क्या आप जानते हैं कि पिग्गिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को ही क्यों मनाता है.
ये बात तो हम सभी जानते हैं कि भारत अपना स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाता है लेकिन पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस उससे एक दिन पहले 14 अगस्त को ही मना लेता है.
लेकिन, भारत के लोगों की तो छोडिये... पिग्गिस्तान तक के लोगों को इसकी सही जानकारी नहीं है कि ऐसा क्यों किया जाता है.
और, पिग्गिस्तान की जनता भी अनजाने में गर्व से कहती फिरती है कि - उनका देश भारत से एक दिन पहले आजाद हो गया था.
जबकि, ये सभी जानते हैं कि... पूरा हिन्दुस्थान ( भारत +पाकिस्तान ) एक साथ ही आजाद हुआ था और इसकी आधिकारिक घोषणा लालकिले की प्राचीर से की गई थी.
और, पिग्गिस्तान की आजादी की घोषणा कोई अलग से नहीं की गई थी.
14-अगस्त-1947 की रात को 12 बजे का गजर बजते ही, पूरे हिंदुस्थान (भारत+पाकिस्तान) को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद मान लिया गया था.
यहाँ तक कि... पिग्गिस्तान के पहले पोस्टल स्टांप में भी 15 अगस्त ही मुल्क के स्वतंत्रता दिवस के रूप में लिखा गया.
और, आज भी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, रेडियो पाकिस्तान, हर साल "जिन्ना" द्वारा दिया गया जो राष्ट्र के नाम पहला बधाई संदेश सुनाता है... उसमे भी वो कह रहा होता है कि -
"15 अगस्त की आज़ाद सुबह पूरे राष्ट्र को मुबारक हो ".
उसके बावजूद भी पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस भारत के साथ 15-अगस्त को नहीं मनाता है.
इसकी एक नहीं बल्कि कई वजहें हैं.
क्योंकि, पाकिस्तान का जन्म ही भारत के साथ उसकी ईर्ष्या और नफरत के कारण हुआ था.
उसके बाद... आजाद होते ही, कश्मीर के कबायली युद्ध में भारत से मिली पराजय से उसकी नफरत और ज्यादा बढ़ गई थी.
पिग्गिस्तान का हमेशा प्रयास रहता था कि वह अपने को भारत से अलग दिखाए.
इसके अलावा जिन्ना को 15 अगस्त की तारीख से नफरत की एक और वजह भी थी.
जिस जिन्ना के कारण भारत टूटा, हजारों लोग मारे गए, लाखों लोग बेघर हुए और करोड़ों की सम्पत्ति स्वाहा हो गई.
खुद उस जिन्ना की बेटी ने पिग्गिस्तान जाने से इनकार कर दिया था.
और, जिन्ना की वो इकलौती बेटी "डीना" ने पारसी व्यवसायी "नेविल वाडिया" ( बाम्बे डाइंग के मालिक और नुस्ली वाडिया के पिता) से विवाह करके भारत में रहने का फैसला कर लिया था.
इस बात पर जिन्ना को बहुत ही शर्मिंदगी थी.
"डीना" का जन्मदिन भी 15 अगस्त को होता था और बेटी से नाराजगी के कारण वे इस दिन को सेलीब्रेट नहीं करना चाहते थे.
इसी बीच जब दोनों देशो ( भारत - पाकिस्तान) का अंतर्राष्ट्रीय टाइम सेट किया गया तो उसे भारत से आधा घंटा पीछे रखा गया.
लियाकत अली खान ने जिन्नाह से कहा कि पिछले बर्ष जब आजादी मिली थी तो हमारे नए टाइमजोन के हिसाब से हमारे यहाँ रात के 11.30 हो रहे थे अर्थात उस समय तक 14अगस्त ही थी.
इसके अलावा संयोग से 14 अगस्त 1948 को... रमजान का 27वां दिन पड़ रहा था जो कि इस्लामी कैलेंडर के अनुसार एक खास और पवित्र दिन "शब-ए-कद्र" कहलाता है.
इन सभी बातों के कारण पिग्गिस्तान ने एक दिन पहले स्वतंत्रता दिवस मनाने का निर्णय लिया था.
उसके बाद हमेशा के लिए पिग्गिस्तान का स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त मान लिया गया.
लेकिन, अनाधिकृत स्तर पर पिग्गिस्तान में भी यह झूठ फैलाया गया कि पाकिस्तान भारत से एक दिन पहले आजाद हो गया था.
इसलिए, पिग्गिस्तान की आम जनता तक यही समझती है कि - पिग्गिस्तान भारत से एक दिन पहले आजाद हो गया था और इस बात को लेकर अक्सर अपने मिथ्याभिमान का प्रदर्शन करती रहती है.
पिग्गिस्तान का 14 अगस्त को स्वतंत्रता मनाना बहुत कुछ वैसा ही है जैसे कि...
अरबी और माथे पर कुकर की रबर लगाने वाले मूतलमान... भले ही भारतीय मूतलमान को सूअर के बच्चे और दोगले नस्ल के मानते हों..
लेकिन, ये खुद को बाबर और तुर्क की औलाद मान मान कर खुश होते रहते हैं.
जय महाकाल...!!!
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