आप सेना के किसी पुराने अधिकारी से जरूर पूछिएगा
राजीव गांधी अपने स्वार्थ की वजह से भारत की सेना को शांति सेना के रूप में श्रीलंका भेज दिए थे
सेना के उच्च अधिकारियों ने सरकार से कहा था कि भारतीय सेना को श्रीलंका की भौगोलिक स्थिति का जानकारी नहीं है और लिट्टे के पास गोरिल्ला छापामार युद्ध की बहुत बड़ी तैयारी है ऐसे में भारतीय सेना को श्रीलंका भेजना उचित नहीं होगा
लेकिन राजीव गांधी अड़ गए और उन्होंने बिना कोई स्टडी किये भारतीय सेना को श्रीलंका भेज दिया था
सिर्फ 6 महीने के अंदर 1200 से ज्यादा भारतीय सैनिक श्रीलंका में शहीद हुए उनमें से किसी की पार्थिव शरीर भारत नहीं लाया गया भारतीय सेना वही जंगलों में उनके शव को दफन कर देती थी क्योंकि सरकार के तरफ से यही आदेश आया था
भारतीय सेना को बैकअप के लिए कोई मदद नहीं मिली और एक दिन तो तब हद हो गई थी जब भारतीय सेना के शिविर में रात को छापा मार कर लिट्टे वालों ने एक साथ 118 भारतीय सैनिकों का कत्ल करके पूरी लाशों को इधर-उधर बिखेर दिया था और वह दृश्य देखकर हर भारतीय का खून खौल उठा था
अंत में जब राजीव गांधी को लगा कि उन्होंने बहुत बड़ी गलती कर दी है तब वह श्रीलंका से सेना वापस बुलाए और जो 1208 जवान श्रीलंका में शहीद हुए थे उन्हें भारत सरकार की तरफ से यानी राजीव गांधी सरकार की तरफ से कुछ भी नहीं मिला था
उस समय सरकार ने संसद में बयान दिया कि हमारे नियम के अनुसार भारत में शहीद होने वाले सैनिक को ही शहीद माना जाता है विदेश की धरती पर शहीद होने वाले सैनिकों को हम शहिद नहीं मान सकते
इसके बाद 2013 में मनमोहन सरकार से भी संसद में शहिद का परिभाषा पूछा गया था तब मनमोहन सरकार ने 2013 में जवाब दिया था कि हमने अभी तक भारतीय सेना के जवान के शहीद की परिभाषा तय नहीं की है
राहुल गांधी जी आप अपनी सरकार के द्वारा किए गए काम को देखकर बात करो यह देश आपकी फालतू बातों को सुनेगा नहीं
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