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Sunday, June 30, 2024

अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक जहां जहां बीजेपी हारी है

 अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक जहां जहां बीजेपी हारी है , भाई लोग बड़े चटखारे ले लेकर उन शहरों के नाम गिना रहे हैं । वे खुश हैं कि वनवास के समय राम जहां जहां होकर लंका पहुंचे , वे सभी सीट इंडी गठबंधन ने हथिया ली हैं । उद्देश्य यह बताना है कि राम का नाम लेने वालों को राम ने बिसरा दिया । 


राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए बीजेपी सांसद विद्वान सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने ठीक ही कहा कि राम को नकारने वालों को अब वे सारे नाम याद आ रहे हैं जो राम के यात्रा पथ से जुड़े हैं । भले ही

यह याद आने का कारण कुछ और है । परंतु इस बहाने विपक्षी दलों को भी राम की याद आई तो । बहरहाल अखिलेश आजकल अयोध्या से जीते सपा सांसद अवधेश प्रसाद को न केवल साथ लिए घूम रहे हैं अपितु उन्हें अयोध्या के अवधेश बताने से भी गुरेज नहीं कर रहे । संसद में भी उन्हें अपने पास बैठा रहे हैं ।


बात केवल अयोध्या , बस्ती , प्रयाग , चित्रकूट , रामेश्वरम आदि सीटों से भाजपा की पराजय तक सीमित नहीं है । संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद देने का अवसर सांसदों को दिया गया है । यह संसदीय परंपरा है , जिसका पालन संसद शुरू होने पर किया जाता है । लेकिन संसद में दो दिनों से जो हो रहा है वह दुःखद है । 


दरअसल विपक्ष स्वीकार ही नहीं कर पा रहा कि वह सत्ता पाने से तीसरी बार भी वंचित हो गया है । इसलिए किसी भी सूरत में संसद न चलने देने की  योजना पर काम चल रहा है । ऐसा पिछले दस वर्ष से हो रहा है । सत्ता पक्ष अंततः तमाम प्रस्ताव पास करा ही लेता है । विपक्ष दिखाना चाहता है कि इस बार कोई प्रस्ताव पारित नहीं होने दिया जाएगा । तथापि एनडीए का बहुमत है और विरोध के बावजूद सरकार अपना काम काज पूरा करा ले जायेगी ।


देखिए संसद चलाना सत्तारूढ़ दल की भी जिम्मेदारी है और उतनी ही विपक्ष की भी । नई संसद में आपातकाल के विरुद्ध लोकसभा अध्यक्ष ने प्रस्ताव पारित कराया तथा राष्ट्रपति के अभिभाषण में आपातकाल का जिक्र आया । इससे कांग्रेस खासी चिढ़ गई है । कल राहुल गांधी के बोलते बोलते उनकी आवाज जैसे बंद हुई या की गई , वह भी काफी दुर्भाग्यपूर्ण है । माहौल सामान्य करने की जिम्मेदारी सरकार की है , अध्यक्ष की है । दोनों ओर से गलतियां होती रही तो वास्तव में संसद नहीं चल पाएगी । 


इसमें कोई शक नहीं कि अच्छी संख्या में सीटें हासिलकर इंडी अलायन्स  लड़ने पर उतारू है ।  मिलजुलकर आगे बढ़ने की कल्पना निरर्थक साबित हो रही है । तो क्या अगले पांच साल ऐसे ही चलने वाला है । मतलब इंडिया ब्लॉक सरकार के टूटने की बात जोहेगा और सरकार इंडिया ब्लॉक को तोड़ने की कोशिशें करेगी । इसका अर्थ यह कि जैसा चल रहा था वैसा ही चलेगा । फिर क्या कर सकते हैं , मजबूरी है ? संसद में कामकाज हो , इसका रास्ता पक्ष विपक्ष दोनों के लिए खोजना जरूरी है ।


ससद मे आधुनिक चाणक्य की  दहाङ


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