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Thursday, August 22, 2024

माधुरी दीक्षित ने शायद अख़बार हीं नहीं पढ़ा। हालांकि इसी माधुरी दीक्षित ने ये खबर पढ़ ली थी की इजरायल ने रफाह पर बमबारी की है और तुरंत सुबह होते हीं रफाह के लिये आवाज उठा ली थी।

 आज कोलकाता के रेप को 14 दिन हो गए है लेकिन किसी जमाने की नेशनल क्रश माधुरी दीक्षित ने शायद अख़बार हीं नहीं पढ़ा। हालांकि इसी माधुरी दीक्षित ने ये खबर पढ़ ली थी की इजरायल ने रफाह पर बमबारी की है और तुरंत सुबह होते हीं रफाह के लिये आवाज उठा ली थी।


ये होता है टूल किट, ये होता है पैसो के लिये आत्मा को बेच देना। जिन्हे आप सेलिब्रिटी कहते है वे समय आने पर आपके हीं घर की बहन बेटियों का भी सौदा कर सकते है वो भी चंद पैसो के लिये।


दावे के साथ कह सकता हुँ की माधुरी दीक्षित को रफाह को र भी नहीं पता होगा। उसे ये भी नहीं पता होगा की असली मे रफाह मे हुआ क्या है? बस PR एजेंसी को पैसा और टूल किट मिला, उसने दाए देखा ना बाए बस उठाकर एक फोटो लगा दिया "ऑल आईज ऑन रफाह"


इसके ठीक विपरीत उसे ये निश्चित हीं पता होगा की कोलकाता क्या है, वहाँ क्या हुआ है मगर पैसा नहीं दे रहा है ना कोई तो ठीक है जो हुआ सो हुआ।


ऐसे लोगो के लिये आचरण या उसूलो का कोई मोल नहीं है। इन्हे बस पब्लिसिटी चाहिए, हालांकि ये मत सोचिये की माधुरी दीक्षित हीं पूरा बॉलीवुड है। इसी इंडस्ट्री मे पंकज त्रिपाठी, मनोज वाजपेयी और TVF भी है।


अब हमें नितांत आवश्यकता है अपने सेलिब्रिटीज को बदलने की, आपको अंतर ढूंढना होगा। आपको कपूरो और खानो को देखना है या फिर कोटा फैक्ट्री, पंचायत और पिचर्स जैसी वेबसीरीज देखनी है।


घर का जो परिवेश होगा वो हीं समाज का होगा, कोलकाता रेप केस के बाद भी महज 11 दिनों मे बलात्कार संबंधी 5 और खबरें तो मैं खुद पढ़ चुका हुँ। मतलब साफ है की ये समस्या अपवाद नहीं है बल्कि सामाजिक है। कुछ तो हम गलत कर रहे है।


द्रोपदी के केश पकड़ने के कारण दुःशासन और दुर्योधन का ऐसा वध हुआ था की आज 5000 साल बाद भी आत्मा काँप उठती है। लेकिन ये तो टूल किट वाला भारत है, भारत का समाज आज अनुसूया और अहिल्या को भूलकर माधुरी दीक्षित के पीछे लगा है।


माधुरी दीक्षित राम मंदिर समारोह मे भी थी मगर यदि आपको पैसो की चमक मे 5 हजार किमी दूर रफाह दिखाई देता है और 1000 किमी दूर कोलकाता नहीं दिखाई देता तो विषय गंभीर हो जाता है। देश आपको सेलिब्रिटी के रूप मे देख रहा है, महिलाये आपके पहने कपड़ो का अंधानुकरण कर रही है।


आप उस स्तर पर नहीं है जहाँ व्यक्तिगत राय का कांसेप्ट हो। खैर दादा बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया, इसलिए समाज को हीं खुद को बदलना होगा। आज आप कोलकाता के लिये दुखी है आगे और भी शहरों मे ये होगा और सतत चलता रहेगा।


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