Followers

Monday, August 26, 2024

योगीराज श्री कृष्ण के जीवन चरित्र

 आओ जानें अपने महान पूर्वज योगीराज श्री कृष्ण के जीवन चरित्र को।


 इतिहास में कोई दूसरा व्यक्ति इतना महान नही हुआ जिसे योगेश्वर पुकारा जाता हो। श्री कृष्ण के जन्म के समय भारत खण्ड-खण्ड में विभक्त था।

'गृहे गृहे ही राजानं: स्वस्य स्वस्य प्रियं करा:' अर्थात घर घर राजा हैं और अपने ही हित में लगे हुए हैं।

सम्पूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधने वाला कोई ना था। कंस, जरासन्ध, शिशुपाल, दुर्योधन आदि जैसे दुराचारी व विलासियों का वर्चस्व बढ़ रहा था। राज्य के दैवीय सिद्धान्त से भीष्म जैसे योद्धा तक बंधे हुए थे।

ऐसी घोर अन्धकार पूर्ण रात्रि में श्री कृष्ण का जन्म हुआ। अपने अद्भुत चातुर्य एवं कौशल से श्रीकृष्ण ने इन राजाओं का विनाश करवाकर युधिष्ठिर को चक्रवर्ती सम्राट बनवाया।


 श्री कृष्ण का चरित्र चित्रण-


1 -  जन्म व छात्रावस्था - श्री कृष्ण का जन्म लगभग 5252  वर्ष पूर्व हुआ। वेद-वेदांग, धनुर्वेद, स्मृति, मीमांसा, न्यायशास्त्र व सन्धि, विग्रह, यान, आसन, द्वैत व आश्रय इन छः भेदों से युक्त राजनीति उनके अध्ययन के विषय थे।


2 - लोकनायकत्व - अरिष्ट नामक पागल बैल व कैशी नामक दुर्दम्य घोड़े को मारकर वे बचपन से ही गौकुल वासियों के नायक बन गए थे।


3 -  संघ राज्य के समर्थक - कंस का वध कर पुनः संघ राज्य की स्थापना की।


4 - अर्ध्यदान के पात्र युगपुरुष - राजसूर्य यज्ञ की समाप्ति पर भीष्म ने युधिष्ठिर से ये कह कर अर्ध्य दिलवाया कि, समस्त पृथिवी पर मानव जाति में अर्ध्य प्राप्त करने के सबसे उत्तम अधिकारी श्री कृष्ण ही हैं, क्योकि  वेद-वेदांग का ज्ञान व बल सम्पूर्ण पृथिवी पर इनके समान किसी और में नही है।


5 - संयम एवं ब्रह्मचर्य की साधना - विवाह के 12 वर्ष बाद तक ब्रह्मचर्य की साधना की  और प्रदुमन नामक पुत्र रत्न को प्राप्त किया। 

 नोट:-ऐसे महात्मा के लिए 8-8 पटरानियां व 16000 रानियां होने के दोष लगाना श्री कृष्ण को अपमानित करना है। सुतपत्नी रूकमणी को छोड़कर महाभारत या श्रीमद्भागवत में राधा नाम का कोई दूसरा पात्र नही है फिर भी उनके साथ जोड़ना बहुत बड़ा पाप करने समान है। ब्रह्मवैतादि पुराणकारों ने उनके उज्जवल चरित्र को कलंकित करने की कुत्सित चेष्टा की।


6 - ज्ञान के क्षेत्र में श्रीकृष्ण - ज्ञान के क्षेत्र में श्रीकृष्ण अप्रतिम थे। गीता का ज्ञान संसार का सर्वोच्च उदाहरण है। वे शास्त्रों में पारंगत, शस्त्रों में निपुण व राजनीति के बृहस्पति थे।


7 - महान योगी - श्रीकृष्ण महान योगी थे। महाभारत में श्रीकृष्ण ने तीन बार दृष्टि अनुबन्ध का प्रयोग किया। दुर्योधन के समक्ष राजदरबार में, युद्ध के समय अर्जुन को और तीसरी बार कौरवों को सूर्यास्त के भान कराया।

 

8 - कूटनीतिज्ञ - शुक्राचार्य ने अपने नीतिसार में लिखा है कि," कृष्ण के समान कुटनीतिज्ञ कोई इस पृथिवी पर नही हुआ।


9 -  मनोविज्ञानी - कर्ण से हारने के बाद युधिष्ठिर का मनोबल गिर गया था। पुनः शल्य के साथ युद्ध करने की अनुमति देकर उसका मनोबल बढ़ाया।


10 - पाखण्ड का विरोध - धर्म के नाम पर ढोंग फैलाने वालों को श्रीकृष्ण मिथ्याचारी तथा विमूढ़ कहकर भर्त्सना करते हैं।

 कर्मेन्द्रियणि संयम्य य आस्ते मन्सास्मरन्।

इन्द्रीयर्थानिविमूढात्मा मिथ्याचारः स उच्यते।। ( गीता ३/१३ ) 

कर्म ब्रह्मोदभवम विद्वि ब्रह्माक्षर समुद्र भवम। ( गीता ३/१४ ) 

अर्थात - *कर्म को तू वेद से उत्पन्न जान। और वेद परमात्मा से उतपन्न हुआ है*। अतः श्रीकृष्ण वेद को ही सर्वोपरि मानते हैं।


श्रीकृष्ण को भगवान क्यों कहते हैं ?


सम्पूर्ण ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान, और वैराग्य इन छः का नाम 'भग' है। जिसके पास इनमें से एक वान भी हो वह भगवान कहलाता है*। इसीलिए हम श्रीकृष्ण जैसे महापुरुषों को भगवान कहा जाता है।

(ईश्वर के पास भी ये सभी गुण है इसीलिए ईश्वर भी भगवान है । किन्तु भगवान ईश्वर नहीं है।क्योंकि ईश्वर निराकार अजन्मा सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान है )

  श्रीकृष्ण स्वयं कहते है कि मैं ईश्वर नही हूँ। महाभारत में वे कहते है कि, मैं यथासाध्य मनुष्योचित प्रयत्न कर सकता हूँ, किन्तु देव ( ईश्वर ) के कार्यो में मेरा कोई वश नहीं*।

इस प्रकार यह स्पस्ट है कि *श्रीकृष्ण महान योगी,महान राजनीतिज्ञ, महान कूटनीतिज्ञ, महान योद्धा, महान विद्वान तथा एक आप्त पुरुष थे।

आओ हम सब उनके जीवन से प्रेरणा लें। दुष्टों का दमन करके धर्म की स्थापना करें और धर्म कर्म करते हुए फल की इच्छा न करें निःस्वार्थ भाव से समाज को उन्नत करें। और हम बुद्धि व बल प्रप्त कर अपने राष्ट्र व मनुष्य जाति का कल्याण करें*। हम मूढ़ बनकर उनका अपमान ना करें, अपितु उनके जीवन चरित्र का अधिक से अधिक प्रचार व प्रसार करें।

No comments:

Post a Comment

साभार एक विमर्श.... यूं तो #भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है

 साभार एक विमर्श.... यूं तो #भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है।लेकिन आज #योग और #आयुर्वेद पर चर्चा कर रहे हैं।ऐसे माहौल में जब #एलोपैथी ने ...