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Friday, June 21, 2024

इस चुनाव में राहुल गांधी ने पप्पू की छवि को पीछे नही छोड़ा है

 इस चुनाव में राहुल गांधी ने पप्पू की छवि को पीछे नही  छोड़ा है । वे सही मायनों में राष्ट्रीय परिदृश्य पर उभर कर आने चाहिए थे उतने नहीं आए हैं । कांग्रेस की उपस्थिति केरल और तमिलनाडु जैसे उन राज्यों में पहले से है , जहां से कुछ पाने में बीजेपी को अभी भी हाथ पैर फेंकने पड़ रहे हैं । लेकिन राहुल ने अपनी खरखरी जुबान पर काबू  नहीं पाया है । उल्टे जुबान को और कर्कश , रूखी और घोर नफरती बना लिया है । इसके बावजूद उनकी स्वीकार्यता बढ़ी है । उनकी सीटों की संख्या भी बढ़ी और गठबंधन में उनका कद भी । फिर भी राहुल सम्मान का वह मंच हासिल नहीं कर पाए , जो कुछ सीटें कम होने के बावजूद नरेंद्र मोदी हासिल कर चुके हैं ।


यह अच्छी बात है कि पिछले दस वर्षों से राहुल गांधी ने अपना निशाना पार्टी के बजाय सीधे मोदी पर लगाया । प्रधानमंत्री पद पाने को आतुर राहुल गांधी के पास थोड़ा चिंतन होता , जुबान में  ठहराव होता , शब्दों का चयन करना आता तो वे राजनीति में अधिक सम्मान प्राप्त कर सकते थे । जल्दी लोकप्रिय भी हो सकते थे । लेकिन उनके पास सलाहकार नहीं थे , भाषण देने वाला जुबानी रस नहीं , सीमित और नफरती शब्द थे । यही वजह है कि तीन लोकसभा चुनाव हो जाने के बाद अब कहीं जाकर कांग्रेस सम्मानजनक सीट प्राप्त कर सकी है । चूंकि पार्टी की भीतरी नासमझी के कारण नरेंद्र मोदी की पार्टी अपने दम पर बहुमत नहीं पा सकी अतः इसका श्रेय राहुल गांधी , अखिलेश और ममता को देने में कोई संकोच नहीं है ।


बीजेपी को पूर्ण बहुमत से रोकने में इंडिया ब्लॉक की मदद से सफल रहे राहुल का उत्साह आजकल सातवें आसमान पर है । तभी तो जो बहन न रायबरेली से लड़ रही थी , न अमेठी से , अब वायनाड से लड़ने को तैयार हो गई । उत्साह की पराकाष्ठा देखिए  , राहुल कह रहे हैं कि बनारस से लड़तीं तो मोदी को तीन लाख से हरा देती । प्रियंका भी 99 सीटों और भाजपा के ठहराव के कारण उत्साह में आईं ,  वरना लड़ सकने वाली लड़की ही बनकर रह गईं थीं । न खुद लड़ीं और न उन्होंने राबर्ट वाड्रा को लड़ने दिया । अब अमेठी , रायबरेली और वायनाड की जीत ने सोनिया के घर मंगल कर दिया है । यह जीत बुझी हुई कांग्रेस के लिए बूस्टर डोज बनकर आई है ।


अब प्रियंका लड़ रही हैं तो वाड्रा भी कह रहे हैं कि आगे चलकर वे जरूर लड़ेंगे । क्या करें , ऊंचाइयों का चस्का होता ही ऐसा है । उत्साहित केवल दरबार ही नहीं प्रवक्ता भी कम नहीं । पवन खेड़ा और सुप्रिया श्रीनेत आजकल जैसे अभिमानी सुर बोल रहे हैं , वह देखते ही बनते हैं । ठीक भी है , बीजेपी  240 पर अटक गई तो इंडी 234 पर । मजेदार बात यह है कि कांग्रेस 234 के आंकड़े को अपना आंकड़ा मानकर चल रही है , जबकि एनडीए के 292 को  जेडीयू और टीडीपी का आंकड़ा । यहीं भेद है । राहुल अब नेता प्रतिपक्ष बन मोदी से हिसाब किताब बराबर करने के मूड में हैं । तथापि यह वक्त बताएगा कि 99 पर अटकी कांग्रेस इस मोदी 3 में कौनसा कारनामा कर दिखानी चाहती है ?




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