हिंदुओं के साथ इतिहास से लेकर वर्तमान तक सबसे बड़ी समस्या यही रही है कि वह स्वंय से ही युद्ध, और यहाँ तक की अस्तित्व के संघर्ष में भी, नैतिक होने लगते हैं.
वह ना तो युद्ध को समझ पाते हैं और ना ही युद्ध को पूर्ण क्रूरता से लड़ पाते हैं. इतिहास में हिंदु योद्धाओं की नैतिकता की कहानी सुनाई जाती है, जबकि जिस पक्ष से लड़ रहे हैं उधर तो चालाकी और क्रूरता ही है.
शिवाजी ने जब एक संघर्ष में विजय प्राप्त की तो उनके सेनानायकों ने मुग़ल सूबेदार की सुंदर पत्नी को बंदी बना लिया और शिवाजी के सामने पालकी में प्रस्तुत किया और कहा, “राजे आपके लिए युद्ध की भेंट है.”
शिवाजी ने पालकी में देखा और बात को समझा और सूबेदार की पत्नी से बोले, “माँ, आप कितनी सुंदर हो, आपको ससम्मान आपके डेरे में पहुँचा दिया जाएगा.”
साथ अपने सेनानायकों को दोबारा कभी शत्रु पक्ष की महिला के सम्मान को अपमानित करने का साहस ना करने की चेतावनी दी. जबकि मराठा नायकों का यह प्रतिकार भर था जैसा मुग़ल करते थे.
आखिर इस्लामिक जिस तरह से बलात्कार और महिलाओं का अपमान करता था, उसकी तो पूरी परंपरा रही है. उज्बेकी मुग़ल, तुर्क खलीफत और अरबी खलीफत में भी तो यही हुआ था.
इसी तरह से पृथ्वीराज चौहान का उदाहरण तो हम जानते ही हैं कि नैतिकता में आकर ग़ौरी को 17 बार क्षमा करते रहे. और वहीं जब ग़ौरी को केवल एक अवसर मिला और उसने पृथ्वीराज को तहस-नहस कर दिया.
राजा दाहिर को अरबों इस्लामिक खलीफ़त के युद्ध से भागे शरणागत की रक्षा क्यों करनी थी. यदि दाहिर ने उन मुसलमानों को दे दिया होता जिसकी खोज में कासिम आया था. तो क्यों उनकी अपनी बेटी का बलात्कार होता और भारत में इस्लामिक विजय की कहानी लिखी जाती.
अमरकोट के राणा ने यदि शरणागत आए हुमायुँ और उसकी पत्नी को मार दिया होता तो ना अकबर होता और ना ही औरंगजेब. इसीलिए भारत के हिंदु इतिहास का सबसे बड़ा दोषी कोई है तो वो है इनकी अनंत नैतिकता.
भारत के हिंदुओं को इससे बाहर निकलना होगा. क्योंकि सामने वाला तो कौम के लिए जीता है. वह आपकी बेटी को उठाने से लेकर आपको मारने के लिए बैठा है. जिस कौम का आदर्श अपने ही बाप और भाई को मारने वाला औरंगजेब हो. उसे आप रामायण के आदर्श से नहीं जीत पाएंगे.
इस्लामिक जिहादियों का आदर्श औरंगजेब और वामपंथियों का आदर्श लेनिन जैसे चालाक और क्रूर हत्यारा है. तो कम से कम अब नैतिकता बंद कर दीजिए. और यदि स्वंय को नैतिकता अधिक पसंद है तो शांत रहिए और अपने पक्ष वालों को अनदेखा कीजिए.
युद्ध के नियमों का परिवर्तन कीजिए, वर्ना उधर तो कासिम ही महान होगा, और बेटियाँ दाहिर की ही नीलाम होंगी.
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