मैं यह आज तक नहीं समझ पाता हूं भारत में लाखों मामले कोर्ट में पेंडिंग है
लोगों को तारीख लेने में चप्पल घिस जाती है
लेकिन जो मामले कपिल सिब्बल या अभिषेक मनु सिंघवी भी लेते हैं वह जब चाहते हैं तब लिस्ट करवा देते हैं चाहे वह शनिवार हो या रविवार हो सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर लेती है
तीस्ता जावेद सेतलवाड़ को जब गुजरात हाई कोर्ट ने सजा सुनाई तब कपिल सिब्बल कार में बैठे-बैठे सुप्रीम कोर्ट के जज से फोन पर सुनवाई करके जमानत दिलवा दिए
तो यह सुविधा पूरे भारत में सिर्फ दो वकीलों को ही क्यो मिली है ?
भारत के सभी वकीलों को यह सुविधा क्यों नहीं है ?
और ऊपर से हमें यह पढ़ाया जाता है कि भारत का न्याय तंत्र निष्पक्ष है
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