ज़मीन के अंदर से मूर्तियां क्यों निकलती हैं ?
- अक्सर आपने देखा होगा... अपने मां... दादी और नानी से सुना भी होगा कि गांव में किसी को सपना आया... और सपने में देवी ने कहा कि गांव में फलाने टीले पर या फलानी जगह पर खुदाई करो वहां मैं प्रकट हूंगी
- और फिर वाकई में जब वहां खुदाई होती है तो पता चलता है कि ज़मीन के अंदर से वाकई में मूर्ति निकल आई ।
- कई लोगों को ऐसा भी अनुभव होता है कि किसी खास जगह पर जाकर गाय अपने थनों से दूध गिराने लगती है और वहां पर जब लोग खुदाई करते हैं तो शिवलिंग प्रकट हो जाता है ।
-आखिर इसका सच क्या है ? आपके गांव... शहर या आस पास ऐसे तमाम धर्मस्थल होंगे । इसके पीछे एक ऐतिहासिक सत्य भी छुपा हुआ है जिसे हमने हमेशा नज़रअंदाज़ कर दिया है । दरअसल ये एक कटुसत्य है जिसमें हमारे पूर्वजों की दर्दभरी दास्तानें छुपी हुई है जो आंसुओं से भीगी हैं और जिसमें इतिहास का क्रूर सत्य भी शामिल है ।
-आदरणीय धीरेंद्र पुंडीर जी ने अपने एक यूट्यूब लाइव में एक किताब के कुछ अंशों को पढ़ा था । इस किताब का नाम है... फ्लाइट ऑफ डाइटीज़ एंड रीबर्थ और टेंपल्स । इस किताब के नाम का अर्थ हुआ मूर्तियों का पलायन और मंदिरों का पुनर्जन्म । इस किताब की लेखिका मीनाक्षी जैन हैं । अमेज़न पर ये किताब उपलब्ध है आप खरीदकर पढ़ भी सकते हैं ।
- इस किताब में उस ऐतिहासिक कटु सत्य को उजागर किया गया है । दरअसल जब मुस्लिम आक्रमणकारी देश में तांडव मचा रहे थे... हिंदू महिलाओं से रेप कर रहे थे... धर्मांतरण स्वीकार ना करने वाले हिंदू पुरुषों के नरमुंडों के ढेर लगाए जा रहे थे । बच्चों के मुंड काट काट कर उनकी मालाएं उनकी मांओं के गले में डाली जा रही थीं... और फिर उनको बलात्कार के लिए तैयार किया जा रहा था । उस दुर्धर्ष मुस्लिम सुल्तानों के कालखंड में मंदिरों और मूर्तियों का भी हाल बहुत बुरा था ।
- दरअसल हमारे पूर्वजों ने अपने घर की मूर्तियों को घर से भागने से पहले ज़मीन के नीचे खोदकर दबा दिया था । ताकी वो मुस्लिम सैनिकों के हाथ ना पड़ जाएं । क्योंकि मुस्लिम सैनिक मंदिरों को तोड़ने के अलावा मंदिरों और हिंदू घरों में मौजूद मूर्तियों को भी खंडित कर दिया करते थे । इसलिए खंडित होने से बचाने के लिए मूर्तियों को जमीन में गाड़ दिया जाता था ।
- यही वजह है कि ईरान, इराक, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आज भी जमीन के नीचे से मूर्तियां निकलती रहती हैं क्योंकि वहां रहने वाले हमारे हिंदू पूर्वजों ने मुस्लिम आक्रांताओं के भय से मूर्तियों को जमीन में गाड़ दिया था ।
- इसी किताब फ्लाइट ऑफ डाइटीज़ एंड रीबर्थ और टेंपल्स में एक राजा का भी जिक्र आता है जो अपनी कुल देवी की मूर्ति को जमीन में गाड़ने से पहले आंसु बहाता है और ये कहता है कि हे मां जब इस देश से मुसलमानों का आतंक खत्म हो जाएगा तो दोबारा तू इस जमीन से प्रकट होना और सत्य का शाश्वत प्रकाश को एक बार फिर फैलाना ।
ऐसी ना जाने ही कितनी मूर्तियां आज भी पाकिस्तान में जमीनों में गड़ी पड़ी हैं जो उस सही समय का इंतजार कर रही हैं जब वहां पर क्रूर इस्लामिक शासन का खात्मा होगा और दोबारा सत्य प्रकाशित होगा ।
- किताब में ये जिक्र भी मिलता है कि जब देश को आजादी मिली तो दस से बीस साल के अंदर ही सिर्फ तमिलानाडु में ही 200 घटनाएं हुईं जहां लोगों को सपने आए कि फलाने जगह पर मूर्ति है और बाद में खुदाई पर वहां मूर्ति पाई गई ।
- ये हमारा बहुत दुखपूर्ण इतिहास है... असलियत ये है कि अंग्रेजों से भी ज्यादा कष्ट हिंदुओं ने मुस्लिम शासन में काटा है । नरसंहार.. सामूहिक बलात्कार... बच्चों का बेरहमी से कत्लेआम.. गोमांस खिलाकर धर्मांतरण.... ये मर्मांतक प्रहार हमारे पूर्वजों ने झेले हैं लेकिन एक बड़ा कालखंड बीत जाने की वजह से हम उस गुलामी को भूल चुके हैं
- और क्योंकि हम अपने इतिहास को ही भूल गए । यही वजह है कि आज एक बार फिर हम दुर्दांत आतंकियों की गजवा ए हिंद वाली स्ट्रेटेजी के तहत दोबारा गुलामी की तरफ जा रहे हैं...
हे परमपिता
हिंदुओं की रक्षा कर और उन्हें तथाकथित सुकेलरिज्म और झूठी अहिंसा के शिकंजे से बाहर निकाल
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