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Monday, July 1, 2024

फ्रांस का एक रिसर्चर पत्रकार जो अमेरिकी दीप सरकार और जार्ज

 तो फ्रांस का एक रिसर्चर पत्रकार जो अमेरिकी दीप सरकार और जार्ज दुखियारे से फंडेड था उसे काम पर लगाया जाता है। 2021 में वो एक आर्टिकल लिख बताता है कि भारत को कास्ट सेंसेस की जरूरत है क्योंकि यहां भयंकर असमानता है और उसके बाद एकाएक पप्पू का इन दोनों मुद्दों पर राग शुरू होता है। साथ ही पप्पू इसके लिए अचानक अडानी अडानी कर ये दिखाने लगता है कि मोदी अमीरों का है नाकि गरीबो का और फिर शुरू होता है कि अमीर कितना GST देता है और गरीब कितना या किस पोस्ट पर कौन बैठे हैं और कौन नही, और इसी तरह का हर आपसी मनमुटाव पैदा करने वाला बयान वायरल कराने में सारा इकोसिस्टम लग जाता है।


अब होता ये है कि 2016 से 2020 तक के बीच अमेरिका में ट्रम्प की सरकार है जो खुद दीप ब्रो का एन्टी था तो उस समय सारे विदेशी इकोसिस्टम का फोकस ट्रम्प को उखाड़ने का होता है तो 2019 मोदी आसानी से जीत जाता है लेकिन 2020 में अमेरिका में बाइडन नामक दीप ब्रो का लौंडा आ जाता है तो चीजे आसान हो जाती है। सफल परिक्षण के लिए मित्र देश के नेतानाहूँ भाई को भी हरवा दिया जाता है तो ब्राजील के बॉल्से ब्रो को भी जो दोनों राष्ट्रवादी हैं। और भी जगह यही कोशिश होती है लेकिन सबसे बड़ा टारगेट वो इंसान था जिसने पूरे यूरोप और अमरीका में दीप भाई को चैलेंज कर उनको उनकी औकात दिखा दी थी।


तो इसके लिए बाइडन की एजेंसियां काम पर लगती हैं और भारत के अंदर डेटा माइनिंग करने लगती हैं कि क्या क्या फाल्ट लाइन्स पर काम हो सकता है तो पता चलता है कि आसान टारगेट हैं गरीब और जातिवादी हिन्दू। तो अमरीका में सारा रिसर्च चलता है जिसका मेटेरियल भारत मे बैठे गद्दार उर्फ दुखियारे बुड्ढे के पालतू अमरीका उपलब्ध कराते हैं और उधर एक एक चीज को कलेक्ट कर लब्बोलुआब फ्रांस के अपने पालतू पत्रकार को दिया जाता है जो बीबीसी में एक आर्टिकल छाप देता है कि कैसे और क्या काम करना है। भूलें नहीं कि बारम्बार पप्पू की विदेश यात्रा भी चल रही होती हैं तो पप्पू समर्थक पत्रकायरों की भी।

अब यदि किसी को लगे कि एक आर्टिकल से क्या हो सकता है तो भारत मे भी 2019 में एक आर्टिकल शेखर Coupta छाप चुका होता है कि मोदी की सबसे बड़ी ताकत उसकी विश्वसनीयता और छवि है जिसे खराब किये बिना मोदी को नही हराया जा सकता और शेखर कोई झा2 रेबीज कुमार नही बल्कि वो इंसान है जिस एकमात्र को दुखियारे बुड्ढे ने NDTV में इंटरव्यू दिया है और साथ ही ये उस सोनिया का परम खास है जिसकी NAC 10 साल UPA सरकार के ऊपर बैठ देश चला रही थी जिसमें भी फोर्ड फौन्देसन से लेकर ओपन समाज के लोग बैठ सोनिया को डिक्टेट करते थे अर्थात 10 साल दीप ब्रो पूरा देश चला रहा था।


तो इस तरह पूरी टूलकिट तैयार होती है कि किस तरह मोदी से लड़ा जाएगा। व्हाट्सएप इसमें सबसे बड़ा हथियार था क्योंकि बाकी कुछ कोई चलाये या नही पर व्हाट्सएप सब जगह था बस वीडियो पहुंचाने थे। कोढ़ में खाज भाजपा के नारे ने कर दी जब अबकी बार चार सौ पार कह दिया और कुछ नेताओं ने संविधान बदलने की बात कर दी। ऊपर से शाह-मोदी के फेक वीडियो आरक्षण खत्म करने पर बना वायरल कर दिए। 

दूसरी तरफ पप्पू का लगातार लोकतंत्र बचाना है, संविधान बचाना है, तानाशाही खत्म करनी है भी चल रहा था तो कई लोग इसमें फंस गए जो ज्यादा नही बल्कि 6% का घाटा भाजपा को दे देता है दलित-पिछड़े वोटों में लेकिन इससे बड़ी चोट तब होती है जब अन्य का 30% ऐसा वोट छटककर इंडी गिरोह को आधा चला जाता है जिसका अर्थ था कि अन्य को जो अब तक मिलता था उसके ऐसे वोटरों को लगा कि हमारे अधिकार छिनने से रोकने हैं तो वोट व्यर्थ नही होना चाहिए और वो इंडी गिरोह को वोट डाल आते हैं जिससे उनका मत प्रतिशत बढ़ते ही लड़ाई में इंडी गिरोह आ जाता है।


ये सब भी भाजपा मैनेज कर लेती क्योंकि उसकी पिछले जीत का मार्जन लाखो में था तो भले ही लाख या हजारों में ही जीतती पर सीट बना लेती लेकिन आगे का काम मोदी का घमंड उतारने वाला एक संगठन करता है जब वो अंदर से भीतरघात कर डालता है जिसपर मैं पहले ही लिख चुका हूँ।



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इस तरह से शत्रु और "अपने" सब मिलकर मोदी के खिलाफ काम मे लग जाते हैं। शायद मोदी भी समझ चुके थे कि शत्रु से तो लड़ लेंगे लेकिन अपने गद्दारों का क्या करें तो वो पहली बार खुलकर चुनाव को हिन्दू बनाम मुस्लिम में ले जा देते हैं और हर जगह इसमें वो कटु सत्य जिसे वो अब तक सार्वजनिक नही कहते थे को कहने लगते हैं कि अरे अमीर गरीब की विपक्ष की बातों में क्या आ रहे हो ये तो तुम्हारा मंगलसूत्र तक छीन मजहबियों को दे देंगे, तुम्हारा आरक्षण छीन भी मजहबियों को दे चुके हैं।

मोदी के इस लगातार काउंटर का ही असर होता है कि बाकी सब जगह तो मैनेज हो जाता है लेकिन उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र(नागपुरिये) दोनों जगह को वो नही सम्भाल पाते क्योंकि एक जगह से तो अगला प्रधानमंत्री आणा है तो दूसरी जगह तो उनका गढ़ ही है। बाकी जगह भी छुटपुट नुकसान अपेक्षित था लेकिन उसकी भरपाई को तो मोदी भी तैयार थे जब वो ओडिसा जैसी जगह पर इतिहास रचने वाले थे या तेलंगना जैसी जगह पर सीट डबल करने से लेकर केरल में पहली बार अपना खाता खुलवाने वाले थे। कुल मिलाकर मोदी को भी पता चल गया था कि खेल में अपने भी अब अपने नही हैं तो शायद उन्होंने सोचा होगा कि लड़ाई को फिलहाल 2019 के रिजल्ट जितना भर पर ही पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए लेकिन "अपनो" का कुछ और ही प्लान था जो घातक हुआ और वही हुआ जैसा एक समय विपक्ष चाहता था कि मोदी को हरा तो नही सकते बस बहुमत से दूर कर दें तो बाकी NDA को अपने पाले में लेकर कह देंगे कि यदि भाजपा का प्रधानमंत्री बनना है तो मोदी-शाह को हटाना होगा जिसका मतलब मोदी की पूरी कैबिनेट को ही हटना होगा। इसपर भी पहले लिख चुका हूँ।


खैर, रिजल्ट भी आ जाता है और वही न्यूज फैलाने का खेल भी शुरू होता है कि नायडू ने रखी शर्त, नीतीश ने रखी शर्त, हमारे सम्पर्क में भाजपा के दर्जनों सांसद हैं आदि आदि। लेकिन अब मोदी की बारी थी तो मोदी तो प्रधानमंत्री बनते ही हैं बल्कि उनकी पूरी केबिनेट भी वापिस आती है। फिर CCS भी उनका ही होता है तो अब स्पीकर भी उनका है और डिप्युटी स्पीकर भी उनका ही होगा।

कुलमिलाकर सारा खेल जो रचा गया था इतने वर्षों में उसमे सफलता हाथ तो आती है पर मुहँ नही लग पाती है।

पप्पू एंड टीम हर वक्त बस अपनी बेजट्टी ही अब तक करवा रही है और अब इन्होंने अतिआत्मविश्वास में वो कर दिया जो इन्हें नही करना चाहिए था अर्थात जो पप्पू कह रहा था कि मुझे प्रधानमंत्री बनने का लालच नही मैं देश बचाने आया हूँ, उसे नेताप्रतिपक्ष बना दिया गया और यही मोदी चाहते थे। इसपर भी पहले लिख चुका हूँ कि नेता प्रतिपक्ष कोई खटाखट वाली बकलोली करने का काम नही जिसमे कुछ भी बोलकर निकल लिए बल्कि अब पप्पू को मोदी के साथ कितने ही मीटिंग्स, सलेक्शन, कमेटी आदि आदि में बैठना होगा। विपक्ष की भूमिका कैसी रहेगी में पप्पू की जिम्मेदारी का इम्तेहान अब से शुरू हुआ है। साथ ही पप्पू अब कोई सड़कछाप लौंडा नही बल्कि कैबिनेट दर्जे का नेता है जो विपक्ष का प्रधानमंत्री है। अब इसका हर बार मुंह खोलना अर्थात समस्त विपक्ष का वो बात करना है। 

अधीर रंजन, खड़गे जैसे भी हों लेकिन इन मामलों में सुलझे हुए थे लेकिन पप्पू रह पाएगा? क्या विपक्ष का नेता विदेश भृमण के नाम पर टूलकिट बनने जा सकता है? क्या गैर जिम्मेदाराना हरकत कर सकता है? क्या देशहित के फैसलों पर एन्टी इंडिया स्टैंड ले सकता है? क्या समाज को तोड़ने वाले बयान दे सकता है? ऐसे कितने मौके आएंगे जहाँ इसने फिर सड़कछाप हरकत की तो इसको वो रगड़ा जाएगा कि ये मिक्स अंग्रेज पूरा अंग्रेज की तरह चमकने(एक्सपोज) लगेगा। बस यही मोदीजी चाहते थे।


ऊपर से सबसे बड़ी बात कि अमरीका ने अपनी औकात(As usual) दिखा दी लेकिन अब नवम्बर में वहां भी तो चुनाव हैं। ट्रम्प अंकल फिर मैदान में हैं जो कह चुके कि इस बार आकर इस दीप भाई को बहन मैं बनाऊंगा। फिर सारा फोकस इन अंतराष्ट्रीय टूलकिटियों का कहाँ होगा अगले 4 साल? और फिर 2028 के नवम्बर तक ये कहाँ उलझे रहेंगे जैसे 2020 तक के लिए कहाँ उलझे थे? और इसके बाद के 6 महीने के अंदर भारत मे 2029 के चुनाव आ जाएंगे तो क्या 6 महीने में ये वो सब कर पाएंगे जिसके लिए इनके पास 3.5 साल का समय था? सारे रिसोर्स तो इनके वहीं लग जाएंगे। ऊपर से दूध के जले मोदी जी छांछ भी अब फूंक फूंककर पियेंगे अर्थात इन्होंने जो आखरी कोशिश करनी थी कर दी, अब तो मोदी जी की बारी है और वो शुरुआत तो मोदी जी कबकी शुरू कर चुके होंगे कि अब हम अमरीकी चुनाव में वो दखल देंगे जैसी अब तक नही हुई और उधर से तुम र-रोना करोगे कि जैसे रूस-चीन अब तक अमरीका ने दखल देते हैं वैसा अब भारत ने दिया है और जैसा माहौल चल रहा है अर्थात रूस के साथ जो तुम कर रहे हो और चीन भी खार खाये बैठा है तो इस बार ट्रम्प चिचा को क्या दीप भाई रोक पायेगा?

और भूले नहीं कि अमरीका की स्टेफनी अर्थात कैनेडा कुछ समय पहले ही रो चुका है कि भारत ने उसके चुनाव में दखल दी थी जो उसकी एजेंसियों को पता लगा था और अब तो ये लोग इसका रोना रोते हैं कि भारत इनके यहां घुसकर भारत के शत्रुओं को ठोक रहा है तो चुनाव में क्या भारत तुम्हे नही ठोकेगा?

क्योंकि जैसा दुखियारे बुड्ढे ने कहा था कि मैं दुनिया से सारे राष्ट्रवादियों की सरकार उखाड़ दूंगा और इसके लिए मैंने 1 अरब डॉलर रखे हैं उन देशों के गद्दारों को खिलाने के लिए तो 1 अरब डॉलर भारत के लिए कौन सी बड़ी बात है, चाहे तो 10 अरब डॉलर खर्च कर सकते हैं।


इसलिए, खेल बेटा तुमने शुरू किया था लेकिन खत्म अब हम करेंगे। 

अब हम वो गुड्डू नही जो लिबिर लिबिर कर न्यूट्रल पोजिशन बनाकर दुनिया मे चलते थे। अब हमें भी चाहिए फुल इज्जत।

और वो इज्जत भारत ने दुनिया मे किस स्तर पर बना ली है वो दुनिया भले भांति समझ रही है जब उनसे भारत से अपने हिसाब से कुछ नही करवाया जा रहा है उल्टा भारत उन्हें उनकी हैसियत समझाकर आ जाता है। इसपर ज्यादा बताने की जरूरत भी नही है।




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