पाकिस्तान के सभी नाभिकीय अंडे, एक ही टोकरी में नहीं हैं!
टोकरी में अंडे रखना, बहुत बड़ी कला है. चूंकि सारे अंडे एक ही टोकरी में न रखे जाएँ, ऐसी हिदायतें मानवजाति के पूर्वजों ने दी हैं : "डोंट पुट ऑल एग्स इन अ बास्केट!" -- इससे क्या होता है कि सभी अंडों के नाश के लिए केवल एक प्रहार ही काफी होता है.
ठीक वैसे ही, किसी राष्ट्र के नाभिकीय कार्यक्रम में प्रयोजे जाने वाले संयंत्रों को एक ही लोकेशन पर निर्मित नहीं किया जाता. बल्कि एक लोकेशन पर अधिकतम दो या तीन चरणों का कार्य होता है. और इस तरह के फैलाव में भी यही लाभ है कि एक प्रहार से सब कुछ नष्ट नहीं होता!
एक सफल नाभिकीय कार्यक्रम की शुरुआत खनन से होती है, यानी कि यूरेनियम अयस्क का जमीं से निकाला जाना! और फिर दर्जन भर बड़ी बड़ी प्रक्रियाओं से गुजरने के पश्चात् ही उस ईंधन का वेपनाइजेशन हो पाता है, यानी कि वो अपनी अंतिम परिणीति पर पहुंच पाता है.
पाकिस्तान के पास कुल दो माइनिंग यूनिट्स हैं.
पहली यूनिट "लक्की" में है. ख़ैबर-पख़्तूनख़्वाह प्रान्त का जिला, लक्की मारवात, जोकि अपने खानेपीने के स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. वहां एक पश्तो व्यंजन बहुत मशहूर है, जिसे वो लोग "पैंदा" या "सोहबत" कह कर पुकारते हैं. ये नाम पाकिस्तानी नाभिकीय कार्यक्रम में कोडवर्ड्स के रूप में खूब इस्तेमाल हुए थे.
दूसरी माइनिंग यूनिट पंजाब प्रांत के डेरा गाज़ी खान में है. ये उन्नत किस्म का संयंत्र है. यहाँ न केवल माइनिंग होती है, बल्कि माइनिंग के उपरान्त मिलिंग और यूरेनियम-हेक्जाफ्लोराइड कन्वर्जन भी होता है. मिलिंग का अर्थ है, यूरेनियम अयस्क को चूर्ण-रूप में लाना.
डेरा गाज़ी खान, यूरेनियम-हेक्जाफ्लोराइड कन्वर्जन में इकलौती, माइनिंग में दूसरी और मिलिंग में तीसरी यूनिट है. मिलिंग की शेष दो यूनिट्स भी पंजाब प्रांत में हैं. एक मियांवाली जिले के इसाखेल कसबे में है, और दूसरी राजधानी लाहौर में!
डेरा गाज़ी खान, पाकिस्तानी नाभिकीय कार्यक्रम के अंडों वाली महत्त्वपूर्ण टोकरी है. ऐसी बहुत कम टोकरियाँ हैं, जहाँ तीन तीन तरह के अंडे मौजूद हैं.
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माइनिंग, मिलिंग और यूरेनियम-हेक्जाफ्लोराइड कन्वर्जन के अलावा भी तमाम संयंत्र होते हैं. जैसे कि भारी जल उत्पादन का संयंत्र!
भारी जल, भौतिक रूप से जल जैसा किन्तु रासायनिक रूप से भिन्न होता है. उसमें हाइड्रोजन की जगह, उसका आइसोटोप ड्यूटीरियम होता है. इसका गुण है कि ये नाभिकीय अभिक्रिया के दौरान एक न्यूट्रॉन को अवशोषित कर "कूलिंग" का काम करता है.
यों तो इस काम को जल भी कर सकता है किंतु जल एक से अधिक न्यूट्रॉन को अवशोषित कर अभिक्रिया का संतुलन बिगाड़ सकता है. सो, यू-235 की अभिक्रिया के अलावा, जल के स्थान पर भारी जल प्रयुक्त होता है. जिसमें एक न्यूट्रॉन से अधिक अवशोषित करने की गुंजाइश ही नहीं होती.
पाकिस्तान के पास भारी जल का एकमात्र संयंत्र पंजाब प्रांत के मुल्तान शहर में है, जो अपनी आपूर्ति चिनाब नदी से करता है. यदि भारत चिनाब का जल रोक दे, तो पाकिस्तान के नाभिकीय संयंत्र महीनों के लिए आफत में पड़ जाएंगे!
इसी तरह एक एक अंडों वाली टोकरियों में बलूचिस्तान का चागई हिल्स, पंजाब का कुंडियाँ और वाह, रावलपिंडी का सिहाला, सिंध का कराची और ऐतिहासिक नगरी तक्षशिला से सत्रह किमी दूर गोलरा शरीफ भी शामिल हैं.
चागई हिल्स में न्यूक्लियर टेस्टिंग, कुंडियाँ में फ्यूल फेब्रिकेशन, वाह में वेपनाइजेशन, सिहाला व गोलरा शरीफ़ में यूरेनियम एनरिचमेन्ट और कराची में न्यूक्लियर रिएक्टर स्थित हैं.
अब तक के उल्लेखों से बाद भी शेष रहीं दो अंडों वाली टोकरियों में पंजाब का कुहाटा, चश्मा और खुशाब शामिल हैं. कुहाटा में वेपनाइजेशन व यूरेनियम एनरिचमेन्ट की यूनिट्स हैं. चश्मा में न्यूक्लियर रिएक्टर व कुल दो में से एक प्लूटोनियम रीप्रोसेसिंग सेंटर है. खुशाब में न्यूक्लियर रिएक्टर व ट्रीटियम उत्पादन सेंटर है.
अब केवल एक टोकरी ऐसी रही, जिसका उल्लेख नहीं हो सका है. वो है, पिंस्ट, पकिस्तान इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूक्लियर साइंस एंड टेक्नोलॉजी. यहाँ इस टोकरी में न्यूक्लियर रिएक्टर है, प्लूटोनियम रीप्रोसेसिंग सेंटर भी है और समूचे नाभिकीय कार्यक्रम का एकमात्र आरएनडी सेंटर भी!
इस तरह आंकड़े जोड़े जाएँ तो पाकिस्तान के पास कुल बाईस संयंत्र हैं! जिनमें कि फ्यूल फेब्रिकेशन, भारी जल, न्यूक्लियर टेस्टिंग, आरएनडी, यूरेनियम-हेक्जाफ्लोराइड कन्वर्जन व ट्रीटियम उत्पादन का एक एक संयंत्र है.
माइनिंग, प्लूटोनियम रीप्रोसेसिंग व वेपनाइजेशन के दो दो संयंत्र हैं. मिलिंग व यूरेनियम एनरिचमेन्ट के तीन संयंत्र हैं. और संयंत्रों में सर्वाधिक न्यूक्लियर रिएक्टर्स हैं, कुल चार प्लांट्स!
इस तरह एक फाइनल एनालिसिस की जाए तो कहा जाएगा कि पाकिस्तान ने अपने नाभिकीय कार्यक्रम के लिए पंद्रह टोकरियाँ चुनी हैं. जिनमें कुल बारह अंडों को एक/दो/तीन व चार की आवृत्ति में कुलजमा बाईस बार स्थापित किया है.
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि इजराइल ने भारत के समक्ष पाकिस्तान के जिन संयंत्रों को तहस-नहस करने की पेशकश की, वो कुहाटा और वाह के वेपनाइजेशन सेंटर्स थे. अगर ये होता, तो इतिहास में पाकिस्तान की मिसाइल के स्थान पर भारत की मिसाल कायम होती, किन्तु दुर्भाग्य थे कि ये हो न सका!
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