भाजपा कि हार,
क्यो नही हुई 400 पार ?भाग 2
भाजपा की हार की समीक्षा को आगे बढ़ाते है और गलत लोगो को टिकट क्यों बांटे गए इसका विश्लेषण करते है!
कुछ गुमनाम लोग है जिनके बारे में कह सकते है कि मोदी अथवा शाह को इनके बारे में जानकारी नही होगी या हो सकता हैं कि स्थानीय भाजपा इकाई अथवा RSS के समर्थन से कोई गलत आदमी टिकट पा गया होगा पर... कुछ इतने बदनाम चेहरे है जिनके बारे में कोई ये नही कह सकता कि मोदी अथवा शाह को इनके बारे में जानकारी नही होगी! उदाहरण के लिए नवीन जिंदल जैसे कुख्यात आदमी को कौन नही जानता? क्या कृपा शंकर सिंह कोई भूलने वाला नाम है? क्या इन लोगो को शीर्ष नेतृत्व की सहमति के बिना टिकट मिला होगा?
अमित शाह और नरेंद्र भाई मोदी को बंदरी के बच्चे की तरह छाती से लगाने की जरूरत नही है बल्कि यह समय इनकी प्रखर आलोचना का है और यह काम हमको पूरी निर्दयता के साथ करना चाहिए, जहाँ कुछ पेशेवर फेसबुक लेखक UP मे हुई दुर्दशा पर अमित शाह का बचाव इस तर्क के साथ कर रहे है कि संभवतः उन्हे स्थानीय इकाई के द्वारा गुमराह किया गया...बिल्कुल गलत है तर्क है! सच तो यह है कि सारे गलत टिकट वितरण की जानकारी मोदी और शाह दोनों को थी बल्कि यह कहिये कि इनके इशारे पर ही कृपाशंकर सिंह, नवीन जिंदल और अतुल गर्ग जैसे लोगो को टिकट मिला! मोदी और शाह रामरथ पर सवार थे और इन्हे लगता था कि ये लोग जिसको भी टिकट थमायेंगे वो जीत जायेगा इसी अहंकार में ये लोग रणनीतिक भूल कर बैठे! इस चुनाव में भाजपा के विरुद्ध विपक्ष ही नही CIA + चीन + और तमाम अंतराष्ट्रीय एजेंसिया लड़ रही थी, ऐसे नाजुक समय में विपक्ष के लिए जमीन छोड़ना और उन्हे पैर जमाने का मौका देना बडी भूल साबित हुई! वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की राजनैतिक गलियारों मे उड़ती उड़ती खबर है कि जनरल वी के सिंह का टिकट खाने वाले अतुल गर्ग को बङे जुगाङ मे टिकट मिला है! ऐसी ही खबरे नवीन जिंदल के लिए उड़ रही है लेकिन मेरा मानना है कि नवीन जिंदल बडी मछली है जुगाङ उसके लिए तिनके से भी कम है अतः उधर कोई ओर डील हुई होगी! ठीक इसी तरह कितने ही ऐसे उम्मीदवार थे जो 2019 मे जीत के बाद कभी भी अपने लोकसभा में नही देखे गए, उदाहरण - अयोध्या से लल्लू, कैराना से प्रदीप चौधरी और ओर भी कई बड़े नाम! इनकी हार कागजो पर लिखी थी!
मेरी अपनी निजी राय है कि इस बार टिकट वितरण में पैसे तो खाये ही गए साथ ही बहुत गहन अध्ययन करने की जरूरत महसूस नही की गई! हम तो जीत ही जायेंगे और कांग्रेस तो टक्कर में ही नही है जैसी आम प्रचलित धारणाओ के भरोसे चुनाव लड़ा गया!
मैंने चुनाव से पहले ही लिखा था कि आज की तारीख में भाजपा को कोई हरा सकता है तो वो है खुद भाजपा अन्यथा विपक्ष भाजपा को हराने का दम नही रखता और अंततः वही हुआ, भाजपा ने बड़े ही शानदार तरीके से भाजपा को हराया! चुनाव की घोषणा तक जो विपक्ष कहीं नही था भाजपा के टिकट वितरण के बाद ही मुकाबले में आ गया था! मेरा व्यक्तिगत अनुमान था कि हम 180-220 के बीच सिमट रहे है पर 2 चरणों के बाद ही जमीनी वास्तविकता को प्रधानमंत्री समझ गए और उन्होंने अनर्गल बयानो के माध्यम से माहौल गरमाया तो हिंदू वोटर बाहर निकला तो हम 240 पर पहुँच पाए नही तो आज देश को एक मंदबुद्धि बालक हांक रहा होता!
इस सारी समीक्षा मे जो एक बहुत अच्छी और राहत भरी बात है वो यह है कि भाजपा का जनाधार अभी तक अखंड है और विपक्ष भी जानता है कि अंधे के हाथ बटेर लग तो गई है पर थमेगी नही! भाजपा चाहे तो रणानितिक सुधार करके विपक्ष को फिर मात दे सकती है और विपक्ष का पूर्णतः सफाया कर सकती हैं पर इस बार उनका मुकाबला विपक्ष से नही उनके मनोबल से भी होना है अतः आज ही तैयारी शुरू की जानी चाहिए!
भाजपा की हार की समीक्षा जारी रहेगी, अगले पोस्ट मे मैं उन बातो का उल्लेख करना चाहूंगा जो भाजपा को तुरंत करने चाहिए ताकि मिशन 400 को इस बार नही तो अगली बार प्राप्त किया जा सके!
लगातार.........
No comments:
Post a Comment