धर्म के नाम पर बंटवारा एक बार हो गया । काठ की हांडी दोबारा नहीं चढ़ेगी ।
तो #तोड़ो_भारत वाली ताकदें क्या करें? कौनसे नए trigger keywords ढूँढे?
तो लीजिये जनाब, इस बार इनका फॉर्मूला है reserve v/s deserve, जिसको तड़का दिया जा रहा है caste का ।
Backup plan के तौर पर इसाइकरण चालू है ही ।
जनगणना के आंकड़े देखे उनकी बढ़त के?
लेकिन सब समस्याओं का मूल है अनर्थ।
अब अनर्थ की मैं जरा अपने अंदाज से आज एक अलग व्याख्या करता हूँ । अनर्थ को आप समझिए अर्थ का अभाव । यह अर्थ वही है जो सब बातों को अर्थपूर्ण बनाता है - जी हाँ, धन । उसके बिना सब व्यर्थ, निपजे केवल अनर्थ !
कालीदास कह गये हैं :
अमंत्रमक्षरं नास्ति नास्ति मूलमनौषधम् । अयोग्यः पुरुषो नास्ति योजकस्तत्र दुर्लभ:||
बात "अयोग्यः पुरुषो नास्ति" की है । समस्या भी अयोग्य व्यक्ति की ही है ।
Reserve v /s Deserve का पूरा खेल अयोग्य व्यक्ति को योग्यता से बढ़कर देने का और योग्य व्यक्ति को वंचित रखने का भर है । और सब से बड़ी समस्या है तो "योजकस्तत्र दुर्लभ:" की ।
भाई, हर व्यक्ति काम का है, शर्त यही है कि वो किस काम का है ये जाननेवाला मिले ।
हम यहाँ जरा कूदते हैं एक अलग विषय पर, जिसका परस्पर संबंध पढ़ते पढ़ते स्पष्ट हो जाएगा ।
धर्म की बात तो शुरू में कर दी, अर्थ को भी समझ लिया, अब बात करते हैं शर्म की ।
शर्म का क्या ताल्लुक पूछेंगे आप तो मेरे भाई , मेरी बहन, बहुत बड़ा ताल्लुक है जो आप शायद समझे नहीं आज तक । "शर्म एक शस्त्र है और शर्मिंदा करना एक बड़ा शास्त्र है"।
एक मिनिट रुकिए, यह वाक्य दुबारा पढ़िये और जरा मनन करिए उसके अर्थ पर !
"शर्म एक शस्त्र है और शर्मिंदा करना एक बड़ा शास्त्र है"।
आज भारत में कितने समाज हैं जो अपने परंपरागत व्यवसाय से केवल शर्म के खातिर कटे हैं ? क्या उनके उत्पादों की मांग कम हुई या उनकी जगह किसी और ने ले ली? एक ऐसे ही व्यवसाय का नाम जेहन में आता है । खटीक । उन्हें अपने परंपरागत व्यवसाय से शर्म आने लगी और अभी कई सारे सब्जी बेचने में आए हैं ।
क्या मांसाहार कम हुआ या बढ़ा है भारत में? इनकी जगह मुसलमानों ने ली और वे ढेरों कमा रहे हैं । और अपने खटीक बंधु किस शर्म से हटे? और हट कर क्या हुए? चौबे के दुबे?
"शर्म एक शस्त्र है और शर्मिंदा करना एक बड़ा शास्त्र है"। शस्त्र को शास्त्र के नियमों से चला कौन रहे हैं, उनकी पहचान हो !
शर्म छोड़ो, आँखें खोलो, जिंदगी को 'अर्थ'पूर्ण बनाओ। तभी भारत बढ़ेगा भी । इस पर चिंतन आवश्यक है । केवल उद्योजक ही नहीं, सही योजक भी जरूरी है ।
क्यूंकि #भारत_बदल_रहा_है
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