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Sunday, June 23, 2024

हिंदुओं को एक गलतफहमी हो गई है कि उन्होंने मोदी को पीएम बनाया है स्वयं को बचाने के लिए* : *अपना रक्षा करने के लिए

 🧟‍♂️🧟‍♀️


*हिंदुओं को एक गलतफहमी हो गई है कि उन्होंने मोदी को पीएम बनाया है स्वयं को बचाने के लिए* : *अपना रक्षा करने के लिए―*


जबकि ऐसा नहीं है *मोदी*, *योगी तो क्या*? *स्वयं साक्षात प्रलयंकारी शिव आ जाएं तो भी तुम्हें नहीं बचा पाएंगे ...*…


जो स्वयं ही मरना चाहता है *जो खुद ही जीवित नहीं रहना चाहता* उसे भला कौन बचाएगा???


महाभारत जिताने वाले श्रीकृष्ण🙏🏻भी अंततः यादवी कलह को नहीं रोक पाए *यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है* विजेता, वैभवी और चिर गौरव के वंशज *बिखराव होकर दुर्गति को प्राप्त होते हैं ...*…


यह प्राकृतिक नियम है *आत्ममुग्ध और गौरव बोध से भरे सवर्णों के दुर्दिन तो अभी प्रारंभ हुए हैं ...*…


जो सवर्ण स्वयं को जाति में बांधकर हिंदूधर्म से अलग समझने की कवायद में है *इनकी भी अभी और अधोगति होना बाकी है ...*…


दुर्गति तो खैर *सबकी होगी* इनकी और उनकी भी *गड्डा ही ऐसी खोद रहे हैं* गिरना तैय है *आजादी के बाद से ही हिंदू इस खुशफहमी में जी रहा था कि उसे स्वराज मिल गया है* जबकि सच्चाई यह थी कि 70 वर्ष तक *उसे नशे में रखकर पूर्णतया मिटाने का खेल ही चलता रहा ...*…


इस दयनीय, लाचार, हताश विवशता में मरते डूबते *उसने धुप्पल में मोदी को चुन लिया* वह फिर से नशे के आवेश में है *कि मोदी है तो मुमकिन है ...*…


मोदी तुम्हें विकास दे सकता है *बोलने लड़ने लायक माहौल दे सकता है* बचा नहीं सकता *बचना एक प्राकृतिक क्रिया है* जो स्वयं-सिद्ध है *वही बचेगा ...*…


अन्य कोई नहीं बचा सकता *मोदी तो क्या*? *स्वयं ब्रह्माजी🙏🏻भी नहीं बचा सकता ...*…


मोदी भी प्रकृति से परे नहीं है *प्रकृति के अपने नियम है* प्रकृति में सभी जीव किसी न किसी विधि से अपना अस्तित्व बचाये रखते हैं *...*…


हिंदुओं का आचरण पूर्णतः अप्राकृतिक है *वे बचना ही नहीं चाहते* सीखना ही नहीं चाहते *...*…


नित्य हो रहे हिंदू नरसंहार से भी उनकी आंखें नहीं खुलती *तो वे भला क्या बचेंगे ...*…


मैं नहीं कह रहा *आप महर्षि अरविंद का दर्शन पढ़िए* वे पिछली तीन सहस्राब्दी के घटनाक्रम को जोड़कर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं *...*…


*मैं यह नहीं कहता कि हिंदू समाप्त हो जाएगा* लेकिन उसका कल्पनातीत नुकसान होगा *बहुत भारी क्षति के बाद ही वह लौटेगा* अभी उसमें सड़ांध बाकी है *बदबू और मवाद की ही प्रधानता है ...*…


यह समय उसकी बदबू के शोधन का है किन्तु अहंकारी, कायर, निर्लज्ज, जातिवादी और पोंगापंथी *अब भी अपनी ढपली* केवल इसलिए बजाए जा रहा है कि *उसे लगता है वही एकमेव सही है ...*…


बड़े बड़े दर्शन, बड़ी अवधारणाएं, अनंत ज्ञानराशि और यथार्थ से परे काल्पनिक लुंज पुंज चिंतन ने *उसे इस लायक भी नहीं छोड़ा कि वह सामने खड़ी मृत्यु पहचान सके ...*…


बहुत बड़ा नुकसान तैय है *अवश्यम्भावी है* आपको पूर्व सूचना केवल इसलिए दे रहा हूँ कि *नुकसान का मन बना लो* कश्मीरी मारे गए, बंगाली मारे जा रहे हैं *इसमें कुछ भी विशेष नहीं है ...*…


बंगाली जनता ने ममता को किसलिए चुना था? *मरने के लिए ही ना*_!_ तो मर जाओ *यह तो हस्तामलकवत सर्वदृश्य था ...*…


कर्नाटक भी इसी राह पर है *पिछले दिनों ही वहाँ एक जैन मुनि को मारकर काटकर फेंक दिया गया ...*…


कर्नाटक की जनता को बिल्कुल दु:ख नहीं मनाना चाहिए *जैसे पालघर होने पर हमने मान लिया था कि* महाराष्ट्र में उस समय जो शक्तियां सत्ता में थी *यही होना था ...*…


स्थिति रिपीट होने पर यही होगा *बार बार होगा* क्यों नहीं होगा???


तुम नहीं समझ रहे *लेकिन मारने वाले तो समझ रहे हैं ना*_!_ उन्हें अपना काम अच्छी तरह से करना आता है *वे करेंगे ...*…


अच्छा है कि कोई तो अपना काम बढ़िया तरीके से कर रहा है *वामपंथी रेडिकल मुस्लिम के साथ मिलकर अपना काम बढ़िया तरीके से कर रहे है ...*…


हिन्दू फिर से नशे की गोली खाकर सोना चाहता है *लेकिन बंगाल*, *कर्नाटक*, *केरला* सर्वत्र हो रही *एक ही पैटर्न की घटनाएं तुम्हें सोने नहीं देगी ...*…


बाकी *बचना तुम्हीं को है* और मरना???????????

*राष्ट्र देवो भव:*🙏🏻🚩


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