवर हा नंबर येणार नाहीय. म्हणून दोस्ता दुनियेला जरा वाळत घालायचं आणि बापाच्या प्रेमात ओलं होऊन जायचं. बस्स इतकंच सांगायचं होतं.वाचून झालं असेल तर पहा वडिलांचा मिस कॉल पडलाय का? चला लावा बरं फोन आपल्या बापाला वाट पाहतोय ना तो तुमच्या फोनची…*


*नक्की शेअर करा…..*

Thursday, July 11, 2024

Indian Army AGNIPATH Recruitment

 Indian Army AGNIPATH Recruitment




*  Vacancy      : 46,000 Posts

*  Job Role     : Agniveer

*  Qualify        : 8th, 10th, 12th

*  Age             : 17 to  23

*  Salary         : Rs.30,000 - 40,000/-

*  Location     : All Over India

*  Selection    : Physical, Medical

*  Apply Mode: Online


This message is very useful for the job seeker. Kindly share this information with at least one group, Benefits of AGNIPATH


1st Year: Rs.21000 × 12 = Rs. 2,52,000

2nd Year: Rs.23100 × 12 = Rs. 2,77,200

3rd Year: Ra.25580 × 12 = Rs. 3,06,960

4th Year: Rs.28000 × 12 = Rs. 3,36,000

4 Years Total = Rs.11,72,160


Retirement Time after 4th Year: Rs.11,71,000 


Grand Total after 4th Year = Rs. 23,43,160


Plus:

1. Excellent Army Training,

2. Food, Clothes, Boarding & Lodging @ Army Regimental Life for 4 years.

3. Disciplined Lifestyle and

4. Matured Mindset.


Job Offers after 4 Years from:


1. Tri-Forces (Army, Navy, Airforce)

2.. CRPF

3. Railway Protection Force

3. GRP

5. CISF

6. BSF

7. Customs & Central Excise

8. Forest Departments

9. ONGC

10. IOCL

11. HPCL

12. Indian Railways

13. State Police

14. Banks

15. Airports

16. Seaports

17. Traffic Police Depts

18. Toll Plazas

19. ATMs

20. NMDC

21. SAIL

22. All Central PSUs

23. All State PSUs.

24. Task Force

25. Corporates like TATAs, Wipros, Mahindras.

26. Private Security Agencies

27. Logistics Companies

28. Cargo Companies

29. Warehousing Cos.

30. Road Transport Corps (RTCs)

31. Private Transport Cos.

32. Airliners (Indigo, SpiceJet, Tata Vistara etc etc)

33. Community Policing.

and Many MORE...


And, youth get excellent training to face rioters/looters/anti-social elements.


So, Dear YOUTH, please urgently learn that AGNIPATH is very important in your life and a Great Gift. No doubt in it.


And, 10% Quota for Agniveers in Coast Guard, Defence, Civilian Posts, and in nearly 100 Defence PSUs & Defence R&D Units viz....

1. Hindustan Aeronautics Ltd (All 38 Divisions/Units of HAL and HAL JV Companies)

2. Bharat Electronics Ltd (all 10 Units)

3. Bharat Dynamics Ltd

4. BEML Ltd.

5. Mishra Dhatu Nigam Limited (MIDHANI)

6. Mazagon Dock Shipbuilders Limited (MDL)

7. Garden Reach Shipbuilders and Engineers Ltd (GRSE)

8. Goa Shipyard Limited (GSL)

9. Hindustan Shipyard Ltd

10. Advanced Weapons & Equipment India Limited

11. Gliders India Ltd

12. Troop Comforts Ltd

13. Armoured Vehicles Nigam Limited (AVNL)

14. Munitions India Limited (MIL)

15. Yantra India Limited (YIL)

16. India Optel Limited (IOL)

17. Defence Research and Development Organisation (DRDO) Labs/Units

18. Advanced Centre for Energetic Materials (ACEM)

19. Advanced Numerical Research & Analysis Group (ANURAG)

20. Advanced Systems Laboratory (ASL)

21. Aerial Delivery Research & Development Establishment (ADRDE)

22.Aeronautical Development Establishment (ADE)

23. Armament Research & Development Establishment (ARDE)

24. Centre for Air Borne System (CABS)

25. Centre for Artificial Intelligence & Robotics (CAIR)

26. Centre for Advanced Systems (CAS)

27. Integration of Strategic Systems

28. Centre for Military Airworthiness & Certification (CEMILAC)

29. Centre for Personnel Talent Management (CEPTAM)

30. Centre for Fire, Explosive & Environment Safety (CFEES)

31. Centre for High Energy Systems and Sciences (CHESS)

32. Centre for Millimeter Wave Semiconductor Devices & Systems (CMSDS)

33. Combat Vehicles Research & Development Establishment (CVRDE)

34. Defence Avionics Research Establishment (DARE)

35. Defence Bio-engineering & Electromedical Laboratory (DEBEL)

36. Defence Electronics Applications Laboratory (DEAL)

37. Defence Scientific Information & Documentation Centre

38. Defence Food Research Laboratory (DFRL)

39. Defence Institute of Bio-Energy Research (DIBER)

40. DRDO Integration Centre (DIC)

41. Integration of Strategic System

42. Defence Institute of High Altitude Research (DIHAR)

43. High Altitude Agro-animal Research

44. Defence Institute of Physiology & Allied Science (DIPAS)

45. Defence Institute of Psychological Research (DIPR)

46. Defence Laboratory (DL)

47. Defence Electronics Research Laboratory (DLRL)

48. Defence Materials & Stores R&D Establishment (DMSRDE)

49. Defence Metallurgical Research Laboratory (DMRL)

50. Defence Research & Development Establishment (DRDE)

51. Defence Research & Development Laboratory (DRDL)

52. Defence Research Laboratory (DRL)

53. Defence Terrain Research Laboratory (DTRL)

54. Gas Turbine Research Establishment (GTRE)

55. High Energy Materials Research Laboratory (HEMRL)

56. Institute of Nuclear Medicine & Allied Sciences (INMAS)

57. Institute of Systems Studies & Analyses (ISSA)

58. Institute of Technology Management (ITM)

59. Instruments Research & Development Establishment (IRDE)

60. Integrated Test Range (ITR)

61. Joint Cypher Bureau (JCB)

62. Laser Science & Technology Centre (LASTEC)

63. Electronics & Radar Development Establishment (LRDE)

64. Military Institute of Training (MILIT)

65. Mobile Systems Complex (MSC)

66. Microwave Tube Research & Development Centre (MTRDC)

67. Naval Materials Research Laboratory (NMRL)

68. Naval Physical & Oceanographic Laboratory (NPOL)

69. Naval Science & Technological Laboratory (NSTL)

70. Proof and Experimental Establishment (PXE)

71. Recruitment and Assessment Center (RAC)

72. Research Centre Imarat (RCI), HYD

73. Research & Development Establishment (Engrs)

74. DRDO Research & Innovation Centre (RIC)

75. Scientific Analysis Group (SAG)

76. Snow and Avalanche Study Establishment (SASE)

77. Snow and Avalanche Complex

78. Solid State Physics Laboratory (SSPL)

79. Terminal Ballistics Research Laboratory (TBRL)

80. Vehicle Research & Development Establishment (VRDE)

Wednesday, July 10, 2024

और सबसे ज्यादा हिन्दू महिलाओ की दुर्गति होंगी

 मैं यह पोस्ट किसी को भी टैग नहीं कर रहा हूँ, और आज कोई और पोस्ट डालूँगा भी नहीं, आज यही ऑब्जर्व करूँगा कितने हिन्दू इस पोस्ट को पढ़ समझ और शेयर करते हैं। 

Now ball is in your court


भारत पाकिस्तान मे युद्ध होगा!


-(और सबसे ज्यादा हिन्दू महिलाओ की दुर्गति होंगी )



https://youtu.be/NHVu7IozvQk?si=jOLFduAsc42yhDfJ


 लेकिन भारत मे भीषण गृहयुद्ध होगा! - भविष्य वाणी


हर हिन्दू यह लेख अवश्य पढे!


पाकिस्तान के पास सबसे बड़ा हथियार उसका परमाणु बम नहीं, बल्कि भारत मे बसे तीस करोड़ मुसलमान हैं!


यह बात मैं नहीं कह रहा हूँ,यह बात 1980 के दशक में जनरल जिया-उल-हक ने कही थी!


उसने कहा था कि "जब भारत में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान हैं, तो हमें वहाँ लड़ने के लिए अपने सैनिक भेजने की क्या जरूरत है?"


तब से पाकिस्तान ने अपनी सोच-स्ट्रेटजी बदल ली है! 


अब उसने भारत के मुसलमानों को रेडिकलाइज करने में इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया है!


हर शहर, हर गली मे मदरसे! यहां कि शिक्षा उसका उदाहरण हैं!


भारत की अपनी सरकारों और गद्दार नेताओं ने भी इस आग में खूब घी डाला है


आज अगर मोटा-मोटा आकलन करें, तो भी कम से कम 50% मुसलमान इस्लामी कट्टर हो ही चुका है! 


संख्या में ये कितने हुए? 30 करोड़ का 50%, यानी 15करोड़! जबकि भारत के पास लगभग 15 लाख सैनिकों की फौज है! मतलब, पूरे भारत की फौजों से सौ गुना अधिक!


अब, अगर पाकिस्तान इन्हें भारत में दंगे-फसाद फैलाने का सिग्नल दे दे,


 जबकि हर मुस्लिम के घर मे हथियार भी हैं, तो आप कैसे संभालोगे? 


और जो बाकी के 15 करोड़ हैं, वो आपके साथ खड़े होकर इसका विरोध करते नहीं दिखेंगे! 


वे या तो मूक दर्शक बनकर हवा का रुख भांपेंगे, या शोर मचाएँगे कि, मुसलमानों के साथ कितना अत्याचार हो रहा है!


इस शोर मे सेकुलर मिडिया और हिन्दू विरोधी विचारधारा वाले नेता भी इनका साथ देंगे! 


अगर 2-4% मुसलमान सचमुच इसके विरोध में भी होंगे, 


तो वे वैसे ही अप्रासंगिक होंगे, जैसे 1947 के पहले भारत विभाजन के समय थे!


पिछले कुछ समय से, भारत के अलग-अलग शहरों में, किसी न किसी बहाने से, 50,000 या 1,00,000 मुसलमान जुटते रहे हैं! 


उन्होंने हिंसक प्रदर्शन किया हैं, कभी किसी हिन्दू त्योहार के मौके पर, या कहीं पैगम्बर से गुस्ताखी के विरोध के बहाने से! 


पता है यह सब क्या है? ये विरोध प्रदर्शन नहीं है, 


यह सब उसी मारक हथियार के मिकेनिज्म को टेस्ट करने की पाकिस्तान की प्रक्रिया भर है!


सबूत, भारत में 1965 तक, एक मुस्लिम रेजिमेंट सेना में थी, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग थे! पाकिस्तान से युद्ध में उन्होंने पाकिस्तान पर हमला करने से मना कर दिया था! 


तब उस रेजिमेंट को तोड़ा गया था!


लेकिन सोचिए जरा, इससे निपटने की हमारी तैयारी क्या है?


हम समझते हैं, सब सरकार करेगी! जिस दिन युद्ध होगा, उस दिन हाँ सरकार करेगी! जितने सैनिक उपलब्ध होंगे उन्हें सीमा पर भेज देगी! वो मुसलमान यहां रेल कि पटरी उखाड़ देंगे, गदर मचाएंगे, लूटपाट करेगे!


ऐसा 1947 में कलकत्ता में देश विभाजन के समय हुआ था, जो एक कङवी सच्चाई है!


लेकिन क्या आप इन 15करोड़ को रोक पायेंगे?


युद्ध जिस स्तर पर लड़ा जाता है, उसका मुकाबला भी उसी स्तर पर किया जा सकता है!


 दुश्मन, सामाजिक स्तर पर, लड़ाई लड़ने को अपनी तैयारी लगभग पूरी कर चुका है! 


लेकिन क्या हम इस दिशा में एक भी कदम आगे बढ़े हैं? नहीं, बस सारा दिन "मोदी-मोदी"!

 

वो पंक्चर बना लेंगे, मुर्गा-मुर्गी बेच लेंगे, हजामत बना लेंगे, नहीं तो फेरी लगा कर कबाड़ खरीदेंगे-बेचेंगे, 


लेकिन वो इन चीजों में अपनी शक्ति जाया नहीं करेंगे! 


क्यों कि उन्होंने अपना लक्ष्य तय कर रखा है! 


वो जो भी करेंगे, अपने उसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ही करेंगे! 


हाँ, उनके कुछ लोग जो कुछ प्रशिक्षित हैं, वो इन मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से, सीमित मात्रा में, बोलते देखे जा सकते हैं, 


जो सिर्फ आपको व्यवस्था के प्रति आक्रोशित करने के लिए! वो सिर्फ मुद्दे को लोगों के बीच उकसाते हैं, 


और फिर अलग हो जाते हैं! और वहाँ मौजूद हम, आप उस मुद्दे के पक्ष-विपक्ष में वाक्युद्ध में संलग्न होकर, अपने आपसी रिश्ते बिगाड़ते हैं! और वे तमाशा देखते हैं!


ये भी उनकी स्ट्रेटेजी का हिस्सा है, जिसे हम हिन्दू भाँप नहीं पाते!


ऐसी विषम परिस्थिति में, अब भी समय है, कि हम समय रहते अपने छोटे-छोटे आपस में वैमनस्य पैदा करने वाले मुद्दों को पीछे छोड़, अपने अस्तित्व के संकट के प्रति एकजुट हों! इससे निपटने का कोई एक्शन प्लान बनाएं, और उस पर अमल करें! अन्यथा वह समय अब आ गया लगता है, कि हम विश्वगुरु के सपने देखते हुए, अपना वर्तमान भी खो देंगे!


जब धर्म ही नहीं बचेगा, तो धार्मिकता किस काम की रह जायेगी?आज वे फालतू की बात पर, मुस्लिम लगातार हिन्दू धर्म और उनके प्रतीकों का अपमान कर रहे हैं! हमे धमकी दे रहे हैं! और हम घर मे चुप चाप "राम राम" जपें, तो तैयार हो जाइए इस्लाम कुबूल करने को! यह राजनैतिक बात नहीं, बल्कि धार्मिक बात है! अपने धर्म की रक्षा के लिए सजग रहना ही होगा! जो हो रहा है, किसी से छिपा नही है! राजनैतिक पार्टियां समझ चुकी हैं, कि ये हिन्दू,अपने धर्म और विचारधारा का पक्का, न था, और न होगा!


इसलिए, खुले मंच से, हिन्दू धर्म का अपमान और अनदेखी कर रहे हैं! खैर, हमें क्या फर्क पड़ता है? हम बस तिलक लगाकर, हिन्दू धर्म रक्षक होने का मिथ्या अहंकार पाले घूम रहे हैं!


शरद पवार ने साफ कह दिया, "#मुस्लिम_सरकार_बनाते_हैं।", यानी हिन्दू वोट करता ही नहीं, या उसके वोट का मोल ही नहीं रह गया है!


काँग्रेस के महाराष्ट्र में अध्यक्ष ने कहा है, मुस्लिमों के कहने पर सरकार बनाई, #मतलब_हम_हिन्दू_बहुसंख्यक_होकर_भी_कोई_महत्व_नहीं_रखते_हैं!


खुलेआम ॐ और स्वस्तिक के चिन्हों पर Fu*k your Hindutva लिखा जा रहा है, लेकिन हमें क्या? हम धार्मिक हैं, अहिंसा वादी हैं, हमे सिर्फ पूजा-साधना में ध्यान लगाना चाहिए! यह सब बाहरी प्रपंच है, लेकिन न चाहते हुए भी यह बाह्य परिस्थितियों का प्रभाव पड़ता है! कभी सोचा पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिन्दू क्या धार्मिक नहीं थे? बिल्कुल थे! उनके मंदिर तोड़ दिए, पूजा पर रोक लगा दी! अब कैसे करते पूजा, आराधना और साधना? परिणाम यह हुआ, कुछ ने इस्लाम कुबूल कर लिया, कुछ भाग आये भारत मे! लेकिन हमने क्या किया? उनको शरणार्थी बना कर रख दिया! न अपनाया न हक दिया!


अब, जब CAA से उन्हें नागरिकता दी जा रही है, तब यहाँ के मुस्लिम विरोध कर रहे हैं!


 यानि, मुल्क बदला है, इस्लाम की विचारधारा वही है! 


न वहाँ रहने देंगे, न यहाँ!


एक नेता ने यहाँ तक कह दिया, कि मुस्लिम को तो पता है उनके बाप-दादा कहाँ दफन हैं, तुम हिंदुओं को यह भी नहीं पता कि तुम्हारे बाप-दादा कहाँ फूंके गए! लेकिन हिन्दू को इससे फर्क नहीं है! वो धार्मिक है! अपने साथ-साथ दूसरे धर्मों का भी सम्मान करता आया है! और अब यही विचारधारा कमजोरी बन गयी है! तभी अब मुस्लिम सीना ठोंक कर कहते हैं, कि, हमने ८०० साल राज किया! जबकि हिन्दू सनातन धर्म इस्लाम से पहले से था, तो हम तो साल भी नहीं गिन सकते कि, हमने कितने साल राज किया है!


#सनातन_धर्म_के_मूल_में_

अहिंसा_नहीं_थी, वरना देवी-देवता की परिकल्पना अस्त्र-शस्त्र के साथ नहीं करते! 


ये गौतम बुद्ध, महावीर और गाँधी ने हमे अहिंसावादी बनाकर पंगु कर दिया है! 


यह स्थिति है कि, कोई हमारे साथ गलत भी करे, तो हमारा हाथ तक नहीं उठता, शस्त्र उठाना तो दूर की बात है!


मैं शुरू से कहता आया हुं, "कल का कायर हिन्दू आज का मुस्लिम है, और आज का कायर हिन्दू भविष्य का मुस्लिम होगा!"



Tuesday, July 9, 2024

महात्मा गांधी के पुत्र हरिलाल गाँधी ने *27 जून 1936* को नागपुर में इस्लाम कबूल किया था और *29 जून 1936* को मुंबई में उसने इसकी सार्वजनिक घोषणा की कि वो हरिलाल गाँधी से *अब्दुल्लाह* बन गया है।

😡महात्मा गांधी के पुत्र हरिलाल गाँधी ने *27 जून 1936* को

नागपुर में इस्लाम कबूल किया था और *29 जून 1936* को मुंबई में उसने इसकी सार्वजनिक घोषणा की कि वो हरिलाल गाँधी से *अब्दुल्लाह*



बन गया है।

*1 जुलाई 1936* को जकारिया ने अब्दुल्लाह के घर की बैठक में बैठे हुए रोष भरे शब्दों में कहा- अब्दुल्लाह,

यह मैं क्या सुन रहा हूँ कि तुम्हारी यह *सात साल की छोकरी आर्य समाज मंदिर में हवन करने जाती है?’’*

यह अब तक मुस्लिम क्यों नहीं बनी ?

इसे भी बनाइए, यदि इसे मुस्लिम नहीं बनाया गया तो इसका तुमसे कुछ भी संबंध नहीं है।’

 

हरिलाल पर इस्लाम का रंग चढ़ गया था और हर हाल में पूरे हिंदुस्तान को इस्लामी देश बनाना चाहता था। 

वह जकारिया के सवाल का कुछ जवाब नहीं दिया।

लेकिन मनु ने जबाब दिया कि *‘‘मैं इस्लाम कबूल नहीं करूंगी’’*

जकारिया ने अब्दुल्लाह की मासूम बेटी मनु जो उस समय सात या आठ साल की ही थी, उसकी ओर मुखातिब होकर कहा, 

तुम इस्लाम क्यों नही कबूल करोगी ?



यदि तुम इस्लाम कबूल नहीं करोगी तो तुम्हें मुंबई की चैपाटी पर नंगी करके तुम्हारी बोटी-बोटी करके चील और कव्वों को खिला दी जाएगी।

फिर वे अब्दुल्लाह( हरिलाल) को चेतावनी देने लगा – ए अब्दुल्ला  *लड़कियां और औरतें अल्लाह की और मुस्लिमों को दी गई नेमतें हैं…*

देखो यदि तुम्हारी बेटी इस्लाम कबूल नहीं करेगी तो

*तुम्हें इसको रखैल समझकर भोग करने का पूरा हक है।*

क्योंकि जो माली पेड़ लगाता है उसे फल खाने का भी *हक़* है। 

यदि तुमने ऐसा नहीं किया तो हम ही इस फल को चौराहे पर सामूहिक रूप से चखेंगे।

हमें हर हाल में हिन्दुस्तान को मुस्लिम देश बनाना है

और पहले हम *लोहे को लोहे से ही काटना चाहते हैं।*

कहकर वह चला गया था ।।

और उसी रात उस मूर्ख अब्दुल्लाह ने अपनी नाबालिग बेटी की नथ तोड़ डाली थी ( अर्थात अपनी हब्स का शिकार बना डाला)

बेटी के लिए पिता भगवान होता है,

लेकिन यहां तो बेटी के लिए पिता शैतान बन गया था।

मनु को कई दिन तक रक्तस्राव होता रहा और उसे डाॅक्टरी इलाज से ठीक हुआ, स्नेहिल स्वजन आप कल्पना कीजिये उस नन्ही बच्ची पर क्या गुजर रही होगी और उस फूल सी बच्ची की माँ की भी क्या मनःस्थिति होगी।

(ऐसी है इस्लाम की अंदर की स्थिति)

उन दिनों जब मनु पीड़ा से कराह रही थी तो उसने अपने दादा महात्मा गांधी को खत लिखा, 

जो तब तक अपनी होशियरियों के चलते बापू के नाम से सारी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुका था। 

लेकिन बापू ने साफ कह दिया कि इसमें मैं क्या कर सकता हूं ?

इसके बाद मनु ने अपनी *दादी कस्तूरबा* को खत लिखा।

खत पढ़कर दादी बा की रूह कांप गई।

फूल सी पोती के साथ यह कुकर्म…और वह भी पिता द्वारा…?

*बा ने 27 सितंबर 1936* को अपने बेटे अब्दुल्लाह को पत्र लिखा और बेटी के साथ कुकर्म न करने की अपील की और साथ ही पूछा कि तुमने धर्म क्यों बदल लिया ?

और गोमांस क्यों खाने लगे ?

बा ने बापू से कहा-अपना बेटा हरि मुस्लिम बन गया है,

तुम्हें आर्य समाज की मदद से उसे दोबारा शुद्धि संस्कार करके हिन्दू बना लेना चाहिए।

गांधी- यह असंभव है।

बा- क्यों ?

*गांधी- देखो मैं शुद्धि आंदोलन का विरोधी हूँ।*

जब *स्वामी श्रद्धानंद* ने मलकाने मुस्लिम राजपूतों को शुद्धि करके हिन्दू बनाने का अभियान चलाया था तो

उस अभियान को रोकने के लिए मैंने ही *आचार्य बिनोबा भावे* को वहाँ भेजा था और मेरे कहने पर ही बिनोबा भावे ने *भूख हड़ताल* की थी और अनेक *हिन्दुओं को मुस्लिम बनाकर ही दम लिया था।*

मुझे इस्लाम अपनाने में बेटे के अंदर कोई बुराई नहीं लगती। इससे वह शराब का सेवन करना छोड़ देगा!

*बा ने कहा*-वह तो *अपनी ही बेटी से बीवी जैसा बर्ताव* करता है, हद है नीचता व क्रूरता की यह सब मुस्लिमों में ही सम्भव रहता जहां स्त्रियों की बड़ी ही दुर्दशा रहती है।

गांधी -अरे नहीं वह ब्रह्मचर्य के प्रयोग कर रहा होगा।

मैं भी तो अनेक औरतों और लड़कियों के संग नग्न सो जाता हूँ।

 और अपने ब्रह्मचर्य व्रत की परीक्षा करते हैं।

^देखिए गांधी की पुस्तक *मेरे सत्य के प्रयोग*

*मैं तुम्हारे और तुम्हारे बेटे के कुकर्म पर मैं शर्मिंदा हूं।

कहते हुए बा घर से निकल पड़ी थी और सीधे पहुंची थी

आर्यसमाज बम्बई के नेता श्री विजयशंकर भट्ट के द्वार पर और साड़ी का पल्ला फैलाकर आवाज लगाई थी –

क्या अभागन औरत को भिक्षा मिलेगी ?

विजयशंकर भट्ट बाहर आए और देखकर चौंक गए कि

बा उनके घर के द्वार पर भिक्षा मांग रही है।

मां क्या चाहिए तुम्हें ?

मुझे मेरा बेटा लाकर दे दो।

वह विधर्मियों के चंगुल में फंस गया है और अपनी ही बेटी को सता रहा है।

मां आप निश्चित रहें आपको यह भिक्षा अवश्य मिलेगी!!

अच्छी बात है,

तब तक मैं अपने घर नहीं जाउंगी।

कहते हुए बा ने उनके ही घर में डेरा डाल लिया था!

श्री विजयशंकर भट्ट ने अब्दुल्लाह की उपस्थिति में वेदों की इस्लाम पर श्रेष्ठता विषय पर दो व्याख्यान दिए,

जिन्हें सुनकर अब्दुल्लाह को बेहद आत्मग्लानि हुई कि वह मुस्लिम क्यों बन गया!

फिर अब्बदुल्लाह को स्वामी दयानंद का सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने को दिया गया।

जिसका असर यह हुआ कि जल्द ही बम्बई में खुले मैदान में हजारों की भीड़ के सामने, अपनी मां कस्तूरबा और अपने भाइयों के समक्ष आर्य समाज द्वारा अब्दुल्लाह को शुद्ध कर वापिस हीरालाल गांधी बनाया गया।

गांधी को जब यह पता चला तो उन्हें दुख हुआ कि

उनका बेटा क्यों दोबारा काफिर बन गया

और उन्होंने बा को बहुत डांटा कि तुम क्यों आर्य समाज की शरण में गई…

*अब बताइये यदि ये बात सत्य है तो आप किसके साथ है गांधी के या गोडसे के साथ ??*

Mm Singh द्वारा यह लेख फरहाना ताज लिखित पुस्तक *वेद बृक्ष की छाया तले* से उद्घृत

मेरा हाथ जोड़ के निवेदन है कि समस्त समाज को शेयर करे ताकि गांधी के बारे में लोग कुछ और भी जान सके।

और यदि शेयर नही हो पा रहा हो तो डूब मरने में कोई दिकत नही होनी चाहिए। 🚩 


*🌹जो गांधी का गुणगान करते हैं उनके लिये।🌹*

कुरान की हकीकत☪

 कुरान की हकीकत☪


1) बहन से सेक्स का फरमान:- कुरान सूरा 33 की आयत 50 


2) पुत्रबधू / बहू से सेक्स जायज़:- कुरान सूरा 33 की आयत 36 और 37 


3) मुसलमानों को नई और अच्छी औरतें सप्लाय करते अल्लाह:- 66 :5, 4 :34


4) जन्नत मे हूर और गिलीमा (लड़के) सप्लाय करते अल्ला:- 3 :28, 56 :17,


5) औरत तुम्हारी खेती हैं, जैसे मन करे जोतो:- कुरान सूरा 2 आयत 223


6) औरत की छड़ी से पिटाई का फरमान:- 38 :44 & 4:34 


7) "हलाला" के माध्यम से औरत को वेश्या बनाने का फरमान:- कुरान सूरा 2 आयत 230


8) युद्ध मे पकड़ी गईं काफिरों की औरतों को लौंडियाँ (Whore, रखैल)बनाने का फरमान:- 33 :52, 70 :30, 23:6,


9) पुरुषों को स्त्रियों से ऊंचा दर्जा प्राप्त है:- 2 :228, 4 :34


10) आस-पास के सभी काफिरों से लड़ते रहो, उन्हे घेरो, कत्ल करो:- 8:12,8:39, 8 :60, 9 :5, 2 :191-194 


11) काफिरों से मुसलमान दोस्ती न रखे, वरना अल्लाह नाराज हो जाएगा:- 3:28


12) काफिरों को नरक की आग मे जलाने, कष्ट देने वाला अल्ला का आदेश:- 9 :73, 2:114


13) माँ बाप और भाइयों को भी अपना मित्र नहीं बनाना यदि वह मुसलमान नहीं बनते:- 9 :23, 58 :22



14) क्रिश्चियन और यहूदी से दोस्ती नहीं करने और हत्या का फरमान:- 5:51 & 9:29 


और आखिर में जानिए कि कुरान की आयतें अल्लाह जिस पैग अंबर के दिमाग मे नाजिल किया करते थे, वो खुद एक अंगूठाछाप अनपढ़ थे:- कुरान सूरा 29 की आयत 49, 62 :2 और 7 :157


दोस्तों इनमे से किसी भी आयत पर अगर कोई मुल्ला मौलाना प्रश्न चिन्ह लगाता है, तो उससे बस इतना ही कहें की पोस्ट मे दी गयी नंबर की सूरा आयत खुद ही अपनी किताब मे दिखा दें। हम भी सीख लेंगे। वो तुरंत भाग लेगा। साथ ही आप उदाहरण के तौर पर तत्काल ही गूगल पर इन आयतों को किसी भी भाषा में सर्च कर सच्चाई दिखा सकते हैं, जैसे की कुरान सूरा 33 की आयत 50 (बहन से सेक्स का अल्ला का फरमान) के लिए गूगल मे टाइप कीजिये, Quran 33:50 (y)


क्या इसे धर्म कहते हैं, फिर अधर्म किसे कहेंगे?

Sunday, July 7, 2024

MSME ACT 2006


What are the Key Amendments Proposed in MSME Development Act, 2006?
  • Facilitating the promotion and development of MSMEs.
  • Enhancing the competitiveness of MSMEs.
  • Providing easy access to credit, marketing assistance, and other support services.
  • Promoting entrepreneurship and skill development

According to the Micro, Small and Medium Enterprises development (Amendment) Bill, the MSMEs will now be classified on the basis of “annual turnover”; earlier the criterion being “investment in plant and machinery or equipment”.

What is the 43B amendment for MSME?

What is Section 43B(h)? The Finance Act 2023 introduced an amendment to the Income Tax Act by adding clause (h) to Section 43B. This clause stipulates that any payments owed to MSMEs, not resolved within 45 days, will not qualify for tax deductions until the payment is made

The Finance Act 2023 inserted Section 43B(h), which stipulates that any sum owed to Micro and Small enterprises for goods supplied or services given may be deducted in the same year if it is paid within the deadline stipulated by the Micro, Small and Medium Enterprises Development (MSMED) Act, 2006

What is the amendment of MSMED Act?
According to the Micro, Small and Medium Enterprises development (Amendment) Bill, the MSMEs will now be classified on the basis of “annual turnover”; earlier the criterion being “investment in plant and machinery or equipment”.


MSME Regulation in India: 
The Ministry of Small-Scale Industries and the Ministry of Agro and Rural Industries were merged in 2007 to form the Ministry of Micro, Small, and Medium Enterprises.

This ministry develops policies, facilitates programs, and monitors implementation to support MSMEs and aid in their growth.
The MSME ACT 2006 addresses various issues affecting MSMEs, establishes a National Board for MSMEs, defines the concept of "enterprise," and empowers the Central Government to enhance MSME competitiveness.
Significance of the MSME Sector:

Global:


According to the UN data, MSMEs account for up to 90% of businesses, over 60% to 70% of jobs worldwide, and half of global GDP.
India:
GDP Contribution and Employment Generation: MSMEs currently contribute approximately 30% to GDP playing a crucial role in driving economic growth.

As per the data of Udyam registration portal, more than 46 million MSMEs (second only to China's 140 millionand over 200 million jobs are registered with the MSME Ministry.
Export Promotion: Currently MSMEs contribute nearly 45% of India's total exports. 

The Indian Handicraft sector which is dominated by small-scale artisans and enterprises, has a global market and generates significant export revenue for the country.
Contribution to Manufacturing Output: MSMEs contribute significantly to the country's manufacturing output, particularly in sectors like food processing 
engineering, and chemicals.
Rural Industrialization and Inclusive Growth: MSMEs play a pivotal role in driving rural industrialisation and promoting inclusive growth.

The khadi and villages industry sector consisting of small-scale units, has been instrumental in providing employment opportunities in rural areas and empowering local communities.
Innovation and Entrepreneurship: The MSME sector fosters innovation and entrepreneurship, as it is often easier for small businesses to adapt to changing market conditions and introduce new products or services.

What are the Key Amendments Proposed in MSME Development Act, 2006?

MSME Development Act, 2006: It provides a framework for the promotion and development of micro, small, and medium enterprises (MSMEs) in the country.
  • Objectives:
    • Facilitating the promotion and development of MSMEs.
    • Enhancing the competitiveness of MSMEs.
    • Providing easy access to credit, marketing assistance, and other support services.
    • Promoting entrepreneurship and skill development.

  • Key Amendments Proposed:
    • Faster Payment Resolutions: The Samadhan portal is proposed to upgrade from a grievance tracker to a full-fledged online dispute resolution platform for MSMEs. 
      • This empowers MSMEs to file complaints, receive responses, and participate in mediation all online, expediting payments.
    • Strengthened MSME Representation: The National Board for MSME will include representatives from all State Secretaries, fostering better policymaking that reflects ground realities and addresses MSME challenges across India.
    • Modernising the Act: The 2006 MSME Act requires updates to address contemporary issues like persistent delayed payments and the evolving support needs of MSMEs. Amendments aim to create a more responsive legal framework for their growth.
  • What are the Key Initiatives Announced by the Ministry of MSME?
  • MSME Trade Enablement & Marketing (TEAM) Initiative: It aims to facilitate the onboarding of 5 lakh micro and small enterprises onto the ONDC
    The government will provide financial assistance for onboarding, cataloguing, account management, logistics, packaging material, and design. 
  • Half of the beneficiary MSEs will be women-owned enterprises.
  • Yashasvini Campaign: This is a series of mass awareness campaigns for formalising women-owned informal micro enterprises and providing capacity building, training, handholding, and mentorship to women-owned enterprises
  • The campaigns will be organised by the Ministry of MSME in collaboration with other Central Ministries/Departments, State Governments, and Women Industry Associations, focusing on Tier 2 and 3 cities.
  • 6 Pillars for the Government's MSME Initiatives:
    Building a Stronger Foundation: This pillar focuses on formalising businesses and ensuring easier access to credit, vital for the growth and stability of MSMEs.
  • Expanding Market Reach: The government aims to increase access to domestic and international markets for MSMEs, along with encouraging e-commerce adoption to expand their reach further.
  • Technological Transformation: This pillar emphasises leveraging modern technology to boost productivity and efficiency within the MSME sector.
  • Skilling the Workforce: Enhancing skill levels and promoting digitalisation in the service sector are crucial for MSMEs to keep pace with the evolving market.
  • Going Global with Tradition: The government will support traditional industries like Khadi, Village, and Coir to help them compete in the global marketplace.
  • Empowering Entrepreneurs: This pillar prioritises fostering enterprise creation among women and artisans, promoting inclusive growth within the MSME sector
  • What are the Challenges Faced by MSMEs?
  • Limited Access to Finance and Credit: MSMES often struggle to obtain formal financing and credit facilities, hindering their growth and expansion.
  • Only 16% of MSMEs have access to formal credit, leading many to rely on informal sources at higher costs.
  • Technological Deficiency: There is a significant lack of technological advancements and limited digital infrastructure, which restricts their ability to innovate and compete effectively.
  • Limited access to research and development facilities and challenges in adopting  technologies further hinder their competitiveness.
  • Market Access and Competition: MSMEs face limited market access and intense competition from large-scale enterprises, which undermines their market share and profitability.
  • Skilled Labour Shortage: Acquiring skilled labour and managing talent is a persistent issue, affecting the quality and efficiency of operations.
  • A report estimates that India has a skills gap of 23 million workers, making it difficult for MSMEs to find qualified employees, which impacts productivity and innovation.
  • Economic Vulnerability: MSMEs are particularly vulnerable to economic downturns and market fluctuations, which can significantly impact their stability and growth prospects.
  • During the pandemic, around 21% of MSMEs in India permanently closed due to the economic impact, making them more vulnerable to economic downturns.
  • Raw Material Shortage: MSMEs struggle with fluctuating raw material prices and limited financial capacity for bulk purchasing. 
  • This is particularly challenging for small textile units, which often face difficulties with cotton price volatility, impacting their profit margins and competitiveness.
  • Issues With Current Litigation System: The expensive legal process makes it hard for small businesses to seek justice.
  • The current system takes too long to resolve disputes, worsening the financ information for analysis and does not help directly resolve disputes.
  • Way Forward
  • Financial Empowerment and Access: Enhance access to formal credit through targeted schemes, collateral relaxation, and promoting alternative financing options like venture capital, angel investors, and peer-to-peer lending platforms.
  • Digital Transformation and Market Expansion: Impart digital literacy, and technical skills, facilitate e-commerce integration, subsidise investments in digital infrastructure, and establish linkages with large enterprises for subcontracting. 
  • Regulatory Reforms and Skilling: Simplify regulations, implement single window clearance systems, conduct regulatory impact assessments, launch targeted skill development programs aligned with industry needs, and promote entrepreneurship education at all levels. 
  • Establish mentorship programs connecting successful entrepreneurs with inspiring MSME owners.
  • Infrastructure, Risk Management, and Policy Awareness: Investing in developing reliable power, transportation, and communication infrastructure for MSMEs to thrive.
  • Develop risk management strategies like insurance schemes and encourage product/market diversification to improve resilience.
  • Global Competitiveness and Quality Enhancement: Promoting the adoption of quality management systems, and developing export-oriented MSME clusters can enhance global competitiveness and quality



  • UPSC Civil Services Examination, Previous Year Question (PYQ):
  • Prelims:
  • Q.1 What is/are the recent policy initiative(s)of Government of India to promote the growth of the manufacturing sector? (2012)

  • Setting up of National Investment and Manufacturing Zones
  • Providing the benefit of ‘single window clearance’
  • Establishing the Technology Acquisition and Development Fund
  • Select the correct answer using the codes given below:

  • (a) 1 only
  • (b) 2 and 3 only
  • (c) 1 and 3 only
  • (d) 1, 2 and 3

  • Ans: (d)

  • Q.2. Which of the following can aid in furthering the Government’s objective of inclusive growth? (2011)

  • Promoting Self-Help Groups
  • Promoting Micro, Small and Medium Enterprises
  • Implementing the Right to Education Act
  • Select the correct answer using the codes given below:

  • (a) 1 only
  • (b) 1 and 2 only
  • (c) 2 and 3 only
  • (d) 1, 2 and 3

  • Ans: (d)

  • Q3. Consider the following statements with reference to India : (2023)

  • According to the ‘Micro, Small and Medium Enterprises Development (MSMED) Act, 2006, the ‘medium enterprises’ are those with investments in plant and machinery between `15 crore and `25 crore.
  • All bank loans to the Micro, Small and Medium Enterprises qualify under the priority sector.
  • Which of the statements given above is/are correct?

  • (a) 1 only
  • (b) 2 only
  • (c) Both 1 and 2
  • (d) Neither 1 nor 2

  • Ans: (b)

  • Mains:
  • Q.1 “Industrial growth rate has lagged behind in the overall growth of Gross-Domestic-Product(GDP) in the post-reform period” Give reasons. How far are the recent changes in Industrial Policy capable of increasing the industrial growth rate? (2017)

  • Q.2 Normally countries shift from agriculture to industry and then later to services, but India shifted directly from agriculture to services. What are the reasons for the huge growth of services vis-a-vis the industry in the country? 


साभार एक विमर्श.... यूं तो #भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है

 साभार एक विमर्श.... यूं तो #भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है।लेकिन आज #योग और #आयुर्वेद पर चर्चा कर रहे हैं।ऐसे माहौल में जब #एलोपैथी ने ...