Followers

Friday, September 20, 2024

इस्लाम की शिक्षाओं से कभी भी दुनिया में विकास नहीं हो सकता।

 इस्लाम की शिक्षाओं से कभी भी दुनिया में विकास नहीं हो सकता।


दुनिया में 58 मुस्लिम देश हैं। लगभग 5 मुस्लिम देश केवल और केवल तेल बेचकर ही अपना विकास कर पाए क्योंकि एकमात्र तेल ही उनके विकास का आधार है।


जो चार देश तेल बेचकर थोड़ा बहुत समृद्ध भी हैं उन देशों में वहां की जनता आज भी शैक्षिक रूप से पिछड़ी हुई है।


ईरान और साऊदी जैसे मुस्लिम देशों की 7०% अर्थव्यवस्था केवल तेल से चलती है। तेल बेचकर जो डालर कमाया उसी से इन देशों ने विदेशों से इंजीनियरिंग और सहायता मांग के अपने देश को थोड़ा बहुत विकसित सा कर दिया।


जिस दिन तेल समाप्त हो गया ये देश दादा आजम के जमाने में चले जाएंगे।


इस्लाम की शिक्षा में ना तो गणित है और ना ही विज्ञान और ना ही नैतिक शिक्षा।


तलाक़, हलाला, कुर्बानी और केवल जेहाद करना तथा दुनिया में केवल इस्लाम की सत्ता यही एकमात्र इस्लाम की शिक्षा का उद्देश्य है।


इस्लाम में औरतों की शिक्षा को हराम माना गया है और उन्हें बस केवल भोग और बच्चे पैदा करने की मशीन माना गया है।


दुनिया के 40 मुस्लिम देश तो ऐसे हैं जहां हर समय अशांति ही फैली हुई है।


सबसे बड़ी बात यह है कि जिन देशों में ९५% से उपर मुस्लिम हैं और पूरी तरह इस्लाम का राज है वहां भी अब तक गडे हुए मुर्दे ना तो कब्रों से बाहर निकले और ना ही उनके जन्नत और दोजख में जाने का फैसला हो पाया।


आज भी वहां मुस्लिम संगठन छोटे छोटे आतंकवादी गुटों में बंटकर एक दूसरे को ७२ हूरों के पास भेजने पर लगे हैं।


इस्लाम के भीतर टालरेंट नाम का शब्द नहीं है। यदि आप इस्लाम विरोधी बातों को तर्क के साथ किसी मुस्लिम के सामने रखेंगे तो वह आक्रोशित हो जाएगा।


कूरान में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है, गैर मुस्लिम  तुम्हारे सबसे बड़े दुश्मन हैं और उनसे युद्ध करो।


मूर्ति पूजकों से दूर रहो और उन्हें इस्लाम में लाओ और यदि वे ऐसा ना करें तो उनके साथ भी युद्ध करो।

गैर इस्लामिक महिलाओं को पहले मुस्लिम बनाकर इमान में लाओ और फिर उनसे निकाह करो।


युद्ध में लूटा गया धन और महिलाओं तुम्हारी हैं। ये जो 72 हूरों वाली कल्पनाएं खलिफाओं की है, युद्ध में जब विरोधी मारे जाएंगे तो उनकी बीवियां और बच्चियों को जो कि युद्ध में जीती गयी हैं उन्हें ही इन आतंक के सरगनाओं के अनुसार 72 हूरें कहा जाता है।


दुनिया के अधिकांश इस्लामिक देश अशांत हैं। इस्लाम को मानने वाले कभी भी मानसिक रूप से खुश नहीं रहते और केवल उनका एक ही उद्देश्य है दुनिया में इस्लाम की सत्ता जो कि कभी होगा ही नहीं।


संसार में एक नियम है, कि जब कोई प्रजाति जंगल में अधिक हो जाती है तो उसे समाप्त करने वाली दूसरी प्रजाति पैदा हो जाती है।


इस्लाम की वैचारिक सोच में अब घुन लग चुका है और इस्लाम के भीतर ही इस्लाम विरोधी शक्तियां पैदा हो गयी है।


अरब का शेख इसका उदाहरण है।

साऊदी में हिंदू मंदिर खुल चुका है और महिलाओं पर धीरे-धीरे अब पाबंदियां हटने लगी है।


ईरान में बुर्के का विरोध हो रहा है।

सनातन धर्म अब सक्रिय हो चुका है।

अधिकांश मुस्लिमों के पूर्वज भी सनातनी हिंदू थे और अब उनका डी एन ए भी इस्लाम के विरुद्ध सक्रिय हो चुका है।


_______👁️_______

Follow 

No comments:

Post a Comment

साभार एक विमर्श.... यूं तो #भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है

 साभार एक विमर्श.... यूं तो #भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है।लेकिन आज #योग और #आयुर्वेद पर चर्चा कर रहे हैं।ऐसे माहौल में जब #एलोपैथी ने ...