लोकसभा में जब मेरठ से चुने गए सांसद अरुण गोविल ने शपथ ली.... उसके बाद उन्होंने हाथ जोड़ कहा "जय श्री राम"
अरुण भगवान राम का किरदार छोटे पर्दे पर निभा चुके हैं.... और भगवान राम के भक्त भी रहे हैं
ऐसे में उनका "जय श्री राम" कहना सामान्य व्यवहार ही है.....
लेकिन उसके बाद समाजवादी पार्टी के सांसदों ने अखिलेश के नेतृत्व में जो किया वो ध्यान देने योग्य है
समाजवादी पार्टी के सांसद "जय श्री राम" के उत्तर में चिल्लाये "जय अवधेश प्रशाद"
अखिलेश ने अवधेश प्रशाद को ठीक बगल में पहली लाइन में विठाया था.... ये सामान्य नहीं था....
यानी पूर्व तय था के ऐसी प्रतिक्रिया की जाये...
ये "जय अवधेश प्रशाद " जय श्री राम के प्रतिउत्तर में कहना.... सीधा सपाट इसका बस एक अर्थ है...
ये अहंकार बोला है ठीक उसी तरह जैसे कभी बाप का बोला था "हवा में उड़ गए जय श्री राम".... अबके उन्होंने लल्लू सिंह को नहीं श्री राम को पटखनी दी है चुनाव में और छाती ठोंक ये संसद में चिल्ला रहे हैं.... देखो पहले हवा में उड़ गए जय श्री राम.... और अब जय श्री राम का उत्तर "जय अवधेश प्रशाद"....
खैर..... अब राम को अपमानित करना न तो उनके भक्तों को कष्ट देता है..... न उनकी अयोध्या को.... न ख़ुद को उनका कुनबा बताने वालों को....
हे राम तुम्हे जीती हुईं स्वर्ण लंका त्याग अयोध्या नहीं लौटना था.... भ्राता लक्ष्मण का कहा मानना था...
यूँ बार बार अपमानित तो न होते कम से कम!
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