बंग्लादेश में क्या चल रहा है?
ॐ श्री गुरुभ्यो नमः ! हरिः ओम् !
भारत में एक्जिट पोल आ चुके हैं और उसके अनुसार फिर एक बार मोदी सरकार भारी बहुमत से बनने जा रही है। 4 जून को वास्तविक परिणाम भी आ जाएंगे, इसलिए मैं अब अपने पड़ोसी देश बंग्लादेश की बात करूंगा। “देश के चुनावों में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप” लेख पर पाठकों का समर्थन प्राप्त हुआ और उन्होंने लिखा कि अनेक जानकारियाँ प्राप्त हुई। उसी लेख में मैंने बंग्लादेश में अमेरिकी विदेश विभाग का एक अधिकारी डोनाल्ड लू के बंग्लादेश में जमे होने की जानकारी दी थी और यह व्यक्ति सत्ता परिवर्तन का खेल खेलता है और सी आई ए का एजेंट है यह लिखा था। अब मेरे लेख की पुष्टि स्वयँ बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना बेगम ने कर दी है। उन्होंने लिखा है कि एक गोरा बंग्लादेश का विभाजन करके एक ईसाई देश या स्वायत्त राज्य बनाना चाहता है। इसमें कुछ भाग म्याँमार का और कुछ भारत के उत्तर पूर्वी भाग का भी होगा। या तो वह यह शर्त मान ले या फिर उपद्रव के लिए तैयार रहे। बंग्लादेश, म्याँमार और उत्तर पूर्व में चिन – कुकी गठबंधन यह काम कर रहा है। इस ईसाई देश का नाम “कुकीलैंड” रखा गया है और इसका नक्शा भी उपलब्ध है। पाठकों मैंने मणिपुर उपद्रव पर भी अपने लेख में लिखा था कि यह एक षडयंत्र है, अंग्रेजों के समय से ही उत्तरपूर्व में अंग्रेज एक ईसाई देश बनाना चाहते थे, वहाँ धर्म परिवर्तन कराया गया, हिंदु साधु संतों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया, परमिट लगता था वहाँ जाने का। नेहरु काल में भी यही व्यवस्था चली आ रही थी, अब भाजपा सरकार के आने के पश्चात वहाँ परिस्थितियाँ बदली हैं। इससे ब्रिटेन, युरोप, अमेरिका का बौखलाना स्वभाविक था। म्याँमार, बंग्लादेश और उत्तर पूर्व में इन देशों के अतिरिक्त चीन के भी षडयंत्र चल रहे हैं। क्योंकि शेख हसीना बेगम भारत के पक्ष में अधिक झुकी हुई हैं इसलिए उनकी सरकार को यह गिराना चाहते हैं। वहाँ भी शेख हसीना निरंतर भारी बहुमत से चुनाव जीत रही हैं इसलिए वहाँ के चुनावों को भी धांधली की जीत बता कर वहाँ जनता के मन में संदेह उत्पन्न किया जा रहा है। ठीक वैसे ही जैसे भारत में ईवीएम पर बेतुके प्रश्न चिन्ह अमेरिकी संस्था एडीआर लगा रही है और मी लॉर्ड भी उसके केस को ले लेते हैं। विदेशी शक्तियाँ किस प्रकार से हमारे देश में हस्तक्षेप कर रही हैं और किस प्रकार से हमारे देश का विपक्ष उनका सहयोग कर रहा है यह उसका एक और उदाहरण है। यही नहीं चैनलो पर संदीप चौधरी और अनेक अन्य पत्रकार भी इस पर विदेशी प्रोपेगेंडा को प्रोमोट कर रहे हैं। एडीआर का एजेंडा न्यूज लॉन्ड्री, न्यूज क्लिक, वायर, फेक्ट चेक वाले आदि चला रहे हैं। अनेक कांग्रेसी नेता कह चुके हैं कि वह 4 जून को यदि चुनाव परिणाम उनके पक्ष में नहीं आए तो आंदोलन करेंगे। डीप स्टेट यही करना चाहता है यह पहले भी लिख चुका हूँ बंग्लादेश में भी विपक्ष ने ऐसा ही किया था जिसे शेख हसीना ने सख्ती से कुचल दिया क्योंकि भारी बहुमत था।
कुछ मित्र कहते हैं कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए विपक्ष का मजबूत होना आवश्यक है। सैद्धांतिक रूप से यह बात सही है लेकिन विदेशी चंदे और धंधे में डूबा हुआ विपक्ष कमजोर होना चाहिए या मजबूत? पत्रकारिता को भी लोकतंत्र का स्तम्भ कहा जाता है लेकिन विदेशी एजेंट की तरह काम करते पत्रकारों का स्थान जेल में होना चाहिए या उन्हें देश की जनता को भ्रमित करने के लिए खुला छोड़ दें? अदालतें कैसे निर्णय दे रही हैं और जनता उन्हें उत्तर दे रही है यह मी लॉर्ड भी जानते हैं। सभी मी लॉर्ड बुरे नहीं हैं, हम आम जनता हैं हमें कानून का ज्ञान नहीं है लेकिन क्या सही है और क्या गलत यह साधारण जन जानता है। अब सोशल मीडिया है तो वह लिख भी रहा है। अगले लेख तक के लिए जय श्री राम!
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